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متی 18:28 - किताबे-मुक़द्दस

28 लेकिन जब यही नौकर बाहर निकला तो एक हमख़िदमत मिला जो उसका चंद हज़ार रूपों का क़र्ज़दार था। उसे पकड़कर वह उसका गला दबाकर कहने लगा, ‘अपना क़र्ज़ अदा कर!’

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

28 ”لیکن جَب وہ خادِم وہاں سے باہر نِکلا تو اُسے ایک اَیسا خادِم مِلا جو اُس کا ہم خدمت تھا اَور جسے اُس نے سَو دینار قرض کے طور پر دے رکھا تھا۔ اُس نے اُسے پکڑکر اُس کا گلا دبایا اَور کہا، ’لا، میری رقم واپس کر!‘

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کِتابِ مُقادّس

28 جب وہ نَوکر باہر نِکلا تو اُس کے ہم خِدمتوں میں سے ایک اُس کو مِلا جِس پر اُس کے سَو دِینار آتے تھے۔ اُس نے اُس کو پکڑ کر اُس کا گلا گھونٹا اور کہا جو میرا آتا ہے ادا کر دے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

28 لیکن جب یہی نوکر باہر نکلا تو ایک ہم خدمت ملا جو اُس کا چند ہزار روپوں کا قرض دار تھا۔ اُسے پکڑ کر وہ اُس کا گلا دبا کر کہنے لگا، ’اپنا قرض ادا کر!‘

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متی 18:28
15 حوالہ جات  

वह उनसे दिहाड़ी के लिए चाँदी का एक सिक्का देने पर मुत्तफ़िक़ हुआ और उन्हें अपने अंगूर के बाग़ में भेज दिया।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ इसराईली हुक्मरानो, अब बस करो! अपनी ग़लत हरकतों से बाज़ आओ। अपना ज़ुल्मो-तशद्दुद छोड़कर इनसाफ़ और रास्तबाज़ी क़ायम करो। मेरी क़ौम को उस की मौरूसी ज़मीन से भगाने से बाज़ आओ। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


उस वक़्त जिसने भी किसी इसराईली भाई को क़र्ज़ दिया है वह उसे मनसूख़ करे। वह अपने पड़ोसी या भाई को पैसे वापस करने पर मजबूर न करे, क्योंकि रब की ताज़ीम में क़र्ज़ मुआफ़ करने के साल का एलान किया गया है।


वह शिकायत करते हैं, ‘जब हम रोज़ा रखते हैं तो तू तवज्जुह क्यों नहीं देता? जब हम अपने आपको ख़ाकसार बनाकर इंकिसारी का इज़हार करते हैं तो तू ध्यान क्यों नहीं देता?’ सुनो! रोज़ा रखते वक़्त तुम अपना कारोबार मामूल के मुताबिक़ चलाकर अपने मज़दूरों को दबाए रखते हो।


जब ग़ैरयहूदी हमें सबत के दिन या रब के लिए मख़सूस किसी और दिन अनाज या कोई और माल बेचने की कोशिश करें तो हम कुछ नहीं ख़रीदेंगे। हर सातवें साल हम ज़मीन की खेतीबाड़ी नहीं करेंगे और तमाम कर्ज़े मनसूख़ करेंगे।


बहुत सोच-बिचार के बाद मैंने शुरफ़ा और अफ़सरों पर इलज़ाम लगाया, “आप अपने हमवतन भाइयों से ग़ैरमुनासिब सूद ले रहे हैं!” मैंने उनसे निपटने के लिए एक बड़ी जमात इकट्ठी करके


जो ग़रीब ग़रीबों पर ज़ुल्म करे वह उस मूसलाधार बारिश की मानिंद है जो सैलाब लाकर फ़सलों को तबाह कर देती है।


बादशाह को उस पर तरस आया। उसने उसका क़र्ज़ मुआफ़ करके उसे जाने दिया।


दूसरा नौकर गिरकर मिन्नत करने लगा, ‘मुझे मोहलत दें, मैं आपको सारी रक़म अदा कर दूँगा।’


लेकिन ईसा ने उन्हें कहा, “तुम ख़ुद इन्हें कुछ खाने को दो।” उन्होंने पूछा, “हम इसके लिए दरकार चाँदी के 200 सिक्के कहाँ से लेकर रोटी ख़रीदने जाएँ और इन्हें खिलाएँ?”


इसकी क़ीमत कम अज़ कम चाँदी के 300 सिक्के थी। अगर इसे बेचा जाता तो इसके पैसे ग़रीबों को दिए जा सकते थे।” ऐसी बातें करते हुए उन्होंने उसे झिड़का।


ईसा ने कहा, “एक साहूकार के दो क़र्ज़दार थे। एक को उसने चाँदी के 500 सिक्के दिए थे और दूसरे को 50 सिक्के।


अगले दिन उसने चाँदी के दो सिक्के निकालकर सराय के मालिक को दिए और कहा, ‘इसकी देख-भाल करना। अगर ख़र्चा इससे बढ़कर हुआ तो मैं वापसी पर अदा कर दूँगा’।”


फ़िलिप्पुस ने जवाब दिया, “अगर हर एक को सिर्फ़ थोड़ा-सा मिले तो भी चाँदी के 200 सिक्के काफ़ी नहीं होंगे।”


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