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مرقس 4:28 - किताबे-मुक़द्दस

28 ज़मीन ख़ुद बख़ुद अनाज की फ़सल पैदा करती है। पहले पत्ते निकलते हैं, फिर बालें नज़र आने लगती हैं और आख़िर में दाने पैदा हो जाते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

28 زمین خُود بخُود پھل لاتی ہے پہلے پتّی نکلتی ہے، پھر بالیں پیدا ہوتی ہیں اَور پھر اُن میں دانے بھر جاتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

28 زمِین آپ سے آپ پَھل لاتی ہے پہلے پتّی۔ پِھر بالیں۔ پِھر بالوں میں تیّار دانے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

28 زمین خود بخود اناج کی فصل پیدا کرتی ہے۔ پہلے پتے نکلتے ہیں، پھر بالیں نظر آنے لگتی ہیں اور آخر میں دانے پیدا ہو جاتے ہیں۔

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مرقس 4:28
19 حوالہ جات  

आओ, हम उसे जान लें, हम पूरी जिद्दो-जहद के साथ रब को जानने के लिए कोशाँ रहें। वह ज़रूर हम पर ज़ाहिर होगा। यह उतना यक़ीनी है जितना सूरज का रोज़ाना तुलू होना यक़ीनी है। जिस तरह मौसमे-बहार की तेज़ बारिश ज़मीन को सेराब करती है उसी तरह अल्लाह भी हमारे पास आएगा।”


क्योंकि फिर ही आप अपनी ज़िंदगी ख़ुदावंद के लायक़ गुज़ार सकेंगे और हर तरह से उसे पसंद आएँगे। हाँ, आप हर क़िस्म का अच्छा काम करके फल लाएँगे और अल्लाह के इल्मो-इरफ़ान में तरक़्क़ी करेंगे।


और मुझे यक़ीन है कि अल्लाह जिसने आपमें यह अच्छा काम शुरू किया है इसे उस दिन तकमील तक पहुँचाएगा जब मसीह ईसा वापस आएगा।


जब अनाज फूट निकला और फ़सल पकने लगी तो ख़ुदरौ पौदे भी नज़र आए।


क्योंकि जिस तरह ज़मीन अपनी हरियाली को निकलने देती और बाग़ अपने बीजों को फूटने देता है उसी तरह रब क़ादिरे-मुतलक़ अक़वाम के सामने अपनी रास्ती और सताइश फूटने देगा।


उसने हर चीज़ को यों बनाया है कि वह अपने वक़्त के लिए ख़ूबसूरत और मुनासिब हो। उसने इनसान के दिल में जाविदानी भी डाली है, गो वह शुरू से लेकर आख़िर तक उस काम की तह तक नहीं पहुँच सकता जो अल्लाह ने किया है।


हर चीज़ की अपनी घड़ी होती, आसमान तले हर मामले का अपना वक़्त होता है,


लेकिन रास्तबाज़ की राह तुलूए-सुबह की पहली रौशनी की मानिंद है जो दिन के उरूज तक बढ़ती रहती है।


वह नहरों के किनारे पर लगे दरख़्त की मानिंद है। वक़्त पर वह फल लाता, और उसके पत्ते नहीं मुरझाते। जो कुछ भी करे उसमें वह कामयाब है।


रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था।


यह बीज फूटकर दिन-रात उगता रहता है, ख़ाह किसान सो रहा या जाग रहा हो। उसे मालूम नहीं कि यह क्योंकर होता है।


और ज्योंही अनाज की फ़सल पक जाती है किसान आकर दराँती से उसे काट लेता है, क्योंकि फ़सल की कटाई का वक़्त आ चुका होता है।”


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