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نحمیاہ 10:34 - किताबे-मुक़द्दस

34 हमने क़ुरा डालकर मुक़र्रर किया है कि इमामों, लावियों और बाक़ी क़ौम के कौन कौन-से ख़ानदान साल में किन किन मुक़र्ररा मौक़ों पर रब के घर में लकड़ी पहुँचाएँ। यह लकड़ी हमारे ख़ुदा की क़ुरबानगाह पर क़ुरबानियाँ जलाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी, जिस तरह शरीअत में लिखा है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

34 ”ہم نے یعنی کاہِنوں، لیویوں اَور لوگوں نے قُرعے ڈالے تاکہ مَعلُوم کریں کہ تورہ کے مُطابق ہر سال مُقرّرہ اوقات پر یَاہوِہ اَپنے خُدا کے مذبح پر جَلانے کے لیٔے ہم میں سے ہر ایک خاندان اَپنے حِصّہ کی لکڑی کب یَاہوِہ کے گھر میں لایا کرے۔

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کِتابِ مُقادّس

34 اور ہم نے یعنی کاہِنوں اور لاویوں اور لوگوں نے لکڑی کے ہدئے کی بابت قُرعے ڈالے تاکہ اُسے اپنے خُدا کے گھر میں باپ دادا کے گھرانوں کے مُطابِق مُقرّرہ وقتوں پر سال بہ سال خُداوند اپنے خُدا کے مذبح پر جلانے کو لایا کریں جَیسا شرِیعت میں لِکھا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

34 ہم نے قرعہ ڈال کر مقرر کیا ہے کہ اماموں، لاویوں اور باقی قوم کے کون کون سے خاندان سال میں کن کن مقررہ موقعوں پر رب کے گھر میں لکڑی پہنچائیں۔ یہ لکڑی ہمارے خدا کی قربان گاہ پر قربانیاں جلانے کے لئے استعمال کی جائے گی، جس طرح شریعت میں لکھا ہے۔

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نحمیاہ 10:34
16 حوالہ جات  

नीज़, मैंने ध्यान दिया कि फ़सल की पहली पैदावार और क़ुरबानियों को जलाने की लकड़ी वक़्त पर रब के घर में पहुँचाई जाए। ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे याद करके मुझ पर मेहरबानी कर!।


ख़ाह लुबनान के तमाम दरख़्त और जानवर रब के लिए क़ुरबान क्यों न होते तो भी मुनासिब क़ुरबानी के लिए काफ़ी न होते।


क़ुरा डालने से झगड़े ख़त्म हो जाते और बड़ों का एक दूसरे से लड़ने का ख़तरा दूर हो जाता है।


क़ौम के बुज़ुर्ग यरूशलम में आबाद हुए थे। फ़ैसला किया गया कि बाक़ी लोगों के हर दसवें ख़ानदान को मुक़द्दस शहर यरूशलम में बसना है। यह ख़ानदान क़ुरा डालकर मुक़र्रर किए गए। बाक़ी ख़ानदानों को उनकी मक़ामी जगहों में रहने की इजाज़त थी।


1. यहूयरीब, 2. यदायाह,


तमाम ज़िम्मादारियाँ क़ुरा डालकर इन मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम की गईं, क्योंकि इलियज़र और इतमर दोनों ख़ानदानों के बहुत सारे ऐसे अफ़सर थे जो पहले से मक़दिस में रब की ख़िदमत करते थे।


उसी दिन उसने जिबऊनियों को लकड़हारे और पानी भरनेवाले बना दिया ताकि वह जमात और रब की उस क़ुरबानगाह की ख़िदमत करें जिसका मक़ाम रब को अभी चुनना था। और यह लोग आज तक यही कुछ करते हैं।


यह कहकर उन्होंने दोनों का नाम लेकर क़ुरा डाला तो मत्तियाह का नाम निकला। लिहाज़ा उसे भी ग्यारह रसूलों में शामिल कर लिया गया।


बारह रोटियाँ पकाना। हर रोटी के लिए 3 किलोग्राम बेहतरीन मैदा इस्तेमाल किया जाए।


उन्हें दो क़तारों में रब के सामने ख़ालिस सोने की मेज़ पर रखना।


“इसराईलियों को बताना, ख़याल रखो कि तुम मुक़र्ररा औक़ात पर मुझे जलनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करो। यह मेरी रोटी हैं और इनकी ख़ुशबू मुझे पसंद है।


उसने सूर के बादशाह हीराम को इत्तला दी, “जिस तरह आप मेरे बाप दाऊद को देवदार की लकड़ी भेजते रहे जब वह अपने लिए महल बना रहे थे उसी तरह मुझे भी देवदार की लकड़ी भेजें।


उस वक़्त से इमाम भस्म होनेवाली तमाम दरकार क़ुरबानियाँ बाक़ायदगी से पेश करने लगे, नीज़ नए चाँद की ईदों और रब की बाक़ी मख़सूसो-मुक़द्दस ईदों की क़ुरबानियाँ। क़ौम अपनी ख़ुशी से भी रब को क़ुरबानियाँ पेश करती थी।


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