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مرقس 12:35 - किताबे-मुक़द्दस

35 जब ईसा बैतुल-मुक़द्दस में तालीम दे रहा था तो उसने पूछा, “शरीअत के उलमा क्यों दावा करते हैं कि मसीह दाऊद का फ़रज़ंद है?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

35 جِس وقت یِسوعؔ بیت المُقدّس کے صحنوں میں تعلیم دے رہے تھے، اُنہُوں نے پُوچھا، ”شَریعت کے عُلما کِس طرح کہتے ہیں کہ المسیح داویؔد کا بیٹا ہے؟

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کِتابِ مُقادّس

35 پِھر یِسُوعؔ نے ہَیکل میں تعلِیم دیتے وقت یہ کہا کہ فقِیہ کیونکر کہتے ہیں کہ مسِیح داؤُد کا بیٹا ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

35 جب عیسیٰ بیت المُقدّس میں تعلیم دے رہا تھا تو اُس نے پوچھا، ”شریعت کے علما کیوں دعویٰ کرتے ہیں کہ مسیح داؤد کا فرزند ہے؟

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مرقس 12:35
12 حوالہ جات  

उस वक़्त ईसा ने हुजूम से कहा, “क्या मैं डाकू हूँ कि तुम तलवारें और लाठियाँ लिए मुझे गिरिफ़्तार करने निकले हो? मैं तो रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में बैठकर तालीम देता रहा, मगर तुमने मुझे गिरिफ़्तार नहीं किया।


ईसा ने जवाब में कहा, “मैंने दुनिया में खुलकर बात की है। मैं हमेशा यहूदी इबादतख़ानों और बैतुल-मुक़द्दस में तालीम देता रहा, वहाँ जहाँ तमाम यहूदी जमा हुआ करते हैं। पोशीदगी में तो मैंने कुछ नहीं कहा।


पाक कलाम तो बयान करता है कि मसीह दाऊद के ख़ानदान और बैत-लहम से आएगा, उस गाँव से जहाँ दाऊद बादशाह पैदा हुआ।”


हर रोज़ ईसा बैतुल-मुक़द्दस में तालीम देता रहा और हर शाम वह निकलकर उस पहाड़ पर रात गुज़ारता था जिसका नाम ज़ैतून का पहाड़ है।


एक दिन जब वह बैतुल-मुक़द्दस में लोगों को तालीम दे रहा और अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुना रहा था तो राहनुमा इमाम, शरीअत के उलमा और बुज़ुर्ग उसके पास आए।


और वह रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में तालीम देता रहा। लेकिन बैतुल-मुक़द्दस के राहनुमा इमाम, शरीअत के आलिम और अवामी राहनुमा उसे क़त्ल करने के लिए कोशाँ रहे,


वह एक और दफ़ा यरूशलम पहुँच गए। और जब ईसा बैतुल-मुक़द्दस में फिर रहा था तो राहनुमा इमाम, शरीअत के उलमा और बुज़ुर्ग उसके पास आए।


जब ईसा वहाँ से रवाना हुआ तो दो अंधे उसके पीछे चलकर चिल्लाने लगे, “इब्ने-दाऊद, हम पर रहम करें।”


फिर ईसा उस जगह को छोड़कर यहूदिया के इलाक़े में और दरियाए-यरदन के पार चला गया। वहाँ भी हुजूम जमा हो गया। उसने उन्हें मामूल के मुताबिक़ तालीम दी।


मैं तो रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में तुम्हारे पास था और तालीम देता रहा, मगर तुमने मुझे गिरिफ़्तार नहीं किया। लेकिन यह इसलिए हो रहा है ताकि कलामे-मुक़द्दस की बातें पूरी हो जाएँ।”


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