ملاکی 3:8 - किताबे-मुक़द्दस8 क्या मुनासिब है कि इनसान अल्लाह को ठगे? हरगिज़ नहीं! लेकिन तुम लोग यही कुछ कर रहे हो। तुम पूछते हो, ‘हम किस तरह तुझे ठगते हैं?’ इसमें कि तुम मुझे अपनी पैदावार का दसवाँ हिस्सा नहीं देते। नीज़, तुम इमामों को क़ुरबानियों का वह हिस्सा नहीं देते जो उनका हक़ बनता है। باب دیکھیںاُردو ہم عصر ترجُمہ8 ”کیا کویٔی فانی شخص یَاہوِہ کو لُوٹ سکتا ہے؟ پھر بھی تُم مُجھے لُٹتے ہو۔ ”لیکن تُم پُوچھتے ہو، ’ہم کس بات میں آپ کو لُوٹتے ہیں؟‘ ”تُم دہ یکیوں اَور نذرانہ کے مُعاملے میں لُٹتے ہو۔ باب دیکھیںکِتابِ مُقادّس8 کیا کوئی آدمی خُدا کو ٹھگے گا؟ پر تُم مُجھ کو ٹھگتے ہو اور کہتے ہو ہم نے کِس بات میں تُجھے ٹھگا؟ دَہ یکی اور ہدیہ میں۔ باب دیکھیںہولی بائبل کا اردو جیو ورژن8 کیا مناسب ہے کہ انسان اللہ کو ٹھگے؟ ہرگز نہیں! لیکن تم لوگ یہی کچھ کر رہے ہو۔ تم پوچھتے ہو، ’ہم کس طرح تجھے ٹھگتے ہیں؟‘ اِس میں کہ تم مجھے اپنی پیداوار کا دسواں حصہ نہیں دیتے۔ نیز، تم اماموں کو قربانیوں کا وہ حصہ نہیں دیتے جو اُن کا حق بنتا ہے۔ باب دیکھیں |
तुम शिकायत करते हो, ‘हाय, यह ख़िदमत कितनी तकलीफ़देह है!’ और क़ुरबानी की आग को हिक़ारत की नज़रों से देखते हुए तेज़ करते हो। हर क़िस्म का जानवर पेश किया जाता है, ख़ाह वह ज़ख़मी, लँगड़ा या बीमार क्यों न हो।” रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “क्या मैं तुम्हारे हाथों से ऐसी क़ुरबानियाँ क़बूल कर सकता हूँ? हरगिज़ नहीं!
क्योंकि गो अंधे जानवरों को क़ुरबान करना सख़्त मना है, तो भी तुम यह बात नज़रंदाज़ करके ऐसे जानवरों को क़ुरबान करते हो। लँगड़े या बीमार जानवर चढ़ाना भी ममनू है, तो भी तुम कहते हो, ‘कोई बात नहीं’ और ऐसे ही जानवरों को पेश करते हो।” रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “अगर वाक़ई इसकी कोई बात नहीं तो अपने मुल्क के गवर्नर को ऐसे जानवरों को पेश करो। क्या वह तुमसे ख़ुश होगा? क्या वह तुम्हें क़बूल करेगा? हरगिज़ नहीं!