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میکاہ 3:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 लेकिन जो अच्छा है उससे तुम नफ़रत करते और जो ग़लत है उसे प्यार करते हो। तुम मेरी क़ौम की खाल उतारकर उसका गोश्त हड्डियों से जुदा कर लेते हो।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 تُم جو نیکی سے نفرت کرتے ہو اَور بدی سے مَحَبّت رکھتے ہو؛ اَور لوگوں کی کھال اُتار لیتے ہو اَور اُن کی ہڈّیوں سے گوشت نوچتے ہو۔

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کِتابِ مُقادّس

2 تُم نیکی سے عداوت اور بدی سے مُحبّت رکھتے ہو اور لوگوں کی کھال اُتارتے اور اُن کی ہڈِّیوں پر سے گوشت نوچتے ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 لیکن جو اچھا ہے اُس سے تم نفرت کرتے اور جو غلط ہے اُسے پیار کرتے ہو۔ تم میری قوم کی کھال اُتار کر اُس کا گوشت ہڈیوں سے جدا کر لیتے ہو۔

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میکاہ 3:2
32 حوالہ جات  

मुल्क के दरमियान के बुज़ुर्ग भेड़ियों की मानिंद हैं जो अपने शिकार को फाड़ फाड़कर ख़ून बहाते और लोगों को मौत के घाट उतारते हैं ताकि नारवा नफ़ा कमाएँ।


जिसने शरीअत को तर्क किया वह बेदीन की तारीफ़ करता है, लेकिन जो शरीअत के ताबे रहता है वह उस की मुख़ालफ़त करता है।


क्या जो बदी करके मेरी क़ौम को रोटी की तरह खा लेते हैं उन्हें समझ नहीं आती? वह तो अल्लाह को पुकारते ही नहीं।


आपकी मुहब्बत महज़ दिखावे की न हो। जो कुछ बुरा है उससे नफ़रत करें और जो कुछ अच्छा है उसके साथ लिपटे रहें।


यह तुमने कैसी गुस्ताख़ी कर दिखाई? यह मेरी ही क़ौम है जिसे तुम कुचल रहे हो। तुम मुसीबतज़दों के चेहरों को चक्की में पीस रहे हो।” क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज यों फ़रमाता है।


उस वक़्त याहू बिन हनानी जो ग़ैबबीन था उसे मिलने के लिए निकला और बादशाह से कहा, “क्या यह ठीक है कि आप शरीर की मदद करें? आप क्यों उनको प्यार करते हैं जो रब से नफ़रत करते हैं? यह देखकर रब का ग़ज़ब आप पर नाज़िल हुआ है।


जब इलियास अख़ियब के पास पहुँचा तो बादशाह बोला, “मेरे दुश्मन, क्या आपने मुझे ढूँड निकाला है?” इलियास ने जवाब दिया, “जी, मैंने आपको ढूँड निकाला है, क्योंकि आपने अपने आपको बदी के हाथ में बेचकर ऐसा काम किया है जो रब को नापसंद है।


और मुहब्बत से ख़ाली होंगे। वह सुलह करने के लिए तैयार नहीं होंगे, दूसरों पर तोहमत लगाएँगे, ऐयाश और वहशी होंगे और भलाई से नफ़रत रखेंगे।


अगरचे वह अल्लाह का फ़रमान जानते हैं कि ऐसा करनेवाले सज़ाए-मौत के मुस्तहिक़ हैं तो भी वह ऐसा करते हैं। न सिर्फ़ यह बल्कि वह ऐसा करनेवाले दीगर लोगों को शाबाश भी देते हैं।


लेकिन जवाब में लोग चिल्लाने लगे, “नहीं, इसको नहीं बल्कि बर-अब्बा को।” (बर-अब्बा डाकू था।)


दुनिया तुमसे दुश्मनी नहीं रख सकती। लेकिन मुझसे वह दुश्मनी रखती है, क्योंकि मैं उसके बारे में यह गवाही देता हूँ कि उसके काम बुरे हैं।


लेकिन उस की रिआया उससे नफ़रत रखती थी, इसलिए उसने उसके पीछे वफ़द भेजकर इत्तला दी, ‘हम नहीं चाहते कि यह आदमी हमारा बादशाह बने।’


जो बुज़ुर्ग उसके बीच में हैं वह दहाड़ते हुए शेरबबर हैं। उसके क़ाज़ी शाम के वक़्त भूके फिरनेवाले भेड़ीए हैं जो तुलूए-सुबह तक शिकार की एक हड्डी तक नहीं छोड़ते।


तुम भेड़-बकरियों का दूध पीते, उनकी ऊन के कपड़े पहनते और बेहतरीन जानवरों का गोश्त खाते हो। तो भी तुम रेवड़ की देख-भाल नहीं करते!


वह मरदूद को हक़ीर जानता लेकिन ख़ुदातरस की इज़्ज़त करता है। जो वादा उसने क़सम खाकर किया उसे पूरा करता है, ख़ाह उसे कितना ही नुक़सान क्यों न पहुँचे।


लेकिन मैं लोगों पर तेरी नाम-निहाद रास्तबाज़ी और तेरे काम ज़ाहिर करूँगा। यक़ीनन यह तेरे लिए मुफ़ीद नहीं होंगे।


चुनाँचे रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, ‘बेशक शहर देग है, लेकिन तुम उसमें पकनेवाला अच्छा गोश्त नहीं होगे बल्कि वही जिनको तुमने उसके दरमियान क़त्ल किया है। तुम्हें मैं इस शहर से निकाल दूँगा।


फिर उसे बेहतरीन गोश्त से भर दे। रान और शाने के टुकड़े, नीज़ बेहतरीन हड्डियाँ उसमें डाल दे।


लेकिन काफ़ी देर से मेरी क़ौम दुश्मन बनकर उठ खड़ी हुई है। जिन लोगों का जंग करने से ताल्लुक़ ही नहीं उनसे तुम चादर तक सब कुछ छीन लेते हो जब वह अपने आपको महफ़ूज़ समझकर तुम्हारे पास से गुज़रते हैं।


मुल्क में से दियानतदार मिट गए हैं, एक भी ईमानदार नहीं रहा। सब ताक में बैठे हैं ताकि एक दूसरे को क़त्ल करें, हर एक अपना जाल बिछाकर अपने भाई को पकड़ने की कोशिश करता है।


दोनों हाथ ग़लत काम करने में एक जैसे माहिर हैं। हुक्मरान और क़ाज़ी रिश्वत खाते, बड़े लोग मुतलव्विनमिज़ाजी से कभी यह, कभी वह तलब करते हैं। सब मिलकर साज़िशें करने में मसरूफ़ रहते हैं।


तुम पर अफ़सोस जो बुराई को भुला और भलाई को बुरा क़रार देते हो, जो कहते हो कि तारीकी रौशनी और रौशनी तारीकी है, कि कड़वाहट मीठी और मिठास कड़वी है।


ऐ कोहे-सामरिया की मोटी-ताज़ी गायो, सुनो मेरी बात! तुम ग़रीबों पर ज़ुल्म करती और ज़रूरतमंदों को कुचल देती, तुम अपने शौहरों को कहती हो, “जाकर मै ले आओ, हम और पीना चाहती हैं।”


बुराई से नफ़रत करो और जो कुछ अच्छा है उसे प्यार करो। अदालतों में इनसाफ़ क़ायम रखो, शायद रब जो लशकरों का ख़ुदा है यूसुफ़ के बचे-खुचे हिस्से पर रहम करे।


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