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ملاکی 3:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 इसमें कि तुम कहते हो, ‘अल्लाह की ख़िदमत करना अबस है। क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज की हिदायात पर ध्यान देने और मुँह लटकाकर उसके हुज़ूर फिरने से हमें क्या फ़ायदा हुआ है?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 تُم نے کہا ہے، یَاہوِہ کی عبادت کرنا بیکار ہے۔ قادرمُطلق یَاہوِہ کے تقاضوں پر عَمل کرنے اَور اُن کے حُضُور میں ماتم کرنے والوں کی طرح جانے سے کیا حاصل ہُوا؟

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کِتابِ مُقادّس

14 تُم نے تو کہا خُدا کی عِبادت کرنا عبث ہے۔ ربُّ الافواج کے احکام پر عمل کرنا اور اُس کے حضُور ماتم کرنا لاحاصِل ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 اِس میں کہ تم کہتے ہو، ’اللہ کی خدمت کرنا عبث ہے۔ کیونکہ رب الافواج کی ہدایات پر دھیان دینے اور منہ لٹکا کر اُس کے حضور پھرنے سے ہمیں کیا فائدہ ہوا ہے؟

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ملاکی 3:14
16 حوالہ جات  

वह शिकायत करते हैं, ‘जब हम रोज़ा रखते हैं तो तू तवज्जुह क्यों नहीं देता? जब हम अपने आपको ख़ाकसार बनाकर इंकिसारी का इज़हार करते हैं तो तू ध्यान क्यों नहीं देता?’ सुनो! रोज़ा रखते वक़्त तुम अपना कारोबार मामूल के मुताबिक़ चलाकर अपने मज़दूरों को दबाए रखते हो।


तब मैं चराग़ लेकर यरूशलम के कोने कोने में उनका खोज लगाऊँगा जो इस वक़्त बड़े आराम से बैठे हैं, ख़ाह हालात कितने बुरे क्यों न हों। मैं उनसे निपट लूँगा जो सोचते हैं, ‘रब कुछ नहीं करेगा, न अच्छा काम और न बुरा।’


या यह कि ‘मुझे क्या फ़ायदा है, गुनाह न करने से मुझे क्या नफ़ा होता है?’


रब फ़रमाता है, “अब भी तुम तौबा कर सकते हो। पूरे दिल से मेरे पास वापस आओ! रोज़ा रखो, आहो-ज़ारी करो, मातम करो!


क्योंकि वह दावा करते हैं कि अल्लाह से लुत्फ़अंदोज़ होना इनसान के लिए बेफ़ायदा है।


अफ़सोस करें, मातम करें, ख़ूब रोएँ। आपकी हँसी मातम में बदल जाए और आपकी ख़ुशी मायूसी में।


उन्होंने अल्लाह से कहा, ‘हमसे दूर हो जा,’ और ‘क़ादिरे-मुतलक़ हमारे लिए क्या कुछ कर सकता है?’


ऐ याक़ूब की औलाद, ऐ इसराईल, बात यह नहीं कि तूने मुझसे फ़रियाद की, कि तू मेरी मरज़ी दरियाफ़्त करने के लिए कोशाँ रहा।


ऐ इसराईल, इतना न दौड़ कि तेरे जूते घिसकर फट जाएँ और तेरा गला ख़ुश्क हो जाए। लेकिन अफ़सोस, तू बज़िद है, ‘नहीं, मुझे छोड़ दे! मैं अजनबी माबूदों को प्यार करती हूँ, और लाज़िम है कि मैं उनके पीछे भागती जाऊँ।’


लेकिन अफ़सोस, यह एतराज़ करेंगे, ‘दफ़ा करो! हम अपने ही मनसूबे जारी रखेंगे। हर एक अपने शरीर दिल की ज़िद के मुताबिक़ ही ज़िंदगी गुज़ारेगा’।”


वह तौबा करके वापस आ जाते हैं, लेकिन मेरे पास नहीं, लिहाज़ा वह ढीली कमान जैसे बेकार हो गए हैं। चुनाँचे उनके राहनुमा कुफ़र बकने के सबब से तलवार की ज़द में आकर हलाक हो जाएंगे। इस बात के बाइस वह मिसर में मज़ाक़ का निशाना बन जाएंगे।


रब फ़रमाता है, “तुम मेरे बारे में कुफ़र बकते हो। तुम कहते हो, ‘हम क्योंकर कुफ़र बकते हैं?’


लेकिन जब से हम आसमानी मलिका को बख़ूर और मै की नज़रें पेश करने से बाज़ आए हैं उस वक़्त से हर लिहाज़ से हाजतमंद रहे हैं। उसी वक़्त से हम तलवार और काल की ज़द में आकर नेस्त हो रहे हैं।”


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