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میکاہ 2:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 उन पर अफ़सोस जो दूसरों को नुक़सान पहुँचाने के मनसूबे बाँधते और अपने बिस्तर पर ही साज़िशें करते हैं। पौ फटते ही वह उठकर उन्हें पूरा करते हैं, क्योंकि वह यह करने का इख़्तियार रखते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اُن پر افسوس جو بدی کا منصُوبہ باندھتے ہیں، اَور بِستر پر پڑے ہُوئے شرارت کا منصُوبہ بناتے ہیں! اَور صُبح ہوتے ہی اُس پر عَمل کرتے ہیں کیونکہ وہ عَمل کرنے کی طاقت رکھتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اُن پر افسوس جو بدکرداری کے منصُوبے باندھتے اور بِستر پر پڑے پڑے شرارت کی تدبِیریں اِیجاد کرتے ہیں اور صُبح ہوتے ہی اُن کو عمل میں لاتے ہیں! کیونکہ اُن کو اِس کا اِختیار ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 اُن پر افسوس جو دوسروں کو نقصان پہنچانے کے منصوبے باندھتے اور اپنے بستر پر ہی سازشیں کرتے ہیں۔ پَو پھٹتے ہی وہ اُٹھ کر اُنہیں پورا کرتے ہیں، کیونکہ وہ یہ کرنے کا اختیار رکھتے ہیں۔

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میکاہ 2:1
40 حوالہ جات  

अपने बिस्तर पर भी वह शरारत के मनसूबे बाँधता है। वह मज़बूती से बुरी राह पर खड़ा रहता और बुराई को मुस्तरद नहीं करता।


बदमाश के तरीक़े-कार शरीर हैं। वह ज़रूरतमंद को झूट से तबाह करने के मनसूबे बाँधता रहता है, ख़ाह ग़रीब हक़ पर क्यों न हो।


ऐ नीनवा, तुझसे वह निकल आया जिसने रब के ख़िलाफ़ बुरे मनसूबे बाँधे, जिसने शैतानी मशवरे दिए।


तोहमत लगानेवाले, अल्लाह से नफ़रत करनेवाले, सरकश, मग़रूर, शेख़ीबाज़, बदी को ईजाद करनेवाले, माँ-बाप के नाफ़रमान,


यह सुनकर लोग आपस में कहने लगे, “आओ, हम यरमियाह के ख़िलाफ़ मनसूबे बाँधें, क्योंकि उस की बातें सहीह नहीं हैं। न इमाम शरीअत की हिदायत से, न दानिशमंद अच्छे मशवरों से, और न नबी अल्लाह के कलाम से महरूम हो जाएगा। आओ, हम ज़बानी उस पर हमला करें और उस की बातों पर ध्यान न दें, ख़ाह वह कुछ भी क्यों न कहे।”


क्योंकि तुम्हारे हाथ ख़ूनआलूदा, तुम्हारी उँगलियाँ गुनाह से नापाक हैं। तुम्हारे होंट झूट बोलते और तुम्हारी ज़बान शरीर बातें फुसफुसाती है।


क्योंकि जब तक उनसे बुरा काम सरज़द न हो जाए वह सो ही नहीं सकते, जब तक उन्होंने किसी को ठोकर खिलाकर ख़ाक में मिला न दिया हो वह नींद से महरूम रहते हैं।


अगर कोई ज़रूरतमंद हो और तू उस की मदद कर सके तो उसके साथ भलाई करने से इनकार न कर।


मैं आपको बहुत नुक़सान पहुँचा सकता हूँ। लेकिन पिछली रात आपके अब्बू के ख़ुदा ने मुझसे कहा, ‘ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।’


अगले दिन कुछ यहूदियों ने साज़िश करके क़सम खाई, “हम न तो कुछ खाएँगे, न पिएँगे जब तक पौलुस को क़त्ल न कर लें।”


ईसा ने जवाब दिया, “आपको मुझ पर इख़्तियार न होता अगर वह आपको ऊपर से न दिया गया होता। इस वजह से उस शख़्स से ज़्यादा संगीन गुनाह हुआ है जिसने मुझे दुश्मन के हवाले कर दिया है।”


तेरे बेटे-बेटियों को किसी दूसरी क़ौम को दिया जाएगा, और तू कुछ नहीं कर सकेगा। रोज़ बरोज़ तू अपने बच्चों के इंतज़ार में उफ़क़ को तकता रहेगा, लेकिन देखते देखते तेरी आँखें धुँधला जाएँगी।


अब ज़रा यहूदी अदालते-आलिया के साथ मिलकर कमाँडर से गुज़ारिश करें कि वह उसे दुबारा आपके पास लाएँ। बहाना यह पेश करें कि आप मज़ीद तफ़सील से उसके मामले का जायज़ा लेना चाहते हैं। जब उसे लाया जाएगा तो हम उसके यहाँ पहुँचने से पहले पहले उसे मार डालने के लिए तैयार होंगे।”


