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لوقا 21:37 - किताबे-मुक़द्दस

37 हर रोज़ ईसा बैतुल-मुक़द्दस में तालीम देता रहा और हर शाम वह निकलकर उस पहाड़ पर रात गुज़ारता था जिसका नाम ज़ैतून का पहाड़ है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

37 یِسوعؔ ہر روز بیت المُقدّس میں تعلیم دیتے تھے، اَور ہر رات کو باہر جا کر اُس پہاڑ پر رات گزارتے تھے جِس کا نام کوہِ زَیتُون تھا،

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کِتابِ مُقادّس

37 اور وہ ہر روز ہَیکل میں تعلِیم دیتا تھا اور رات کو باہر جا کر اُس پہاڑ پر رہا کرتا تھا جو زَیتُوؔن کا کہلاتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

37 ہر روز عیسیٰ بیت المُقدّس میں تعلیم دیتا رہا اور ہر شام وہ نکل کر اُس پہاڑ پر رات گزارتا تھا جس کا نام زیتون کا پہاڑ ہے۔

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لوقا 21:37
15 حوالہ جات  

फिर वह शहर से निकलकर मामूल के मुताबिक़ ज़ैतून के पहाड़ की तरफ़ चल दिया। उसके शागिर्द उसके पीछे हो लिए।


जब शाम हुई तो ईसा और उसके शागिर्द शहर से निकल गए।


उस वक़्त ईसा ने हुजूम से कहा, “क्या मैं डाकू हूँ कि तुम तलवारें और लाठियाँ लिए मुझे गिरिफ़्तार करने निकले हो? मैं तो रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में बैठकर तालीम देता रहा, मगर तुमने मुझे गिरिफ़्तार नहीं किया।


फिर वह उन्हें छोड़कर शहर से निकला और बैत-अनियाह पहुँचा जहाँ उसने रात गुज़ारी।


वह यरूशलम के क़रीब बैत-फ़गे पहुँचे। यह गाँव ज़ैतून के पहाड़ पर वाक़े था। ईसा ने दो शागिर्दों को भेजा


फिर वह ज़ैतून के पहाड़ से यरूशलम शहर वापस चले गए। (यह पहाड़ शहर से तक़रीबन एक किलोमीटर दूर है।)


फ़सह की ईद में अभी छः दिन बाक़ी थे कि ईसा बैत-अनियाह पहुँचा। यह वह जगह थी जहाँ उस लाज़र का घर था जिसे ईसा ने मुरदों में से ज़िंदा किया था।


चलते चलते वह उस जगह के क़रीब पहुँचा जहाँ रास्ता ज़ैतून के पहाड़ पर से उतरने लगता है। इस पर शागिर्दों का पूरा हुजूम ख़ुशी के मारे ऊँची आवाज़ से उन मोजिज़ों के लिए अल्लाह की तमजीद करने लगा जो उन्होंने देखे थे,


अगले दिन जब वह बैत-अनियाह से निकल रहे थे तो ईसा को भूक लगी।


फिर एक ज़बूर गाकर वह निकले और ज़ैतून के पहाड़ के पास पहुँचे।


उस दिन उसके पाँव यरूशलम के मशरिक़ में ज़ैतून के पहाड़ पर खड़े होंगे। तब पहाड़ फट जाएगा। उसका एक हिस्सा शिमाल की तरफ़ और दूसरा जुनूब की तरफ़ खिसक जाएगा। बीच में मशरिक़ से मग़रिब की तरफ़ एक बड़ी वादी पैदा हो जाएगी।


मैं तो रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में तुम्हारे पास था और तालीम देता रहा, मगर तुमने मुझे गिरिफ़्तार नहीं किया। लेकिन यह इसलिए हो रहा है ताकि कलामे-मुक़द्दस की बातें पूरी हो जाएँ।”


जब वह बैत-फ़गे और बैत-अनियाह के क़रीब पहुँचा जो ज़ैतून के पहाड़ पर थे तो उसने दो शागिर्दों को अपने आगे भेजकर


और वह रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस में तालीम देता रहा। लेकिन बैतुल-मुक़द्दस के राहनुमा इमाम, शरीअत के आलिम और अवामी राहनुमा उसे क़त्ल करने के लिए कोशाँ रहे,


यहूदाह जो उसे दुश्मन के हवाले करनेवाला था वह भी इस जगह से वाक़िफ़ था, क्योंकि ईसा वहाँ अपने शागिर्दों के साथ जाया करता था।


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