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متی 12:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 उसमें एक आदमी था जिसका हाथ सूखा हुआ था। लोग ईसा पर इलज़ाम लगाने का कोई बहाना तलाश कर रहे थे, इसलिए उन्होंने उससे पूछा, “क्या शरीअत सबत के दिन शफ़ा देने की इजाज़त देती है?”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 وہاں ایک آدمی تھا جِس کا ایک ہاتھ سُوکھا ہُوا تھا۔ اُنہُوں نے یِسوعؔ پر اِلزام لگانے کے اِرادے سے یہ پُوچھا، ”کیا سَبت کے دِن شفا دینا جائز ہے؟“

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کِتابِ مُقادّس

10 اور دیکھو وہاں ایک آدمی تھا جِس کا ہاتھ سُوکھا ہُؤا تھا۔ اُنہوں نے اُس پر اِلزام لگانے کے اِرادہ سے یہ پُوچھا کہ کیا سبت کے دِن شِفا دینا روا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 اُس میں ایک آدمی تھا جس کا ہاتھ سوکھا ہوا تھا۔ لوگ عیسیٰ پر الزام لگانے کا کوئی بہانہ تلاش کر رہے تھے، اِس لئے اُنہوں نے اُس سے پوچھا، ”کیا شریعت سبت کے دن شفا دینے کی اجازت دیتی ہے؟“

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متی 12:10
21 حوالہ جات  

लेकिन इबादतख़ाने का राहनुमा नाराज़ हुआ क्योंकि ईसा ने सबत के दिन शफ़ा दी थी। उसने लोगों से कहा, “हफ़ते के छः दिन काम करने के लिए होते हैं। इसलिए इतवार से लेकर जुमे तक शफ़ा पाने के लिए आओ, न कि सबत के दिन।”


फ़रीसियों में से बाज़ ने कहा, “यह शख़्स अल्लाह की तरफ़ से नहीं है, क्योंकि सबत के दिन काम करता है।” दूसरों ने एतराज़ किया, “गुनाहगार इस क़िस्म के इलाही निशान किस तरह दिखा सकता है?” यों उनमें फूट पड़ गई।


इस सवाल से वह उसे फँसाना चाहते थे ताकि उस पर इलज़ाम लगाने का कोई बहाना उनके हाथ आ जाए। लेकिन ईसा झुक गया और अपनी उँगली से ज़मीन पर लिखने लगा।


इसलिए यहूदियों ने शफ़ायाब आदमी को बताया, “आज सबत का दिन है। आज बिस्तर उठाना मना है।”


वह इस ताक में रहे कि उसे मुँह से निकली किसी बात की वजह से पकड़ें।


यह देखकर फ़रीसियों ने ईसा से शिकायत की, “देखो, आपके शागिर्द ऐसा काम कर रहे हैं जो सबत के दिन मना है।”


उस बेकार चरवाहे पर अफ़सोस जो अपने रेवड़ को छोड़ देता है। तलवार उसके बाज़ू और दहनी आँख को ज़ख़मी करे। उसका बाज़ू सूख जाए और उस की दहनी आँख अंधी हो जाए।”


क्योंकि अहमक़ हमाक़त बयान करता है, और उसका ज़हन शरीर मनसूबे बाँधता है। वह बेदीन हरकतें करके रब के बारे में कुफ़र बकता है। भूके को वह भूका छोड़ता और प्यासे को पानी पीने से रोकता है।


इन बरामदों में बेशुमार माज़ूर लोग पड़े रहते थे। यह अंधे, लँगड़े और मफ़लूज पानी के हिलने के इंतज़ार में रहते थे।


वहाँ वह उस पर इलज़ाम लगाकर कहने लगे, “हमने मालूम किया है कि यह आदमी हमारी क़ौम को गुमराह कर रहा है। यह शहनशाह को टैक्स देने से मना करता और दावा करता है कि मैं मसीह और बादशाह हूँ।”


उनसे कहा, “तुमने इस शख़्स को मेरे पास लाकर इस पर इलज़ाम लगाया है कि यह क़ौम को उकसा रहा है। मैंने तुम्हारी मौजूदगी में इसका जायज़ा लेकर ऐसा कुछ नहीं पाया जो तुम्हारे इलज़ामात की तसदीक़ करे।


अब हमें बताएँ कि क्या रोमी शहनशाह को टैक्स देना जायज़ है या नाजायज़?”


कुछ फ़रीसी आए और उसे फँसाने की ग़रज़ से सवाल किया, “क्या जायज़ है कि मर्द अपनी बीवी को किसी भी वजह से तलाक़ दे?”


हम मानते हैं कि रब से बेवफ़ा रहे बल्कि उसका इनकार भी किया है। हमने अपना मुँह अपने ख़ुदा से फेरकर ज़ुल्म और धोके की बातें फैलाई हैं। हमारे दिलों में झूट का बीज बढ़ते बढ़ते मुँह में से निकला।


अदालत में कोई मुंसिफ़ाना मुक़दमा नहीं चलाता, कोई सच्चे दलायल पेश नहीं करता। लोग सच्चाई से ख़ाली बातों पर एतबार करके झूट बोलते हैं, वह बदकारी से हामिला होकर बेदीनी को जन्म देते हैं।


सबत का दिन था और लोग बड़े ग़ौर से देख रहे थे कि क्या ईसा उस आदमी को आज भी शफ़ा देगा। क्योंकि वह इस पर इलज़ाम लगाने का कोई बहाना तलाश कर रहे थे।


क्योंकि शरीअत के मुताबिक़ लाज़िम है कि बच्चे का ख़तना आठवें दिन करवाया जाए, और अगर यह दिन सबत हो तो तुम फिर भी अपने बच्चे का ख़तना करवाते हो ताकि शरीअत की ख़िलाफ़वरज़ी न हो जाए। तो फिर तुम मुझसे क्यों नाराज़ हो कि मैंने सबत के दिन एक आदमी के पूरे जिस्म को शफ़ा दी?


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