हर दफ़ा जब ज़ियाफ़त के दिन इख़्तिताम तक पहुँचते तो अय्यूब अपने बच्चों को बुलाकर उन्हें पाक-साफ़ कर देता और सुबह-सवेरे उठकर हर एक के लिए भस्म होनेवाली एक एक क़ुरबानी पेश करता। क्योंकि वह कहता था, “हो सकता है मेरे बच्चों ने गुनाह करके दिल में अल्लाह पर लानत की हो।” चुनाँचे अय्यूब हर ज़ियाफ़त के बाद ऐसा ही करता था।
