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لوقا 7:25 - किताबे-मुक़द्दस

25 या क्या वहाँ जाकर ऐसे आदमी की तवक़्क़ो कर रहे थे जो नफ़ीस और मुलायम लिबास पहने हुए है? नहीं, जो शानदार कपड़े पहनते और ऐशो-इशरत में ज़िंदगी गुज़ारते हैं वह शाही महलों में पाए जाते हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

25 اگر نہیں، تو اَور کیا دیکھنے گیٔے تھے؟ نفیس کپڑے پہنے ہُوئے کسی شخص کو؟ جو نفیس کپڑے پہنتے ہیں اَور عیش کرتے ہیں، شاہی محلوں میں رہتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

25 تو پِھر کیا دیکھنے گئے تھے؟ کیا مہِین کپڑے پہنے ہُوئے شخص کو؟ دیکھو جو چمک دار پوشاک پہنتے اور عَیش و عِشرت میں رہتے ہیں وہ بادشاہی محلّوں میں ہوتے ہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

25 یا کیا وہاں جا کر ایسے آدمی کی توقع کر رہے تھے جو نفیس اور ملائم لباس پہنے ہوئے ہے؟ نہیں، جو شاندار کپڑے پہنتے اور عیش و عشرت میں زندگی گزارتے ہیں وہ شاہی محلوں میں پائے جاتے ہیں۔

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لوقا 7:25
16 حوالہ جات  

लेकिन मैं तुम्हें बताता हूँ कि सुलेमान बादशाह अपनी पूरी शानो-शौकत के बावुजूद ऐसे शानदार कपड़ों से मुलब्बस नहीं था जैसे उनमें से एक।


यहया ऊँटों के बालों का लिबास पहने और कमर पर चमड़े का पटका बाँधे रहता था। ख़ुराक के तौर पर वह टिड्डियाँ और जंगली शहद खाता था।


रास्ती के ज़िरा-बकतर से मुलब्बस होकर उसने सर पर नजात का ख़ोद रखा, इंतक़ाम का लिबास पहनकर उसने ग़ैरत की चादर ओढ़ ली।


मर्दकी क़िरमिज़ी और सफ़ेद रंग का शाही लिबास, नफ़ीस कतान और अरग़वानी रंग की चादर और सर पर सोने का बड़ा ताज पहने हुए महल से निकला। तब सोसन के बाशिंदे नारे लगा लगाकर ख़ुशी मनाने लगे।


तीसरे दिन आस्तर मलिका अपना शाही लिबास पहने हुए महल के अंदरूनी सहन में दाख़िल हुई। यह सहन उस हाल के सामने था जिसमें तख़्त लगा था। उस वक़्त बादशाह दरवाज़े के मुक़ाबिल अपने तख़्त पर बैठा था।


वह शाही सहन के दरवाज़े तक पहुँच गया लेकिन दाख़िल न हुआ, क्योंकि मातमी कपड़े पहनकर दाख़िल होने की इजाज़त नहीं थी।


उसने हुक्म दिया, “वशती मलिका को शाही ताज पहनाकर मेरे हुज़ूर ले आओ ताकि शुरफ़ा और बाक़ी मेहमानों को उस की ख़ूबसूरती मालूम हो जाए।” क्योंकि वशती निहायत ख़ूबसूरत थी।


अपनी हुकूमत के तीसरे साल में उसने अपने तमाम बुज़ुर्गों और अफ़सरों की ज़ियाफ़त की। फ़ारस और मादी के फ़ौजी अफ़सर और सूबों के शुरफ़ा और रईस सब शरीक हुए।


उन्होंने जवाब दिया, “उसके लंबे बाल थे, और कमर में चमड़े की पेटी बँधी हुई थी।” बादशाह बोल उठा, “यह तो इलियास तिशबी था!”


उसने बादशाह की मेज़ों पर के मुख़्तलिफ़ खाने देखे और यह कि उसके अफ़सर किस तरतीब से उस पर बिठाए जाते थे। उसने बैरों की ख़िदमत, उनकी शानदार वरदियों और साक़ियों पर भी ग़ौर किया। जब उसने इन बातों के अलावा भस्म होनेवाली वह क़ुरबानियाँ भी देखीं जो सुलेमान रब के घर में चढ़ाता था तो मलिका हक्का-बक्का रह गई।


मेरी उम्र 80 साल है। न मैं अच्छी और बुरी चीज़ों में इम्तियाज़ कर सकता, न मुझे खाने-पीने की चीज़ों का मज़ा आता है। गीत गानेवालों की आवाज़ें भी मुझसे सुनी नहीं जातीं। नहीं मेरे आक़ा और बादशाह, अगर मैं आपके साथ जाऊँ तो आपके लिए सिर्फ़ बोझ का बाइस हूँगा।


या क्या वहाँ जाकर ऐसे आदमी की तवक़्क़ो कर रहे थे जो नफ़ीस और मुलायम लिबास पहने हुए है? नहीं, जो शानदार कपड़े पहनते हैं वह शाही महलों में पाए जाते हैं।


यहया के यह क़ासिद चले गए तो ईसा हुजूम से यहया के बारे में बात करने लगा, “तुम रेगिस्तान में क्या देखने गए थे? एक सरकंडा जो हवा के हर झोंके से हिलता है? बेशक नहीं।


तो फिर तुम क्या देखने गए थे? एक नबी को? बिलकुल सहीह, बल्कि मैं तुमको बताता हूँ कि वह नबी से भी बड़ा है।


एक अमीर आदमी का ज़िक्र है जो अरग़वानी रंग के कपड़े और नफ़ीस कतान पहनता और हर रोज़ ऐशो-इशरत में गुज़ारता था।


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