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میکاہ 6:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 जब हम रब के हुज़ूर आते हैं ताकि अल्लाह तआला को सिजदा करें तो हमें अपने साथ क्या लाना चाहिए? क्या हमें यकसाला बछड़े उसके हुज़ूर लाकर भस्म करने चाहिएँ?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 میں کیا لے کر یَاہوِہ کے حُضُور میں آؤں، اَور خدائے تعالیٰ کو کیسے سَجدہ کروں؟ کیا سوختنی نذروں، اَور ایک سالہ بچھڑوں کے ساتھ اُس کے حُضُور میں آؤں؟

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کِتابِ مُقادّس

6 مَیں کیا لے کر خُداوند کے حضُور آؤُں اور خُدا تعالےٰ کو کیونکر سِجدہ کرُوں؟ کیا سوختنی قُربانِیوں اور یکسالہ بچھڑوں کو لے کر اُس کے حضُور آؤُں؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 جب ہم رب کے حضور آتے ہیں تاکہ اللہ تعالیٰ کو سجدہ کریں تو ہمیں اپنے ساتھ کیا لانا چاہئے؟ کیا ہمیں یک سالہ بچھڑے اُس کے حضور لا کر بھسم کرنے چاہئیں؟

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میکاہ 6:6
39 حوالہ جات  

पतरस की यह बातें सुनकर लोगों के दिल छिद गए। उन्होंने पतरस और बाक़ी रसूलों से पूछा, “भाइयो, फिर हम क्या करें?”


वह ज़ोर से चीख़ा, “ऐ ईसा अल्लाह तआला के फ़रज़ंद, मेरा आपके साथ क्या वास्ता है? अल्लाह के नाम में आपको क़सम देता हूँ कि मुझे अज़ाब में न डालें।”


फिर एक आदमी ईसा के पास आया। उसने कहा, “उस्ताद, में कौन-सा नेक काम करूँ ताकि अबदी ज़िंदगी मिल जाए?”


नबूकदनज़्ज़र जलती हुई भट्टी के मुँह के क़रीब गया और पुकारा, “ऐ सद्रक, मीसक और अबद-नजू, ऐ अल्लाह तआला के बंदो, निकल आओ! इधर आओ।” तब सद्रक, मीसक और अबद-नजू आग से निकल आए।


फिर उन्हें बाहर ले जाकर उसने पूछा, “साहबो, मुझे नजात पाने के लिए क्या करना है?”


वह पौलुस और हमारे पीछे पड़कर चीख़ चीख़कर कहने लगी, “यह आदमी अल्लाह तआला के ख़ादिम हैं जो आपको नजात की राह बताने आए हैं।”


ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुमको सच बताता हूँ, तुम मुझे इसलिए नहीं ढूँड रहे कि इलाही निशान देखे हैं बल्कि इसलिए कि तुमने जी भरकर रोटी खाई है।


एक मौक़े पर शरीअत का एक आलिम ईसा को फँसाने की ख़ातिर खड़ा हुआ। उसने पूछा, “उस्ताद, मैं क्या क्या करने से मीरास में अबदी ज़िंदगी पा सकता हूँ?”


उन्हें इनसानी संगत से निकालकर भगाया गया, और उनका दिल जानवर के दिल की मानिंद बन गया। उनका रहन-सहन जंगली गधों के साथ था, और वह बैलों की तरह घास चरने लगे। उनका जिस्म आसमान की ओस से तर रहता था। यह हालत उस वक़्त तक रही जब तक कि उन्होंने इक़रार न किया कि अल्लाह तआला का इनसानी सलतनतों पर इख़्तियार है, वह अपनी ही मरज़ी से लोगों को उन पर मुक़र्रर करता है।


ऐ बादशाह, जो सलतनत, अज़मत और शानो-शौकत आपके बाप नबूकदनज़्ज़र को हासिल थी वह अल्लाह तआला से मिली थी।


मैं बोला, “ऐ बेल्तशज़्ज़र, तुम जादूगरों के सरदार हो, और मैं जानता हूँ कि मुक़द्दस देवताओं की रूह तुममें है। कोई भी भेद तुम्हारे लिए इतना मुश्किल नहीं है कि तुम उसे खोल न सको। अब मेरा ख़ाब सुनकर उस की ताबीर करो!


