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نحمیاہ 12:43 - किताबे-मुक़द्दस

43 उस दिन ज़बह की बड़ी बड़ी क़ुरबानियाँ पेश की गईं, क्योंकि अल्लाह ने हम सबको बाल-बच्चों समेत बड़ी ख़ुशी दिलाई थी। ख़ुशियों का इतना शोर मच गया कि उस की आवाज़ दूर-दराज़ इलाक़ों तक पहुँच गई।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

43 اَور اُس دِن اُنہُوں نے خُوشی سے بہت سِی قُربانیاں چڑھائیں کیونکہ خُدا نے اُنہیں بڑی خُوشی عطا فرمائی تھی۔ عورتوں اَور بچّوں نے بھی خُوشی منائی اَور یروشلیمؔ میں جَشن منانے کی آواز دُور تک سُنایٔی دیتی تھی۔

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کِتابِ مُقادّس

43 اور اُس دِن اُنہوں نے بُہت سی قُربانِیاں چڑھائِیں اور خُوشی کی کیونکہ خُدا نے اَیسی خُوشی اُن کو بخشی کہ وہ نِہایت شادمان ہُوئے اور عَورتوں اور بچّوں نے بھی خُوشی منائی سو یروشلیِم کی خُوشی کی آواز دُور تک سُنائی دیتی تھی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

43 اُس دن ذبح کی بڑی بڑی قربانیاں پیش کی گئیں، کیونکہ اللہ نے ہم سب کو بال بچوں سمیت بڑی خوشی دلائی تھی۔ خوشیوں کا اِتنا شور مچ گیا کہ اُس کی آواز دُوردراز علاقوں تک پہنچ گئی۔

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نحمیاہ 12:43
29 حوالہ جات  

इतना शोर था कि ख़ुशी के नारों और रोने की आवाज़ों में इम्तियाज़ न किया जा सका। शोर दूर दूर तक सुनाई दिया।


क्योंकि ऐ रब, तूने मुझे अपने कामों से ख़ुश किया है, और तेरे हाथों के काम देखकर मैं ख़ुशी के नारे लगाता हूँ।


फिर कुँवारियाँ ख़ुशी के मारे लोकनाच नाचेंगी, जवान और बुज़ुर्ग आदमी भी उसमें हिस्सा लेंगे। यों मैं उनका मातम ख़ुशी में बदल दूँगा, मैं उनके दिलों से ग़म निकालकर उन्हें अपनी तसल्ली और शादमानी से भर दूँगा।”


क्या आपमें से कोई मुसीबत में फँसा हुआ है? वह दुआ करे। क्या कोई ख़ुश है? वह सताइश के गीत गाए।


ज़बूरों, हम्दो-सना और रूहानी गीतों से एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करें। अपने दिलों में ख़ुदावंद के लिए गीत गाएँ और नग़मासराई करें।


यही तुम्हारी हालत है। क्योंकि अब तुम ग़मज़दा हो, लेकिन मैं तुमसे दुबारा मिलूँगा। उस वक़्त तुमको ख़ुशी होगी, ऐसी ख़ुशी जो तुमसे कोई छीन न लेगा।


लेकिन राहनुमा इमाम और शरीअत के उलमा नाराज़ हुए जब उन्होंने उसके हैरतअंगेज़ काम देखे और यह कि बच्चे बैतुल-मुक़द्दस में “इब्ने-दाऊद को होशाना” चिल्ला रहे हैं।


लोग ईसा के आगे और पीछे चल रहे थे और चिल्लाकर यह नारे लगा रहे थे, “इब्ने-दाऊद को होशाना! मुबारक है वह जो रब के नाम से आता है। आसमान की बुलंदियों पर होशाना।”


