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نحمیاہ 10:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 ज़ैल के लोगों ने दस्तख़त किए। गवर्नर नहमियाह बिन हकलियाह, सिदक़ियाह,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَور جنہوں نے مُہر لگائی وہ تھے: حاکم: نحمیاہ بِن حکلیاہؔ۔ اَور صِدقیاہؔ،

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کِتابِ مُقادّس

1 اور وہ جِنہوں نے مُہر لگائی یہ ہیں نحمیاؔہ بِن حکلیاؔہ حاکِم اور صِدقیاؔہ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 ذیل کے لوگوں نے دست خط کئے۔ گورنر نحمیاہ بن حکلیاہ، صِدقیاہ،

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نحمیاہ 10:1
11 حوالہ جات  

यह तमाम बातें मद्दे-नज़र रखकर हम अहद बाँधकर उसे क़लमबंद कर रहे हैं। हमारे बुज़ुर्ग, लावी और इमाम दस्तख़त करके अहदनामे पर मुहर लगा रहे हैं।”


शरीअत की बातें सुन सुनकर वह रोने लगे। लेकिन नहमियाह गवर्नर, शरीअत के आलिम अज़रा इमाम और शरीअत की तशरीह करनेवाले लावियों ने उन्हें तसल्ली देकर कहा, “उदास न हों और मत रोएँ! आज रब आपके ख़ुदा के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस ईद है।


ज़ैल में नहमियाह बिन हकलियाह की रिपोर्ट दर्ज है। मैं अर्तख़शस्ता बादशाह की हुकूमत के 20वें साल किसलेव के महीने में सोसन के क़िले में था


कुछ ख़ानदानी सरपरस्तों ने रब के घर की तामीरे-नौ के लिए अपनी ख़ुशी से हदिये दिए। गवर्नर ने सोने के 1,000 सिक्के, 50 कटोरे और इमामों के 530 लिबास दिए।


यहूदाह के गवर्नर ने हुक्म दिया कि इन तीन ख़ानदानों के इमाम फ़िलहाल क़ुरबानियों का वह हिस्सा खाने में शरीक न हों जो इमामों के लिए मुक़र्रर है। जब दुबारा इमामे-आज़म मुक़र्रर किया जाए तो वही ऊरीम और तुम्मीम नामी क़ुरा डालकर मामला हल करे।


यहूदाह के गवर्नर ने हुक्म दिया कि इन तीन ख़ानदानों के इमाम फ़िलहाल क़ुरबानियों का वह हिस्सा खाने में शरीक न हों जो इमामों के लिए मुक़र्रर है। जब दुबारा इमामे-आज़म मुक़र्रर किया जाए तो वही ऊरीम और तुम्मीम नामी क़ुरा डालकर मामला हल करे।


सिरायाह, अज़रियाह, यरमियाह,


तब मूसा ने रब की तमाम बातें लिख लीं। अगले दिन वह सुबह-सवेरे उठा और पहाड़ के पास गया। उसके दामन में उसने क़ुरबानगाह बनाई। साथ ही उसने इसराईल के हर एक क़बीले के लिए एक एक पत्थर का सतून खड़ा किया।


फिर बादशाह ने सतून के पास खड़े होकर रब के हुज़ूर अहद बाँधा और वादा किया, “हम रब की पैरवी करेंगे, हम पूरे दिलो-जान से उसके अहकाम और हिदायात पूरी करके इस किताब में दर्ज अहद की बातें क़ायम रखेंगे।” पूरी क़ौम अहद में शरीक हुई।


आएँ, हम अपने ख़ुदा से अहद बाँधकर वादा करें कि हम उन तमाम औरतों को उनके बच्चों समेत वापस भेज देंगे। जो भी मशवरा आप और अल्लाह के अहकाम का ख़ौफ़ माननेवाले दीगर लोग हमें देंगे वह हम करेंगे। सब कुछ शरीअत के मुताबिक़ किया जाए।


नीज़, उन्होंने क़सम खाकर वादा किया, “हम अपने बेटे-बेटियों की शादी ग़ैरयहूदियों से नहीं कराएँगे।


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