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میکاہ 2:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 जब वह किसी खेत या मकान के लालच में आ जाते हैं तो उसे छीन लेते हैं। वह लोगों पर ज़ुल्म करके उनके घर और मौरूसी मिलकियत उनसे लूट लेते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 وہ لالچ سے کھیتوں کو ضَبط کرلیتے ہیں، اَور گھروں کو چھین لیتے ہیں۔ وہ لوگوں کو اُن کے گھروں سے، اَور اَپنے ہم جنسوں کو اُن کی مِیراث سے محروم کر دیتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

2 وہ لالچ سے کھیتوں کو ضبط کرتے اور گھروں کو چِھین لیتے ہیں اور یُوں آدمی اور اُس کے گھر پر ہاں مَرد اور اُس کی مِیراث پر ظُلم کرتے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 جب وہ کسی کھیت یا مکان کے لالچ میں آ جاتے ہیں تو اُسے چھین لیتے ہیں۔ وہ لوگوں پر ظلم کر کے اُن کے گھر اور موروثی ملکیت اُن سے لُوٹ لیتے ہیں۔

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میکاہ 2:2
28 حوالہ جات  

तुम पर अफ़सोस जो यके बाद दीगरे घरों और खेतों को अपनाते जा रहे हो। आख़िरकार दीगर तमाम लोगों को निकलना पड़ेगा और तुम मुल्क में अकेले ही रहोगे।


ऐ ग़रीबों को कुचलनेवालो, ऐ ज़रूरतमंदों को तबाह करनेवालो, सुनो!


लेकिन तू फ़रक़ है। तेरी आँखें और दिल नाजायज़ नफ़ा कमाने पर तुले रहते हैं। न तू बेक़ुसूर को क़त्ल करने से, न ज़ुल्म करने या जबरन कुछ लेने से झिजकता है।”


ग़रीबों और ज़रूरतमंदों पर ज़ुल्म करता और चोरी करता है। जब क़र्ज़दार क़र्ज़ा अदा करे तो वह उसे ज़मानत वापस नहीं देता। वह बुतों की पूजा बल्कि कई क़िस्म की मकरूह हरकतें करता है।


क्योंकि पैसों का लालच हर ग़लत काम का सरचश्मा है। कई लोगों ने इसी लालच के बाइस ईमान से भटककर अपने आपको बहुत अज़ियत पहुँचाई है।


शरीअत के आलिमो और फ़रीसियो, तुम पर अफ़सोस! रियाकारो! तुम लोगों के सामने आसमान की बादशाही पर ताला लगाते हो। न तुम ख़ुद दाख़िल होते हो, न उन्हें दाख़िल होने देते हो जो अंदर जाना चाहते हैं।


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “मैं तुम्हारी अदालत करने के लिए तुम्हारे पास आऊँगा। जल्द ही मैं उनके ख़िलाफ़ गवाही दूँगा जो मेरा ख़ौफ़ नहीं मानते, जो जादूगर और ज़िनाकार हैं, जो झूटी क़सम खाते, मज़दूरों का हक़ मारते, बेवाओं और यतीमों पर ज़ुल्म करते और अजनबियों का हक़ मारते हैं।


ऐ याक़ूब के राहनुमाओ, ऐ इसराईल के बुज़ुर्गो, सुनो! तुम इनसाफ़ से घिन खाकर हर सीधी बात को टेढ़ी बना लेते हो।


तुझमें ऐसे लोग हैं जो रिश्वत के एवज़ क़त्ल करते हैं। सूद क़ाबिले-क़बूल है, और लोग एक दूसरे पर ज़ुल्म करके नाजायज़ नफ़ा कमाते हैं। रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ यरूशलम, तू मुझे सरासर भूल गई है!


