33 अल्लाह के लिए मख़सूस रोटी, ग़ल्ला की नज़र और भस्म होनेवाली वह क़ुरबानियाँ जो रोज़ाना पेश की जाती हैं, सबत के दिन, नए चाँद की ईद और बाक़ी ईदों पर पेश की जानेवाली क़ुरबानियाँ, ख़ास मुक़द्दस क़ुरबानियाँ, इसराईल का कफ़्फ़ारा देनेवाली गुनाह की क़ुरबानियाँ, और हमारे ख़ुदा के घर का हर काम।
33 یعنی نذر کی روٹی کے لیٔے، اناج کی دائمی نذروں اَور سوختنی نذروں کے لیٔے، سَبتوں، نئے چاند کی عیدوں اَور مُقرّرہ عیدوں کے لیٔے، پاکیزگی کی نذروں کے لیٔے اَور اِسرائیل کے کفّارے کے لئے گُناہ کی قُربانی کی نذروں کے لیٔے اَور اَپنے خُدا کے گھر میں دیگر فرائض کے لیٔے۔
33 یعنی سبتوں اور نئے چاندوں کی نذر کی روٹی اور دائِمی نذر کی قُربانی اور دائِمی سوختنی قُربانی کے لِئے اور مُقرّرہ عِیدوں اور مُقدّس چِیزوں اور خطا کی قُربانِیوں کے لِئے کہ اِسرائیل کے واسطے کفّارہ ہو اور اپنے خُدا کے گھر کے سب کاموں کے لِئے۔
33 اللہ کے لئے مخصوص روٹی، غلہ کی نذر اور بھسم ہونے والی وہ قربانیاں جو روزانہ پیش کی جاتی ہیں، سبت کے دن، نئے چاند کی عید اور باقی عیدوں پر پیش کی جانے والی قربانیاں، خاص مُقدّس قربانیاں، اسرائیل کا کفارہ دینے والی گناہ کی قربانیاں، اور ہمارے خدا کے گھر کا ہر کام۔
मैं एक घर तामीर करके उसे रब अपने ख़ुदा के नाम के लिए मख़सूस करना चाहता हूँ। क्योंकि हमें ऐसी जगह की ज़रूरत है जिसमें उसके हुज़ूर ख़ुशबूदार बख़ूर जलाया जाए, रब के लिए मख़सूस रोटियाँ बाक़ायदगी से मेज़ पर रखी जाएँ और ख़ास मौक़ों पर भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश की जाएँ यानी हर सुबहो-शाम, सबत के दिन, नए चाँद की ईदों और रब हमारे ख़ुदा की दीगर मुक़र्ररा ईदों पर। यह इसराईल का दायमी फ़र्ज़ है।
हर इमाम रोज़ बरोज़ मक़दिस में खड़ा अपनी ख़िदमत के फ़रायज़ अदा करता है। रोज़ाना और बार बार वह वही क़ुरबानियाँ पेश करता रहता है जो कभी भी गुनाहों को दूर नहीं कर सकतीं।
चुनाँचे कोई आपको इस वजह से मुजरिम न ठहराए कि आप क्या क्या खाते-पीते या कौन कौन-सी ईदें मनाते हैं। इसी तरह कोई आपकी अदालत न करे अगर आप हिलाल की ईद या सबत का दिन नहीं मनाते।
कफ़्फ़ारे की यह रक़म मुलाक़ात के ख़ैमे की ख़िदमत के लिए इस्तेमाल करना। फिर यह नज़राना रब को याद दिलाता रहेगा कि तुम्हारी जानों का कफ़्फ़ारा दिया गया है।”