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مرقس 7:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 क्योंकि लोगों के अंदर से, उनके दिलों ही से बुरे ख़यालात, हरामकारी, चोरी, क़त्लो-ग़ारत,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 کیونکہ اَندر سے یعنی اُس کے دِل سے، بُرے خیال باہر آتے ہیں جَیسے، جنسی بدفعلی، چوری، خُونریزی

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کِتابِ مُقادّس

21 کیونکہ اندر سے یعنی آدمی کے دِل سے بُرے خیال نِکلتے ہیں۔ حرام کارِیاں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 کیونکہ لوگوں کے اندر سے، اُن کے دلوں ہی سے بُرے خیالات، حرام کاری، چوری، قتل و غارت،

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مرقس 7:21
37 حوالہ جات  

दिल हद से ज़्यादा फ़रेबदेह है, और उसका इलाज नामुमकिन है। कौन उसका सहीह इल्म रखता है?


दिल ही से बुरे ख़यालात, क़त्लो-ग़ारत, ज़िनाकारी, हरामकारी, चोरी, झूटी गवाही और बुहतान निकलते हैं।


अपनी इस शरारत से तौबा करके ख़ुदावंद से दुआ करें। शायद वह आपको इस इरादे की मुआफ़ी दे जो आपने दिल में रखा है।


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि उस वक़्त तेरे ज़हन में बुरे ख़यालात उभर आएँगे और तू शरीर मनसूबे बाँधेगा।


ईसा ने जान लिया कि यह क्या सोच रहे हैं, इसलिए उसने उनसे पूछा,


ऐ यरूशलम, अपने दिल को धोकर बुराई से साफ़ कर ताकि तुझे छुटकारा मिले। तू अंदर ही अंदर कब तक अपने शरीर मनसूबे बाँधती रहेगी?


क्या आप ऐसा करने से मुजरिमाना ख़यालातवाले मुंसिफ़ नहीं साबित हुए? क्योंकि आपने लोगों में नारवा फ़रक़ किया है।


तमाम चीज़ों से पहले अपने दिल की हिफ़ाज़त कर, क्योंकि यही ज़िंदगी का सरचश्मा है।


उसने उनसे कहा, “तुम ही वह हो जो अपने आपको लोगों के सामने रास्तबाज़ क़रार देते हो, लेकिन अल्लाह तुम्हारे दिलों से वाक़िफ़ है। क्योंकि लोग जिस चीज़ की बहुत क़दर करते हैं वह अल्लाह के नज़दीक मकरूह है।


जहाँ भी ग़लत काम करने का मौक़ा मिले वहाँ उनके पाँव भागकर पहुँच जाते हैं। वह बेक़ुसूर को क़त्ल करने के लिए तैयार रहते हैं। उनके ख़यालात शरीर ही हैं, अपने पीछे वह तबाहीओ-बरबादी छोड़ जाते हैं।


अफ़सोस, सब सहीह राह से भटक गए, सबके सब बिगड़ गए हैं। कोई नहीं जो भलाई करता हो, एक भी नहीं।


अफ़सोस, सब सहीह राह से भटक गए, सबके सब बिगड़ गए हैं। कोई नहीं जो भलाई करता हो, एक भी नहीं।


लेकिन गुनाह ने इस हुक्म से फ़ायदा उठाकर मुझमें हर तरह का लालच पैदा कर दिया। इसके बरअक्स जहाँ शरीअत नहीं होती वहाँ गुनाह मुरदा है और ऐसा काम नहीं कर पाता।


क्या यह ज़मीन फ़रोख़्त करने से पहले आपकी नहीं थी? और उसे बेचकर क्या आप पैसे जैसे चाहते इस्तेमाल नहीं कर सकते थे? आपने क्यों अपने दिल में यह ठान लिया? आपने हमें नहीं बल्कि अल्लाह को धोका दिया है।”


रब मुतकब्बिर का घर ढा देता, लेकिन बेवा की ज़मीन की हुदूद महफ़ूज़ रखता है।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। अहमक़ दिल में कहता है, “अल्लाह है ही नहीं!” ऐसे लोग बदचलन हैं, उनकी हरकतें क़ाबिले-घिन हैं। एक भी नहीं है जो अच्छा काम करे।


तो फिर इनसान अल्लाह के सामने किस तरह रास्तबाज़ ठहर सकता है? जो औरत से पैदा हुआ वह किस तरह पाक-साफ़ साबित हो सकता है?


कौन नापाक चीज़ को पाक-साफ़ कर सकता है? कोई नहीं!


यह क़ुरबानियाँ देखकर रब ख़ुश हुआ और अपने दिल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन पर इनसान की वजह से लानत नहीं भेजूँगा, क्योंकि उसका दिल बचपन ही से बुराई की तरफ़ मायल है। अब से मैं कभी इस तरह तमाम जान रखनेवाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर से नहीं मिटाऊँगा।


रब ने देखा कि इनसान निहायत बिगड़ गया है, कि उसके तमाम ख़यालात लगातार बुराई की तरफ़ मायल रहते हैं।


क्योंकि जब हम अपनी पुरानी फ़ितरत के तहत ज़िंदगी गुज़ारते थे तो शरीअत हमारी गुनाहआलूदा रग़बतों को उकसाती थी। फिर यही रग़बतें हमारे आज़ा पर असरअंदाज़ होती थीं और नतीजे में हम ऐसा फल लाते थे जिसका अंजाम मौत है।


दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। हिकमत का गीत। तर्ज़ : महलत। अहमक़ दिल में कहता है, “अल्लाह है ही नहीं!” ऐसे लोग बदचलन हैं, उनकी हरकतें क़ाबिले-घिन हैं। एक भी नहीं है जो अच्छा काम करे।


क्योंकि एक वक़्त था जब हम भी नासमझ, नाफ़रमान और सहीह राह से भटके हुए थे। उस वक़्त हम कई तरह की शहवतों और ग़लत ख़ाहिशों की ग़ुलामी में थे। हम बुरे कामों और हसद करने में ज़िंदगी गुज़ारते थे। दूसरे हमसे नफ़रत करते थे और हम भी उनसे नफ़रत करते थे।


मेरे दिल को लालच में आने न दे बल्कि उसे अपने फ़रमानों की तरफ़ मायल कर।


हम मानते हैं कि रब से बेवफ़ा रहे बल्कि उसका इनकार भी किया है। हमने अपना मुँह अपने ख़ुदा से फेरकर ज़ुल्म और धोके की बातें फैलाई हैं। हमारे दिलों में झूट का बीज बढ़ते बढ़ते मुँह में से निकला।


लेकिन तुम अपने बापदादा की निसबत कहीं ज़्यादा ग़लत काम करते हो। देखो, मेरी कोई नहीं सुनता बल्कि हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारता है।


उसने यह भी कहा, “जो कुछ इनसान के अंदर से निकलता है वही उसे नापाक करता है।


ज़िनाकारी, लालच, बदकारी, धोका, शहवतपरस्ती, हसद, बुहतान, ग़ुरूर और हमाक़त निकलते हैं।


चुनाँचे उन दुनियावी चीज़ों को मार डालें जो आपके अंदर काम कर रही हैं : ज़िनाकारी, नापाकी, शहवतपरस्ती, बुरी ख़ाहिशात और लालच (लालच तो एक क़िस्म की बुतपरस्ती है)।


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