‘यक़ीन जान कि कल नबोत और उसके बेटों का क़त्ल मुझसे छुपा न रहा। इसका मुआवज़ा मैं तुझे नबोत की इसी ज़मीन पर दूँगा।’ चुनाँचे अब यूराम को उठाकर उस ज़मीन पर फेंक दें ताकि रब की बात पूरी हो जाए।”


अपने पड़ोसी के घर का लालच न करना। न उस की बीवी का, न उसके नौकर का, न उस की नौकरानी का, न उसके बैल और न उसके गधे का बल्कि उस की किसी भी चीज़ का लालच न करना।”


क्या मेरी ज़मीन ने मदद के लिए पुकारकर मुझ पर इलज़ाम लगाया है? क्या उस की रेघारयाँ मेरे सबब से मिलकर रो पड़ी हैं?


इसके बाद एक और क़ाबिले-ज़िक्र बात हुई। यज़्रएल में सामरिया के बादशाह अख़ियब का एक महल था। महल की ज़मीन के साथ साथ अंगूर का बाग़ था। मालिक का नाम नबोत था।


रब ने फ़रमाया, “ऐ आदमज़ाद, क्या तुझे यह नज़र आता है? और यह मकरूह हरकतें भी यहूदाह के बाशिंदों के लिए काफ़ी नहीं हैं बल्कि वह पूरे मुल्क को ज़ुल्मो-तशद्दुद से भरकर मुझे मुश्तइल करने के लिए कोशाँ रहते हैं। देख, अब वह अपनी नाकों के सामने अंगूर की बेल लहराकर बुतपरस्ती की एक और रस्म अदा कर रहे हैं!


तेरा नाजायज़ नफ़ा और तेरे बीच में ख़ूनरेज़ी देखकर मैं ग़ुस्से में ताली बजाता हूँ।


तुम अपनी तलवार पर भरोसा रखकर क़ाबिले-घिन हरकतें करते हो, हत्ता कि हर एक अपने पड़ोसी की बीवी से ज़िना करता है। तो फिर मुल्क किस तरह तुम्हें हासिल हो सकता है?’


हुक्मरान को जबरन दूसरे इसराईलियों की मौरूसी ज़मीन अपनाने की इजाज़त नहीं। लाज़िम है कि जो भी ज़मीन वह अपने बेटों में तक़सीम करे वह उस की अपनी ही मौरूसी ज़मीन हो। मेरी क़ौम में से किसी को निकालकर उस की मौरूसी ज़मीन से महरूम करना मना है’।”


वह ग़रीबों के सर को ज़मीन पर कुचल देते, मुसीबतज़दों को इनसाफ़ मिलने से रोकते हैं। बाप और बेटा दोनों एक ही कसबी के पास जाकर मेरे नाम की बेहुरमती करते हैं।


यरूशलम के अमीर बड़े ज़ालिम हैं, लेकिन बाक़ी बाशिंदे भी झूट बोलते हैं, उनकी हर बात धोका ही धोका है!


रब अपनी क़ौम के बुज़ुर्गों और रईसों का फ़ैसला करने के लिए सामने आकर फ़रमाता है, “तुम ही अंगूर के बाग़ में चरते हुए सब कुछ खा गए हो, तुम्हारे घर ज़रूरतमंदों के लूटे हुए माल से भरे पड़े हैं।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ इसराईली हुक्मरानो, अब बस करो! अपनी ग़लत हरकतों से बाज़ आओ। अपना ज़ुल्मो-तशद्दुद छोड़कर इनसाफ़ और रास्तबाज़ी क़ायम करो। मेरी क़ौम को उस की मौरूसी ज़मीन से भगाने से बाज़ आओ। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


ऐ कोहे-सामरिया की मोटी-ताज़ी गायो, सुनो मेरी बात! तुम ग़रीबों पर ज़ुल्म करती और ज़रूरतमंदों को कुचल देती, तुम अपने शौहरों को कहती हो, “जाकर मै ले आओ, हम और पीना चाहती हैं।”


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