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مرقس 6:34 - किताबे-मुक़द्दस

34 जब ईसा ने कश्ती पर से उतरकर बड़े हुजूम को देखा तो उसे लोगों पर तरस आया, क्योंकि वह उन भेड़ों की मानिंद थे जिनका कोई चरवाहा न हो। वहीं वह उन्हें बहुत-सी बातें सिखाने लगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

34 جَب یِسوعؔ کشتی سے کنارے پر اُترے تو آپ نے ایک بڑے ہُجوم کو دیکھا، اَور آپ کو اُن پر بڑا ترس آیا، کیونکہ وہ لوگ اُن بھیڑوں کی مانِند تھے جِن کا کویٔی گلّہ بان نہ ہو۔ لہٰذا وہ اُنہیں بہت سِی باتیں سِکھانے لگے۔

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کِتابِ مُقادّس

34 اور اُس نے اُتر کر بڑی بِھیڑ دیکھی اور اُسے اُن پر ترس آیا کیونکہ وہ اُن بھیڑوں کی مانِند تھے جِن کا چرواہا نہ ہو اور وہ اُن کو بُہت سی باتوں کی تعلِیم دینے لگا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

34 جب عیسیٰ نے کشتی پر سے اُتر کر بڑے ہجوم کو دیکھا تو اُسے لوگوں پر ترس آیا، کیونکہ وہ اُن بھیڑوں کی مانند تھے جن کا کوئی چرواہا نہ ہو۔ وہیں وہ اُنہیں بہت سی باتیں سکھانے لگا۔

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مرقس 6:34
19 حوالہ جات  

हुजूम को देखकर उसे उन पर बड़ा तरस आया, क्योंकि वह पिसे हुए और बेबस थे, ऐसी भेड़ों की तरह जिनका चरवाहा न हो।


जो उनके आगे आगे जंग के लिए निकले और उनके आगे आगे वापस आ जाए, जो उन्हें बाहर ले जाए और वापस ले आए। वरना रब की जमात उन भेड़ों की मानिंद होगी जिनका कोई चरवाहा न हो।”


लेकिन जब लोगों को पता चला तो वह उनके पीछे वहाँ पहुँच गए। ईसा ने उन्हें आने दिया और अल्लाह की बादशाही के बारे में तालीम दी। साथ साथ उसने मरीज़ों को शफ़ा भी दी।


तुम्हारे घरों के बुत फ़रेब देते, तुम्हारे ग़ैबदान झूटी रोया देखते और फ़रेबदेह ख़ाब सुनाते हैं। उनकी तसल्ली अबस है। इसी लिए क़ौम को भेड़-बकरियों की तरह यहाँ से चला जाना पड़ा। गल्लाबान नहीं है, इसलिए वह मुसीबत में उलझे रहते हैं।


मेरी क़ौम की हालत गुमशुदा भेड़-बकरियों की मानिंद थी। क्योंकि उनके गल्लाबानों ने उन्हें ग़लत राह पर लाकर फ़रेबदेह पहाड़ों पर आवारा फिरने दिया था। यों पहाड़ों पर इधर-उधर घूमते घूमते वह अपनी आरामगाह भूल गए थे।


तब मीकायाह ने जवाब में कहा, “मुझे तमाम इसराईल गल्लाबान से महरूम भेड़-बकरियों की तरह पहाड़ों पर बिखरा हुआ नज़र आया। फिर रब मुझसे हमकलाम हुआ, ‘इनका कोई मालिक नहीं है। हर एक सलामती से अपने घर वापस चला जाए’।”


तब मीकायाह ने जवाब में कहा, “मुझे तमाम इसराईल गल्लाबान से महरूम भेड़-बकरियों की तरह पहाड़ों पर बिखरा हुआ नज़र आया। फिर रब मुझसे हमकलाम हुआ, ‘इनका कोई मालिक नहीं है। हर एक सलामती से अपने घर वापस चला जाए’।”


और वह ऐसा इमामे-आज़म नहीं है जो हमारी कमज़ोरियों को देखकर हमदर्दी न दिखाए बल्कि अगरचे वह बेगुनाह रहा तो भी हमारी तरह उसे हर क़िस्म की आज़माइश का सामना करना पड़ा।


जब ईसा ने कश्ती पर से उतरकर बड़े हुजूम को देखा तो उसे लोगों पर बड़ा तरस आया। वहीं उसने उनके मरीज़ों को शफ़ा दी।


इसलिए लाज़िम था कि वह हर लिहाज़ से अपने भाइयों की मानिंद बन जाए। सिर्फ़ इससे उसका यह मक़सद पूरा हो सका कि वह अल्लाह के हुज़ूर एक रहीम और वफ़ादार इमामे-आज़म बनकर लोगों के गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे सके।


फिर ईसा ने अपने शागिर्दों को बुलाकर उनसे कहा, “मुझे इन लोगों पर तरस आता है। इन्हें मेरे साथ ठहरे तीन दिन हो चुके हैं और इनके पास खाने की कोई चीज़ नहीं है। लेकिन मैं इन्हें इस भूकी हालत में रुख़सत नहीं करना चाहता। ऐसा न हो कि वह रास्ते में थककर चूर हो जाएँ।”


बाबल के तमाम बाशिंदे शिकारी के सामने दौड़नेवाले ग़ज़ाल और चरवाहे से महरूम भेड़-बकरियों की तरह इधर-उधर भागकर अपने मुल्क और अपनी क़ौम में वापस आने की कोशिश करेंगे।


गल्लाबान न होने की वजह से भेड़-बकरियाँ तित्तर-बित्तर होकर दरिंदों का शिकार हो गईं।


लेकिन बहुत-से लोगों ने उन्हें जाते वक़्त पहचान लिया। वह पैदल चलकर तमाम शहरों से निकल आए और दौड़ दौड़कर उनसे पहले मनज़िले-मक़सूद तक पहुँच गए।


जब दिन ढलने लगा तो उसके शागिर्द उसके पास आए और कहा, “यह जगह वीरान है और दिन ढलने लगा है।


उन दिनों में एक और मरतबा ऐसा हुआ कि बहुत-से लोग जमा हुए जिनके पास खाने का बंदोबस्त नहीं था। चुनाँचे ईसा ने अपने शागिर्दों को बुलाकर उनसे कहा,


“मुझे इन लोगों पर तरस आता है। इन्हें मेरे साथ ठहरे तीन दिन हो चुके हैं और इनके पास खाने की कोई चीज़ नहीं है।


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