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ملاکی 1:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 तुम शिकायत करते हो, ‘हाय, यह ख़िदमत कितनी तकलीफ़देह है!’ और क़ुरबानी की आग को हिक़ारत की नज़रों से देखते हुए तेज़ करते हो। हर क़िस्म का जानवर पेश किया जाता है, ख़ाह वह ज़ख़मी, लँगड़ा या बीमार क्यों न हो।” रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “क्या मैं तुम्हारे हाथों से ऐसी क़ुरबानियाँ क़बूल कर सकता हूँ? हरगिज़ नहीं!

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 اَور تُم یہ بھی کہتے ہو کہ، یہ کیسی زحمت ہے، اَور اُس پر حقارت سے ناک سکوڑتے ہو۔ یہ قادرمُطلق یَاہوِہ کا فرمان ہے۔ ”جَب تُم زخمی یا عیب دار یا بیمار جانور قُربانی کرنے لاتے ہو تو کیا میں اَیسی قُربانی تمہارے ہاتھ سے قبُول کروں؟“ یہ قادرمُطلق یَاہوِہ کا فرمان ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

13 اور تُم نے کہا یہ کَیسی زحمت ہے! اور اُس پر ناک چڑھائی ربُّ الافواج فرماتا ہے۔ پِھر تُم لُوٹ کا مال اور لنگڑے اور بِیمار ذبِیحے لائے اور اِسی طرح کے ہدئے گُذرانے۔ کیا مَیں اِن کو تُمہارے ہاتھ سے قبُول کرُوں؟ خُداوند فرماتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 تم شکایت کرتے ہو، ’ہائے، یہ خدمت کتنی تکلیف دہ ہے!‘ اور قربانی کی آگ کو حقارت کی نظروں سے دیکھتے ہوئے تیز کرتے ہو۔ ہر قسم کا جانور پیش کیا جاتا ہے، خواہ وہ زخمی، لنگڑا یا بیمار کیوں نہ ہو۔“ رب الافواج فرماتا ہے، ”کیا مَیں تمہارے ہاتھوں سے ایسی قربانیاں قبول کر سکتا ہوں؟ ہرگز نہیں!

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ملاکی 1:13
28 حوالہ جات  

वह सवाल करता है, “ऐ मेरी क़ौम, मैंने तेरे साथ क्या ग़लत सुलूक किया? मैंने क्या किया कि तू इतनी थक गई है? बता तो सही!


रोज़ा रखते वक़्त रियाकारों की तरह मुँह लटकाए न फिरो, क्योंकि वह ऐसा रूप भरते हैं ताकि लोगों को मालूम हो जाए कि वह रोज़ा से हैं। मैं तुमको सच बताता हूँ, जितना अज्र उन्हें मिलना था उन्हें मिल चुका है।


दुआ करते वक़्त रियाकारों की तरह न करना जो इबादतख़ानों और चौकों में जाकर दुआ करना पसंद करते हैं, जहाँ सब उन्हें देख सकें। मैं तुमको सच बताता हूँ, जितना अज्र उन्हें मिलना था उन्हें मिल चुका है।


तुमसे एक और ख़ता भी सरज़द होती है। बेशक रब की क़ुरबानगाह को अपने आँसुओं से तर करो, बेशक रोते और कराहते रहो कि रब न हमारी क़ुरबानियों पर तवज्जुह देता, न उन्हें ख़ुशी से हमारे हाथ से क़बूल करता है। लेकिन यह करने से कोई फ़रक़ नहीं पड़ेगा।


तुम कहते हो, “नए चाँद की ईद कब गुज़र जाएगी, सबत का दिन कब ख़त्म है ताकि हम अनाज के गोदाम खोलकर ग़ल्ला बेच सकें? तब हम पैमाइश के बरतन छोटे और तराज़ू के बाट हलके बनाएँगे, साथ साथ सौदे का भाव बढ़ाएँगे। हम फ़रोख़्त करते वक़्त अनाज के साथ उसका भूसा भी मिलाएँगे।” अपने नाजायज़ तरीक़ों से तुम थोड़े पैसों में बल्कि एक जोड़ी जूतों के एवज़ ग़रीबों को ख़रीदते हो।


