चश्मे के दरवाज़े की तामीर सल्लून बिन कुलहोज़ा के हाथ में थी जो ज़िले मिसफ़ाह का अफ़सर था। उसने दरवाज़े पर छत बनाकर उसके किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगा दिए। साथ साथ उसने फ़सील के उस हिस्से की मरम्मत की जो शाही बाग़ के पासवाले तालाब से गुज़रता है। यह वही तालाब है जिसमें पानी नाले के ज़रीए पहुँचता है। सल्लून ने फ़सील को उस सीढ़ी तक तामीर किया जो यरूशलम के उस हिस्से से उतरती है जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है।
