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مرقس 3:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 ईसा ने सूखे हाथवाले आदमी से कहा, “उठ, दरमियान में खड़ा हो।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 یِسوعؔ نے اُس سُوکھے ہاتھ والے آدمی سے کہا، ”اُٹھو اَور آکر سَب کے بیچ میں کھڑے ہو جاؤ۔“

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کِتابِ مُقادّس

3 اُس نے اُس آدمی سے جِس کا ہاتھ سُوکھا ہُؤا تھا کہا بِیچ میں کھڑا ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 عیسیٰ نے سوکھے ہاتھ والے آدمی سے کہا، ”اُٹھ، درمیان میں کھڑا ہو۔“

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مرقس 3:3
12 حوالہ جات  

अब चूँकि मसीह ने जिस्मानी तौर पर दुख उठाया इसलिए आप भी अपने आपको उस की-सी सोच से लैस करें। क्योंकि जिसने मसीह की ख़ातिर जिस्मानी तौर पर दुख सह लिया है उसने गुनाह से निपट लिया है।


और मेरे क़ैद में होने की वजह से ख़ुदावंद में ज़्यादातर भाइयों का एतमाद इतना बढ़ गया है कि वह मज़ीद दिलेरी के साथ बिलाख़ौफ़ अल्लाह का कलाम सुनाते हैं।


चुनाँचे हम नेक काम करने में बेदिल न हो जाएँ, क्योंकि हम मुक़र्ररा वक़्त पर ज़रूर फ़सल की कटाई करेंगे। शर्त सिर्फ़ यह है कि हम हथियार न डालें।


ग़रज़, मेरे प्यारे भाइयो, मज़बूत बने रहें। कोई चीज़ आपको डाँवाँडोल न कर दे। हमेशा ख़ुदावंद की ख़िदमत जाँफ़िशानी से करें, यह जानते हुए कि ख़ुदावंद के लिए आपकी मेहनत-मशक़्क़त रायगाँ नहीं जाएगी।


अभी दिन है। लाज़िम है कि हम जितनी देर तक दिन है उसका काम करते रहें जिसने मुझे भेजा है। क्योंकि रात आनेवाली है, उस वक़्त कोई काम नहीं कर सकेगा।


लेकिन ईसा ने उनकी सोच को जान लिया और उस सूखे हाथवाले आदमी से कहा, “उठ, दरमियान में खड़ा हो।” चुनाँचे वह आदमी खड़ा हुआ।


जब दानियाल को मालूम हुआ कि फ़रमान सादिर हुआ है तो वह सीधा अपने घर में चला गया। छत पर एक कमरा था जिसकी खुली खिड़कियों का रुख़ यरूशलम की तरफ़ था। इस कमरे में दानियाल रोज़ाना तीन बार अपने घुटने टेककर दुआ और अपने ख़ुदा की सताइश करता था। अब भी उसने यह सिलसिला जारी रखा।


और जब तक उसने दुनिया में इनसाफ़ क़ायम न कर लिया हो तब तक न उस की बत्ती बुझेगी, न उसे कुचला जाएगा। जज़ीरे उस की हिदायत से उम्मीद रखेंगे।”


उसमें एक आदमी था जिसका हाथ सूखा हुआ था। लोग ईसा पर इलज़ाम लगाने का कोई बहाना तलाश कर रहे थे, इसलिए उन्होंने उससे पूछा, “क्या शरीअत सबत के दिन शफ़ा देने की इजाज़त देती है?”


सबत का दिन था और लोग बड़े ग़ौर से देख रहे थे कि क्या ईसा उस आदमी को आज भी शफ़ा देगा। क्योंकि वह इस पर इलज़ाम लगाने का कोई बहाना तलाश कर रहे थे।


फिर ईसा ने उनसे पूछा, “मुझे बताओ, शरीअत हमें सबत के दिन क्या करने की इजाज़त देती है, नेक काम करने की या ग़लत काम करने की, किसी की जान बचाने की या उसे तबाह करने की?” सब ख़ामोश रहे।


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