उनमें दुबारा ख़ुशीओ-शादमानी, दूल्हे दुलहन की आवाज़ और रब के घर में शुक्रगुज़ारी की क़ुरबानियाँ पहुँचानेवालों के गीत सुनाई देंगे। उस वक़्त वह गाएँगे, ‘रब्बुल-अफ़वाज का शुक्र करो, क्योंकि रब भला है, और उस की शफ़क़त अबदी है।’ क्योंकि मैं इस मुल्क को पहले की तरह बहाल कर दूँगा। यह रब का फ़रमान है।


और सिय्यून के सोगवारों को दिलासा देकर राख के बजाए शानदार ताज, मातम के बजाए ख़ुशी का तेल और शिकस्ता रूह के बजाए हम्दो-सना का लिबास मुहैया करूँ। तब वह ‘रास्ती के दरख़्त’ कहलाएँगे, ऐसे पौदे जो रब ने अपना जलाल ज़ाहिर करने के लिए लगाए हैं।


रब मेरी क़ुव्वत और मेरी ढाल है। उस पर मेरे दिल ने भरोसा रखा, उससे मुझे मदद मिली है। मेरा दिल शादियाना बजाता है, मैं गीत गाकर उस की सताइश करता हूँ।


अब मैं अपने दुश्मनों पर सरबुलंद हूँगा, अगरचे उन्होंने मुझे घेर रखा है। मैं उसके ख़ैमे में ख़ुशी के नारे लगाकर क़ुरबानियाँ पेश करूँगा, साज़ बजाकर रब की मद्हसराई करूँगा।


लेकिन अगर वह ख़ामोश भी रहे तो कौन उसे मुजरिम क़रार दे सकता है? अगर वह अपने चेहरे को छुपाए रखे तो कौन उसे देख सकता है? वह तो क़ौम पर बल्कि हर फ़रद पर हुकूमत करता है


इसके बाद यहूदाह और यरूशलम के तमाम मर्द यहूसफ़त की राहनुमाई में ख़ुशी मनाते हुए यरूशलम वापस आए। क्योंकि रब ने उन्हें दुश्मन की शिकस्त से ख़ुशी का सुनहरा मौक़ा अता किया था।


यहूदाह के तमाम मर्द, औरतें और बच्चे वहाँ रब के हुज़ूर खड़े रहे।


यह सातवें माह के 23वें दिन वुक़ूपज़ीर हुआ। इसके बाद सुलेमान ने इसराईलियों को रुख़सत किया। सब शादमान और दिल से ख़ुश थे कि रब ने दाऊद, सुलेमान और अपनी क़ौम इसराईल पर इतनी मेहरबानी की है।


जब अहद का संदूक़ लशकरगाह में पहुँचा तो इसराईली निहायत ख़ुश होकर बुलंद आवाज़ से नारे लगाने लगे। इतना शोर मच गया कि ज़मीन हिल गई।


इसी तरह उनकी आवाज़ मक़दिस में ख़ुशी के मौक़ों पर सुनाई दे यानी मुक़र्ररा ईदों और नए चाँद की ईदों पर। इन मौक़ों पर वह भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ और सलामती की क़ुरबानियाँ चढ़ाते वक़्त बजाए जाएँ। फिर तुम्हारा ख़ुदा तुम्हें याद करेगा। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ।”


मासियाह, समायाह, इलियज़र, उज़्ज़ी, यूहनान, मलकियाह, ऐलाम और अज़र भी हमारे साथ थे। गुलूकार इज़्रख़ियाह की राहनुमाई में हम्दो-सना के गीत गाते रहे।


मैं शादमान होकर तेरी ख़ुशी मनाऊँगा। ऐ अल्लाह तआला, मैं तेरे नाम की तमजीद में गीत गाऊँगा।


फ़सील की मख़सूसियत के लिए पूरे मुल्क के लावियों को यरूशलम बुलाया गया ताकि वह ख़ुशी मनाने में मदद करके हम्दो-सना के गीत गाएँ और झाँझ, सितार और सरोद बजाएँ।


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