जो परिंदा या दीगर जानवर फ़ितरी तौर पर या किसी दूसरे जानवर के हमले से मर जाए उसका गोश्त खाना इमाम के लिए मना है।


यह सुनकर मैं बोल उठा, “हाय, हाय! ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, मैं कभी भी नापाक नहीं हुआ। जवानी से लेकर आज तक मैंने कभी ऐसे जानवर का गोश्त नहीं खाया जिसे ज़बह नहीं किया गया था या जिसे जंगली जानवरों ने फाड़ा था। नापाक गोश्त कभी मेरे मुँह में नहीं आया।”


वादियों के रगड़े हुए पत्थर तेरा हिस्सा और तेरा मुक़द्दर बन गए हैं। क्योंकि उन्हीं को तूने मै और ग़ल्ला की नज़रें पेश कीं। इसके मद्दे-नज़र मैं अपना फ़ैसला क्यों बदलूँ?


किसने तुमसे तक़ाज़ा किया कि मेरे हुज़ूर आते वक़्त मेरी बारगाहों को पाँवों तले रौंदो?


तो फिर तुम लोग ज़बह और ग़ल्ला की वह क़ुरबानियाँ हक़ीर क्यों जानते हो जो मुझे ही पेश की जाती हैं और जो मैंने अपनी सुकूनतगाह के लिए मुक़र्रर की थीं? एली, तू अपने बेटों का मुझसे ज़्यादा एहतराम करता है। तुम तो मेरी क़ौम इसराईल की हर क़ुरबानी के बेहतरीन हिस्से खा खाकर मोटे हो गए हो।’


अगर ऐसे जानवर में कोई ख़राबी हो, वह अंधा या लँगड़ा हो या उसमें कोई और नुक़्स हो तो उसे रब अपने ख़ुदा के लिए क़ुरबान न करना।


इमाम ऐसे जानवरों का गोश्त न खाए जो फ़ितरी तौर पर मर गए या जिन्हें जंगली जानवरों ने फाड़ डाला हो, वरना वह नापाक हो जाएगा। मैं रब हूँ।


अगर वह इस तरह का गुनाह करके क़ुसूरवार ठहरे तो लाज़िम है कि वह वही चीज़ वापस करे जो उसने चोरी की या छीन ली या जो उसके सुपुर्द की गई या जो गुमशुदा होकर उसके पास आ गई है


लेकिन बादशाह ने इनकार किया, “नहीं, मैं ज़रूर हर चीज़ की पूरी क़ीमत अदा करूँगा। मैं रब अपने ख़ुदा को ऐसी कोई भस्म होनेवाली क़ुरबानी पेश नहीं करूँगा जो मुझे मुफ़्त में मिल जाए।” चुनाँचे दाऊद ने बैलों समेत गाहने की जगह चाँदी के 50 सिक्कों के एवज़ ख़रीद ली।


क्योंकि रब फ़रमाता है, “मुझे इनसाफ़ पसंद है। मैं ग़ारतगरी और कजरवी से नफ़रत रखता हूँ। मैं अपने लोगों को वफ़ादारी से उनका अज्र दूँगा, मैं उनके साथ अबदी अहद बाँधूँगा।


ऐ इसराईल, तू इसलिए तबाह हो गया है कि तू मेरे ख़िलाफ़ है, उसके ख़िलाफ़ जो तेरी मदद कर सकता है।


काश तुममें से कोई मेरे घर के दरवाज़ों को बंद करे ताकि मेरी क़ुरबानगाह पर बेफ़ायदा आग न लगा सको! मैं तुमसे ख़ुश नहीं, और तुम्हारे हाथों से क़ुरबानियाँ मुझे बिलकुल पसंद नहीं।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


लेकिन जिसने भी ऐसा किया है उसे रब जड़ से याक़ूब के ख़ैमों से निकाल फेंकेगा, ख़ाह वह रब्बुल-अफ़वाज को कितनी क़ुरबानियाँ पेश क्यों न करे।


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