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نحمیاہ 13:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 मुझे यह भी मालूम हुआ कि लावी और गुलूकार रब के घर में अपनी ख़िदमत को छोड़कर अपने खेतों में काम कर रहे हैं। वजह यह थी कि उन्हें वह हिस्सा नहीं मिल रहा था जो उनका हक़ था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 مُجھے یہ بھی مَعلُوم ہُوا کہ لیویوں کے مخصُوص حِصّے اُن کو نہیں دئیے گیٔے تھے اَور تمام لیوی اَور موسیقار جو ہیکل میں خدمت گزار تھے اَپنے اَپنے کھیتوں کو واپس چلے گیٔے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

10 پِھر مُجھے معلُوم ہُؤا کہ لاویوں کے حِصّے اُن کو نہیں دِئے گئے اِس لِئے خِدمت گُذار لاوی اور گانے والے اپنے اپنے کھیت کو بھاگ گئے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 مجھے یہ بھی معلوم ہوا کہ لاوی اور گلوکار رب کے گھر میں اپنی خدمت کو چھوڑ کر اپنے کھیتوں میں کام کر رہے ہیں۔ وجہ یہ تھی کہ اُنہیں وہ حصہ نہیں مل رہا تھا جو اُن کا حق تھا۔

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نحمیاہ 13:10
11 حوالہ جات  

उन्हें हम साल के पहले ग़ल्ला से गूँधा हुआ आटा, अपने दरख़्तों का पहला फल, अपनी नई मै और ज़ैतून के नए तेल का पहला हिस्सा देकर रब के घर के गोदामों में पहुँचाएँगे। देहात में हम लावियों को अपनी फ़सलों का दसवाँ हिस्सा देंगे, क्योंकि वही देहात में यह हिस्सा जमा करते हैं।


क्या मुनासिब है कि इनसान अल्लाह को ठगे? हरगिज़ नहीं! लेकिन तुम लोग यही कुछ कर रहे हो। तुम पूछते हो, ‘हम किस तरह तुझे ठगते हैं?’ इसमें कि तुम मुझे अपनी पैदावार का दसवाँ हिस्सा नहीं देते। नीज़, तुम इमामों को क़ुरबानियों का वह हिस्सा नहीं देते जो उनका हक़ बनता है।


चुनाँचे ज़रुब्बाबल और नहमियाह के दिनों में तमाम इसराईल रब के घर के गुलूकारों और दरबानों की रोज़ाना ज़रूरियात पूरी करता था। लावियों को वह हिस्सा दिया जाता जो उनके लिए मख़सूस था, और लावी उसमें से इमामों को वह हिस्सा दिया करते थे जो उनके लिए मख़सूस था।


अपने मुल्क में लावियों की ज़रूरियात उम्र-भर पूरी करने की फ़िकर रख।


“इसराईलियों को बता दे कि वह लावियों को अपनी मिली हुई ज़मीनों में से रहने के लिए शहर दें। उन्हें शहरों के इर्दगिर्द मवेशी चराने की ज़मीन भी मिले।


आम लोग और लावी वहाँ ग़ल्ला, नई मै और ज़ैतून का तेल लाएँगे। इन कमरों में मक़दिस की ख़िदमत के लिए दरकार तमाम सामान महफ़ूज़ रखा जाएगा। इसके अलावा वहाँ इमामों, दरबानों और गुलूकारों के कमरे होंगे। हम अपने ख़ुदा के घर में तमाम फ़रायज़ सरंजाम देने में ग़फ़लत नहीं बरतेंगे।”


हिज़क़ियाह ने यरूशलम के बाशिंदों को हुक्म दिया कि अपनी मिलकियत में से इमामों और लावियों को कुछ दें ताकि वह अपना वक़्त रब की शरीअत की तकमील के लिए वक़्फ़ कर सकें।


क्योंकि न तूने मेरे लिए अपनी भेड़-बकरियाँ भस्म कीं, न अपनी ज़बह की क़ुरबानियों से मेरा एहतराम किया। न मैंने ग़ल्ला की नज़रों से तुझ पर बोझ डाला, न बख़ूर की क़ुरबानी से तंग किया।


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