आओ हम सिजदा करें और रब अपने ख़ालिक़ के सामने झुककर घुटने टेकें।


दुनिया के तमाम बड़े लोग उसके हुज़ूर खाएँगे और सिजदा करेंगे। ख़ाक में उतरनेवाले सब उसके सामने झुक जाएंगे, वह सब जो अपनी ज़िंदगी को ख़ुद क़ायम नहीं रख सकते।


दाऊद ने जिबऊनियों से पूछा, “मैं उस ज़्यादती का कफ़्फ़ारा किस तरह दे सकता हूँ जो आपसे हुई है? मैं आपके लिए क्या करूँ ताकि आप दुबारा उस ज़मीन को बरकत दें जो रब ने हमें मीरास में दी है?”


इसके लिए एक साल का नर बच्चा चुन लेना जिसमें नुक़्स न हो। वह भेड़ या बकरी का बच्चा हो सकता है।


इस वजह से मैं बाप के हुज़ूर अपने घुटने टेकता हूँ,


हमें उसे अपने पूरे दिल, अपने पूरे ज़हन और अपनी पूरी ताक़त से प्यार करना चाहिए और साथ साथ अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखनी चाहिए जैसी अपने आपसे रखते हैं। यह दो अहकाम भस्म होनेवाली तमाम क़ुरबानियों और दीगर नज़रों से ज़्यादा अहमियत रखते हैं।”


हर इमाम रोज़ बरोज़ मक़दिस में खड़ा अपनी ख़िदमत के फ़रायज़ अदा करता है। रोज़ाना और बार बार वह वही क़ुरबानियाँ पेश करता रहता है जो कभी भी गुनाहों को दूर नहीं कर सकतीं।


लेकिन समुएल ने जवाब दिया, “रब को क्या बात ज़्यादा पसंद है, आपकी भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ या यह कि आप उस की सुनते हैं? सुनना क़ुरबानी से कहीं बेहतर और ध्यान देना मेंढे की चरबी से कहीं उम्दा है।


आओ, हम शुक्रगुज़ारी के साथ उसके हुज़ूर आएँ, गीत गाकर उस की सताइश करें।


ख़ाह लुबनान के तमाम दरख़्त और जानवर रब के लिए क़ुरबान क्यों न होते तो भी मुनासिब क़ुरबानी के लिए काफ़ी न होते।


मुझे सबा के बख़ूर या दूर-दराज़ ममालिक के क़ीमती मसालों की क्या परवा! तुम्हारी भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ मुझे पसंद नहीं, तुम्हारी ज़बह की क़ुरबानियों से मैं लुत्फ़अंदोज़ नहीं होता।”


जब बाक़ी इसराईली किसी ईद पर रब को सिजदा करने आएँ तो जो शिमाली दरवाज़े से बैरूनी सहन में दाख़िल हों वह इबादत के बाद जुनूबी दरवाज़े से निकलें, और जो जुनूबी दरवाज़े से दाख़िल हों वह शिमाली दरवाज़े से निकलें। कोई उस दरवाज़े से न निकले जिसमें से वह दाख़िल हुआ बल्कि मुक़ाबिल के दरवाज़े से।


तब वह अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को लेकर रब को तलाश करेंगे, लेकिन बेफ़ायदा। वह उसे पा नहीं सकेंगे, क्योंकि वह उन्हें छोड़कर चला गया है।


जो भस्म होनेवाली और ग़ल्ला की क़ुरबानियाँ तुम मुझे पेश करते हो उन्हें मैं पसंद नहीं करता, जो मोटे-ताज़े बैल तुम मुझे सलामती की क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाते हो उन पर मैं नज़र भी नहीं डालना चाहता।


पहले, बेख़मीरी रोटी की ईद मनाना। अबीब के महीने में सात दिन तक तेरी रोटी में ख़मीर न हो जिस तरह मैंने हुक्म दिया है, क्योंकि इस महीने में तू मिसर से निकला। इन दिनों में कोई मेरे हुज़ूर ख़ाली हाथ न आए।


जो भलाइयाँ रब ने मेरे साथ की हैं उन सबके एवज़ मैं क्या दूँ?


रब बेदीनों की क़ुरबानी से घिन खाता, लेकिन सीधी राह पर चलनेवालों की दुआ से ख़ुश होता है।


रास्तबाज़ी और इनसाफ़ करना रब को ज़बह की क़ुरबानियों से कहीं ज़्यादा पसंद है।


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