15 एक दिन आएगा जब तुम मुक़द्दस मक़ाम में वह कुछ खड़ा देखोगे जिसका ज़िक्र दानियाल नबी ने किया और जो बेहुरमती और तबाही का बाइस है।” (क़ारी इस पर ध्यान दे!)
एक हफ़ते तक यह हुक्मरान मुतअद्दिद लोगों को एक अहद के तहत रहने पर मजबूर करेगा। इस हफ़ते के बीच में वह ज़बह और ग़ल्ला की क़ुरबानियों का इंतज़ाम बंद करेगा और मक़दिस के एक तरफ़ वह कुछ खड़ा करेगा जो बेहुरमती और तबाही का बाइस है। लेकिन तबाह करनेवाले का ख़ातमा भी मुक़र्रर किया गया है, और आख़िरकार वह भी तबाह हो जाएगा।”
एक दिन आएगा जब तुम वहाँ जहाँ उसे नहीं होना चाहिए वह कुछ खड़ा देखोगे जो बेहुरमती और तबाही का बाइस है।” (क़ारी इस पर ध्यान दे!) “उस वक़्त यहूदिया के रहनेवाले भागकर पहाड़ी इलाक़े में पनाह लें।
मुबारक है वह जो इस नबुव्वत की तिलावत करता है। हाँ, मुबारक हैं वह जो सुनकर अपने दिलों में इस किताब में दर्ज बातें महफ़ूज़ रखते हैं, क्योंकि यह जल्द ही पूरी हो जाएँगी।
अब जान ले और समझ ले कि यरूशलम को दुबारा तामीर करने का हुक्म दिया जाएगा, लेकिन मज़ीद सात हफ़ते गुज़रेंगे, फिर ही अल्लाह एक हुक्मरान को इस काम के लिए चुनकर मसह करेगा। तब शहर को 62 हफ़तों के अंदर चौकों और ख़ंदक़ों समेत नए सिरे से तामीर किया जाएगा, गो इस दौरान वह काफ़ी मुसीबत से दोचार होगा।
इसलिए लाज़िम है कि हम और ज़्यादा ध्यान से कलामे-मुक़द्दस की उन बातों पर ग़ौर करें जो हमने सुन ली हैं। ऐसा न हो कि हम समुंदर पर बेकाबू कश्ती की तरह बेमक़सद इधर-उधर फिरें।
और चीख़ने लगे, “इसराईल के हज़रात, हमारी मदद करें! यह वही आदमी है जो हर जगह तमाम लोगों को हमारी क़ौम, हमारी शरीअत और इस मक़ाम के ख़िलाफ़ तालीम देता है। न सिर्फ़ यह बल्कि इसने बैतुल-मुक़द्दस में ग़ैरयहूदियों को लाकर इस मुक़द्दस जगह की बेहुरमती भी की है।”
उसने मुझसे कहा, “ऐ आदमज़ाद, ध्यान से देख, ग़ौर से सुन! जो कुछ भी मैं तुझे दिखाऊँगा, उस पर तवज्जुह दे। क्योंकि तुझे इसी लिए यहाँ लाया गया है कि मैं तुझे यह दिखाऊँ। जो कुछ भी तू देखे उसे इसराईली क़ौम को सुना दे!”
रब फ़रमाता है कि मैं तुम्हें निशान भी देता हूँ ताकि तुम्हें यक़ीन हो जाए कि मैं तुम्हारे ख़िलाफ़ ख़ाली बातें नहीं कर रहा बल्कि तुम्हें यक़ीनन मिसर में सज़ा दूँगा।