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متی 2:23 - किताबे-मुक़द्दस

23 वहाँ वह एक शहर में जा बसा जिसका नाम नासरत था। यों नबियों की बात पूरी हुई कि ‘वह नासरी कहलाएगा।’

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

23 وہاں پہُنچ کر ناصرتؔ نام ایک شہر میں رہنے لگے تاکہ جو بات نبیوں کی مَعرفت کہی گئی تھی وہ پُوری ہو: وہ ناصری کہلائے گا۔

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کِتابِ مُقادّس

23 اور ناصرۃ نام ایک شہر میں جا بسا تاکہ جو نبِیوں کی معرفت کہا گیا تھا وہ پُورا ہو کہ وہ ناصری کہلائے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

23 وہاں وہ ایک شہر میں جا بسا جس کا نام ناصرت تھا۔ یوں نبیوں کی بات پوری ہوئی کہ ’وہ ناصری کہلائے گا۔‘

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متی 2:23
20 حوالہ جات  

क्योंकि जो बेटा पैदा होगा वह पैदाइश से ही अल्लाह के लिए मख़सूस होगा। लाज़िम है कि उसके बाल कभी न काटे जाएँ। यही बच्चा इसराईल को फ़िलिस्तियों से बचाने लगेगा।”


“ऐ नासरत के ईसा, हमारा आपके साथ क्या वास्ता है? क्या आप हमें हलाक करने आए हैं? मैं तो जानता हूँ कि आप कौन हैं, आप अल्लाह के क़ुद्दूस हैं।”


वह बाहर गेट तक गया। वहाँ एक और नौकरानी ने उसे देखा और पास खड़े लोगों से कहा, “यह आदमी ईसा नासरी के साथ था।”


यह सब कुछ इसलिए हुआ ताकि रब की वह बात पूरी हो जाए जो उसने अपने नबी की मारिफ़त फ़रमाई थी,


हमने इस आदमी को अवाम दुश्मन पाया है जो पूरी दुनिया के यहूदियों में फ़साद पैदा करता रहता है। यह नासरी फ़िरक़े का एक सरग़ना है


इसराईल के मर्दो, मेरी बात सुनें! अल्लाह ने आपके सामने ही ईसा नासरी की तसदीक़ की, क्योंकि उसने उसके वसीले से आपके दरमियान अजूबे, मोजिज़े और इलाही निशान दिखाए। आप ख़ुद इस बात से वाक़िफ़ हैं।


पीलातुस ने एक तख़्ती बनवाकर उसे ईसा की सलीब पर लगवा दिया। तख़्ती पर लिखा था, ‘ईसा नासरी, यहूदियों का बादशाह।’


एक और बार ईसा ने उनसे सवाल किया, “तुम किस को ढूँड रहे हो?” उन्होंने जवाब दिया, “ईसा नासरी को।”


उन्होंने जवाब दिया, “ईसा नासरी को।” ईसा ने उन्हें बताया, “मैं ही हूँ।” यहूदाह जो उसे दुश्मन के हवाले करना चाहता था, वह भी उनके साथ खड़ा था।


जब ईसा के वालिदैन ने रब की शरीअत में दर्ज तमाम फ़रायज़ अदा कर लिए तो वह गलील में अपने शहर नासरत को लौट गए।


इलीशिबा छः माह से उम्मीद से थी जब अल्लाह ने जिबराईल फ़रिश्ते को एक कुँवारी के पास भेजा जो नासरत में रहती थी। नासरत गलील का एक शहर है और कुँवारी का नाम मरियम था। उस की मँगनी एक मर्द के साथ हो चुकी थी जो दाऊद बादशाह की नसल से था और जिसका नाम यूसुफ़ था।


शरीअत के मुताबिक़ जब मख़सूस शख़्स का मुक़र्ररा वक़्त गुज़र गया हो तो पहले उसे मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर लाया जाए।


उसने क़सम खाई, “ऐ रब्बुल-अफ़वाज, मेरी बुरी हालत पर नज़र डालकर मुझे याद कर! अपनी ख़ादिमा को मत भूलना बल्कि बेटा अता फ़रमा! अगर तू ऐसा करे तो मैं उसे तुझे वापस कर दूँगी। ऐ रब, उस की पूरी ज़िंदगी तेरे लिए मख़सूस होगी! इसका निशान यह होगा कि उसके बाल कभी नहीं कटवाए जाएंगे।”


हुजूम ने जवाब दिया, “यह ईसा है, वह नबी जो गलील के नासरत से है।”


उन दिनों में ईसा नासरत से आया और यहया ने उसे दरियाए-यरदन में बपतिस्मा दिया।


उन्होंने कहा, “ईसा नासरी यहाँ से गुज़र रहा है।”


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