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مرقس 15:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 उस वक़्त लिबिया के शहर कुरेन का रहनेवाला एक आदमी बनाम शमौन देहात से शहर को आ रहा था। वह सिकंदर और रूफ़ुस का बाप था। जब वह ईसा और फ़ौजियों के पास से गुज़रने लगा तो फ़ौजियों ने उसे सलीब उठाने पर मजबूर किया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 راستے میں اُنہیں شمعُونؔ، کُرینی نامی آدمی مِلا جو سِکندؔر اَور رُوفُسؔ کا باپ تھا اَور گاؤں سے یروشلیمؔ کی طرف آ رہاتھا، اُنہُوں نے زبردستی پکڑ لیا تاکہ وہ یِسوعؔ کی صلیب اُٹھائے۔

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کِتابِ مُقادّس

21 اور شمعُوؔن نام ایک کُرینی آدمی سکندر اور رُوؔفُس کا باپ دیہات سے آتے ہُوئے اُدھر سے گُزرا۔ اُنہوں نے اُسے بیگار میں پکڑا کہ اُس کی صلِیب اُٹھائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 اُس وقت لبیا کے شہر کرین کا رہنے والا ایک آدمی بنام شمعون دیہات سے شہر کو آ رہا تھا۔ وہ سکندر اور روفس کا باپ تھا۔ جب وہ عیسیٰ اور فوجیوں کے پاس سے گزرنے لگا تو فوجیوں نے اُسے صلیب اُٹھانے پر مجبور کیا۔

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مرقس 15:21
12 حوالہ جات  

जब फ़ौजी ईसा को ले जा रहे थे तो उन्होंने एक आदमी को पकड़ लिया जो लिबिया के शहर कुरेन का रहनेवाला था। उसका नाम शमौन था। उस वक़्त वह देहात से शहर में दाख़िल हो रहा था। उन्होंने सलीब को उसके कंधों पर रखकर उसे ईसा के पीछे चलने का हुक्म दिया।


शहर से निकलते वक़्त उन्होंने एक आदमी को देखा जो लिबिया के शहर कुरेन का रहनेवाला था। उसका नाम शमौन था। उसे उन्होंने सलीब उठाकर ले जाने पर मजबूर किया।


हमारे ख़ुदावंद के चुने हुए भाई रूफ़ुस को सलाम और इसी तरह उस की माँ को भी जो मेरी माँ भी है।


अंताकिया की जमात में कई नबी और उस्ताद थे : बरनबास, शमौन जो काला कहलाता था, लूकियुस कुरेनी, मनाहेम जिसने बादशाह हेरोदेस अंतिपास के साथ परवरिश पाई थी और साऊल।


लेकिन उनमें से कुरेन और क़ुबरुस के कुछ आदमी अंताकिया शहर जाकर यूनानियों को भी ख़ुदावंद ईसा के बारे में ख़ुशख़बरी सुनाने लगे।


एक दिन कुछ यहूदी स्तिफ़नुस से बहस करने लगे। (वह कुरेन, इस्कंदरिया, किलिकिया और सूबा आसिया के रहनेवाले थे और उनके इबादतख़ाने का नाम लिबरतीनियोँ यानी आज़ाद किए गए ग़ुलामों का इबादतख़ाना था।)


फ़रूगिया, पंफ़ीलिया, मिसर और लिबिया का वह इलाक़ा जो कुरेन के इर्दगिर्द है। रोम से भी लोग मौजूद हैं।


और जो अपनी सलीब उठाकर मेरे पीछे न हो ले वह मेरा शागिर्द नहीं हो सकता।


फिर उसका मज़ाक़ उड़ाने से थककर उन्होंने अरग़वानी लिबास उतारकर उसे दुबारा उसके अपने कपड़े पहनाए। फिर वह उसे मसलूब करने के लिए बाहर ले गए।


वह अपनी सलीब उठाए शहर से निकला और उस जगह पहुँचा जिसका नाम खोपड़ी (अरामी ज़बान में गुलगुता) था।


अगर कोई तुझको उसका सामान उठाकर एक किलोमीटर जाने पर मजबूर करे तो उसके साथ दो किलोमीटर चला जाना।


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