रब अच्छे आदमी से ख़ुश होता है जबकि वह साज़िश करनेवाले को क़ुसूरवार ठहराता है।


शरीअत के उलमा और राहनुमा इमामों ने उसी वक़्त उसे पकड़ने की कोशिश की, क्योंकि वह समझ गए थे कि तमसील में बयानशुदा मुज़ारे हम ही हैं। लेकिन वह अवाम से डरते थे।


सुबह-सवेरे ही राहनुमा इमाम बुज़ुर्गों, शरीअत के उलमा और पूरी यहूदी अदालते-आलिया के साथ मिलकर फ़ैसले तक पहुँच गए। वह ईसा को बाँधकर वहाँ से ले गए और रोमी गवर्नर पीलातुस के हवाले कर दिया।


रब ने फ़रमाया, “ऐ आदमज़ाद, यह वही मर्द हैं जो शरीर मनसूबे बाँध रहे और यरूशलम में बुरे मशवरे दे रहे हैं।


उस की बीवी ज़रिश और बाक़ी अज़ीज़ों ने मशवरा दिया, “सूली बनवाएँ जिसकी ऊँचाई 75 फ़ुट हो। फिर कल सुबह-सवेरे बादशाह के पास जाकर गुज़ारिश करें कि मर्दकी को उससे लटकाया जाए। इसके बाद आप तसल्ली से बादशाह के साथ जाकर ज़ियाफ़त के मज़े ले सकते हैं।” यह मनसूबा हामान को अच्छा लगा, और उसने सूली तैयार करवाई।


तब हामान ने बादशाह से बात की, “आपकी सलतनत के तमाम सूबों में एक क़ौम बिखरी हुई है जो अपने आपको दीगर क़ौमों से अलग रखती है। उसके क़वानीन दूसरी तमाम क़ौमों से मुख़्तलिफ़ हैं, और उसके अफ़राद बादशाह के क़वानीन को नहीं मानते। मुनासिब नहीं कि बादशाह उन्हें बरदाश्त करें!


सुबह-सवेरे क़ातिल उठता है ताकि मुसीबतज़दा और ज़रूरतमंद को क़त्ल करे। रात को चोर चक्कर काटता है।


बुरे मनसूबे बाँधनेवाले सब आवारा फिरते हैं। लेकिन अच्छे मनसूबे बाँधनेवाले शफ़क़त और वफ़ा पाएँगे।


ज़ालिम का नामो-निशान नहीं रहेगा, तानाज़न ख़त्म हो जाएंगे, और दूसरों की ताक में बैठनेवाले सबके सब रूए-ज़मीन पर से मिट जाएंगे।


तुम अपनी तलवार पर भरोसा रखकर क़ाबिले-घिन हरकतें करते हो, हत्ता कि हर एक अपने पड़ोसी की बीवी से ज़िना करता है। तो फिर मुल्क किस तरह तुम्हें हासिल हो सकता है?’


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि उस वक़्त तेरे ज़हन में बुरे ख़यालात उभर आएँगे और तू शरीर मनसूबे बाँधेगा।


हुक्मरान को जबरन दूसरे इसराईलियों की मौरूसी ज़मीन अपनाने की इजाज़त नहीं। लाज़िम है कि जो भी ज़मीन वह अपने बेटों में तक़सीम करे वह उस की अपनी ही मौरूसी ज़मीन हो। मेरी क़ौम में से किसी को निकालकर उस की मौरूसी ज़मीन से महरूम करना मना है’।”


यरूशलम के अमीर बड़े ज़ालिम हैं, लेकिन बाक़ी बाशिंदे भी झूट बोलते हैं, उनकी हर बात धोका ही धोका है!


बेवाओं, यतीमों, अजनबियों और ग़रीबों पर ज़ुल्म मत करना। अपने दिल में एक दूसरे के ख़िलाफ़ बुरे मनसूबे न बान्धो।’


ईज़बिल बोली, “क्या आप इसराईल के बादशाह हैं कि नहीं? अब उठें! खाएँ, पिएँ और अपना दिल बहलाएँ। मैं ही आपको नबोत यज़्रएली का अंगूर का बाग़ दिला दूँगी।”


उनके पाँव दुख-दर्द से भारी हो जाते, और वह बुराई को जन्म देते हैं। उनका पेट धोका ही पैदा करता है।”


ऐ रब, तेरी शफ़क़त आसमान तक, तेरी वफ़ादारी बादलों तक पहुँचती है।


बेदीन पैदाइश से ही सहीह राह से दूर हो गए हैं, झूट बोलनेवाले माँ के पेट से ही भटक गए हैं।


रब अपनी क़ौम के बुज़ुर्गों और रईसों का फ़ैसला करने के लिए सामने आकर फ़रमाता है, “तुम ही अंगूर के बाग़ में चरते हुए सब कुछ खा गए हो, तुम्हारे घर ज़रूरतमंदों के लूटे हुए माल से भरे पड़े हैं।


तुम पर अफ़सोस जो यके बाद दीगरे घरों और खेतों को अपनाते जा रहे हो। आख़िरकार दीगर तमाम लोगों को निकलना पड़ेगा और तुम मुल्क में अकेले ही रहोगे।


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