ملاکی 2:7 - किताबे-मुक़द्दस7 इमामों का फ़र्ज़ है कि वह सहीह तालीम महफ़ूज़ रखें, और लोगों को उनसे हिदायत हासिल करनी चाहिए। क्योंकि इमाम रब्बुल-अफ़वाज का पैग़ंबर है। باب دیکھیںاُردو ہم عصر ترجُمہ7 کیونکہ لازِم ہے کہ کاہِنؔ کے لب تعلیم کو محفوظ رکھیں اَور اُس کے مُنہ سے لوگ ہدایت حاصل کریں، کیونکہ وہ قادرمُطلق یَاہوِہ کا پیغمبر ہے۔ باب دیکھیںکِتابِ مُقادّس7 کیونکہ لازِم ہے کہ کاہِن کے لب معرفت کو محفُوظ رکھّیں اور لوگ اُس کے مُنہ سے شرعی مسائِل پُوچھیں کیونکہ وہ ربُّ الافواج کا رسُول ہے۔ باب دیکھیںہولی بائبل کا اردو جیو ورژن7 اماموں کا فرض ہے کہ وہ صحیح تعلیم محفوظ رکھیں، اور لوگوں کو اُن سے ہدایت حاصل کرنی چاہئے۔ کیونکہ امام رب الافواج کا پیغمبر ہے۔ باب دیکھیں |
ऐ अज़रा, जो हिकमत आपके ख़ुदा ने आपको अता की है उसके मुताबिक़ मजिस्ट्रेट और क़ाज़ी मुक़र्रर करें जो आपकी क़ौम के उन लोगों का इनसाफ़ करें जो दरियाए-फ़ुरात के मग़रिब में रहते हैं। जितने भी आपके ख़ुदा के अहकाम जानते हैं वह इसमें शामिल हैं। और जितने इन अहकाम से वाक़िफ़ नहीं हैं उन्हें आपको तालीम देनी है।
मुल्क के इमाम मेरी शरीअत से ज़्यादती करके उन चीज़ों की बेहुरमती करते हैं जो मुझे मुक़द्दस हैं। न वह मुक़द्दस और आम चीज़ों में इम्तियाज़ करते, न पाक और नापाक अशया का फ़रक़ सिखाते हैं। नीज़, वह मेरे सबत के दिन अपनी आँखों को बंद रखते हैं ताकि उस की बेहुरमती नज़र न आए। यों उनके दरमियान ही मेरी बेहुरमती की जाती है।