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مرقس 10:33 - किताबे-मुक़द्दस

33 उसने कहा, “हम यरूशलम की तरफ़ बढ़ रहे हैं। वहाँ इब्ने-आदम को राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा के हवाले कर दिया जाएगा। वह उस पर सज़ाए-मौत का फ़तवा देकर उसे ग़ैरयहूदियों के हवाले कर देंगे,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

33 اُنہُوں نے کہا، ”ہم یروشلیمؔ شہر جا رہے ہیں، اَور اِبن آدمؔ اہم کاہِنوں اَور شَریعت کے عالِموں کے حوالہ کیا جائے گا۔ وہ اُس کے قتل کا حُکم صادر کرکے اُسے غَیریہُودیوں کے حوالہ کر دیں گے،

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کِتابِ مُقادّس

33 دیکھو ہم یروشلِیم کو جاتے ہیں اور اِبنِ آدمؔ سردار کاہِنوں اور فقِیہوں کے حوالہ کِیا جائے گا اور وہ اُس کے قتل کا حُکم دیں گے اور اُسے غَیر قَوموں کے حوالہ کریں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

33 اُس نے کہا، ”ہم یروشلم کی طرف بڑھ رہے ہیں۔ وہاں ابنِ آدم کو راہنما اماموں اور شریعت کے علما کے حوالے کر دیا جائے گا۔ وہ اُس پر سزائے موت کا فتویٰ دے کر اُسے غیریہودیوں کے حوالے کر دیں گے،

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مرقس 10:33
23 حوالہ جات  

वह उसे बाँधकर वहाँ से ले गए और रोमी गवर्नर पीलातुस के हवाले कर दिया।


फिर ईसा उन्हें तालीम देने लगा, “लाज़िम है कि इब्ने-आदम बहुत दुख उठाकर बुज़ुर्गों, राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा से रद्द किया जाए। उसे क़त्ल भी किया जाएगा, लेकिन वह तीसरे दिन जी उठेगा।”


आपका क्या फ़ैसला है?” उन्होंने जवाब दिया, “यह सज़ाए-मौत के लायक़ है।”


उस वक़्त से ईसा अपने शागिर्दों पर वाज़िह करने लगा, “लाज़िम है कि मैं यरूशलम जाकर क़ौम के बुज़ुर्गों, राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा के हाथों बहुत दुख उठाऊँ। मुझे क़त्ल किया जाएगा, लेकिन तीसरे दिन मैं जी उठूँगा।”


आपने रास्तबाज़ को मुजरिम ठहराकर क़त्ल किया है, और उसने आपका मुक़ाबला नहीं किया।


और अब मैं रूहुल-क़ुद्स से बँधा हुआ यरूशलम जा रहा हूँ। मैं नहीं जानता कि मेरे साथ क्या कुछ होगा,


यरूशलम के रहनेवालों और उनके राहनुमाओं ने ईसा को न पहचाना बल्कि उसे मुजरिम ठहराया। यों उनकी मारिफ़त नबियों की वह पेशगोइयाँ पूरी हुईं जिनकी तिलावत हर सबत को की जाती है।


ईसा ने जवाब दिया, “आपको मुझ पर इख़्तियार न होता अगर वह आपको ऊपर से न दिया गया होता। इस वजह से उस शख़्स से ज़्यादा संगीन गुनाह हुआ है जिसने मुझे दुश्मन के हवाले कर दिया है।”


फिर यहूदी ईसा को कायफ़ा से लेकर रोमी गवर्नर के महल बनाम प्रैटोरियुम के पास पहुँच गए। अब सुबह हो चुकी थी और चूँकि यहूदी फ़सह की ईद के खाने में शरीक होना चाहते थे, इसलिए वह महल में दाख़िल न हुए, वरना वह नापाक हो जाते।


लेकिन वह चिल्लाते रहे, “इसे मसलूब करें, इसे मसलूब करें।”


उसने कहा, “लाज़िम है कि इब्ने-आदम बहुत दुख उठाकर बुज़ुर्गों, राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा से रद्द किया जाए। उसे क़त्ल भी किया जाएगा, लेकिन तीसरे दिन वह जी उठेगा।”


सुबह-सवेरे ही राहनुमा इमाम बुज़ुर्गों, शरीअत के उलमा और पूरी यहूदी अदालते-आलिया के साथ मिलकर फ़ैसले तक पहुँच गए। वह ईसा को बाँधकर वहाँ से ले गए और रोमी गवर्नर पीलातुस के हवाले कर दिया।


आपने ख़ुद सुन लिया है कि इसने कुफ़र बका है। आपका क्या फ़ैसला है?” सबने उसे सज़ाए-मौत के लायक़ क़रार दिया।


क्योंकि वह अपने शागिर्दों को तालीम दे रहा था। उसने उनसे कहा, “इब्ने-आदम को आदमियों के हवाले कर दिया जाएगा। वह उसे क़त्ल करेंगे, लेकिन तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।”


उसे हक़ीर और मरदूद समझा जाता था। दुख और बीमारियाँ उस की साथी रहीं, और लोग यहाँ तक उस की तहक़ीर करते थे कि उसे देखकर अपना मुँह फेर लेते थे। हम उस की कुछ क़दर नहीं करते थे।


ईसा ने जवाब दिया, “इलियास तो ज़रूर पहले सब कुछ बहाल करने के लिए आएगा। लेकिन कलामे-मुक़द्दस में इब्ने-आदम के बारे में यह क्यों लिखा है कि उसे बहुत दुख उठाना और हक़ीर समझा जाना है?


ईसा ने इस तरफ़ इशारा किया था कि वह किस तरह मरेगा और अब उस की यह बात पूरी हुई।


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