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لوقا 20:36 - किताबे-मुक़द्दस

36 वह मर भी नहीं सकेंगे, क्योंकि वह फ़रिश्तों की मानिंद होंगे और क़ियामत के फ़रज़ंद होने के बाइस अल्लाह के फ़रज़ंद होंगे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

36 وہ مَریں گے بھی نہیں؛ کیونکہ وہ فرشتوں کی مانِند ہوں گے۔ اَور قیامت کے فرزند نے کے باعث خُدا کے فرزند ہوں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

36 کیونکہ وہ پِھر مَرنے کے بھی نہیں اِس لِئے کہ فرِشتوں کے برابر ہوں گے اور قِیامت کے فرزند ہو کر خُدا کے بھی فرزند ہوں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

36 وہ مر بھی نہیں سکیں گے، کیونکہ وہ فرشتوں کی مانند ہوں گے اور قیامت کے فرزند ہونے کے باعث اللہ کے فرزند ہوں گے۔

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لوقا 20:36
20 حوالہ جات  

वह उनकी आँखों से तमाम आँसू पोंछ डालेगा। अब से न मौत होगी न मातम, न रोना होगा न दर्द, क्योंकि जो भी पहले था वह जाता रहा है।”


उस वक़्त वह हमारे पस्तहाल बदनों को बदलकर अपने जलाली बदन के हमशक्ल बना देगा। और यह वह उस क़ुव्वत के ज़रीए करेगा जिससे वह तमाम चीज़ें अपने ताबे कर सकता है।


क्योंकि क़ियामत के दिन लोग न शादी करेंगे न उनकी शादी कराई जाएगी बल्कि वह आसमान पर फ़रिश्तों की मानिंद होंगे।


मुबारक और मुक़द्दस हैं वह जो इस पहली क़ियामत में शरीक हैं। इन पर दूसरी मौत का कोई इख़्तियार नहीं है बल्कि यह अल्लाह और मसीह के इमाम होकर हज़ार साल तक उसके साथ हुकूमत करेंगे।


मुरदों का जी उठना भी ऐसा ही है। जिस्म फ़ानी हालत में बोया जाता है और लाफ़ानी हालत में जी उठता है।


लेकिन उसने मुझसे कहा, “ऐसा मत कर! मैं भी उसी का ख़ादिम हूँ जिसका तू, तेरे भाई नबी और किताब की पैरवी करनेवाले हैं। ख़ुदा ही को सिजदा कर!”


आख़िरी दुश्मन जिसे नेस्त किया जाएगा मौत होगी।


क्योंकि जब मुरदे जी उठेंगे तो न वह शादी करेंगे न उनकी शादी कराई जाएगी बल्कि वह आसमान पर फ़रिश्तों की मानिंद होंगे।


यों हम इस वक़्त ख़ाकी इनसान की शक्लो-सूरत रखते हैं जबकि हम उस वक़्त आसमानी इनसान की शक्लो-सूरत रखेंगे।


“रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘मेरी राहों पर चलकर मेरे अहकाम पर अमल कर तो तू मेरे घर की राहनुमाई और उस की बारगाहों की देख-भाल करेगा। फिर मैं तेरे लिए यहाँ आने और हाज़िरीन में खड़े होने का रास्ता क़ायम रखूँगा।


मैं फ़िद्या देकर उन्हें पाताल से क्यों रिहा करूँ? मैं उन्हें मौत की गिरिफ़्त से क्यों छुड़ाऊँ? ऐ मौत, तेरे काँटे कहाँ रहे? ऐ पाताल, तेरा डंक कहाँ रहा? उसे काम में ला, क्योंकि मैं तरस नहीं खाऊँगा।


मौत इलाही फ़तह का लुक़मा होकर अबद तक नेस्तो-नाबूद रहेगी। तब रब क़ादिरे-मुतलक़ हर चेहरे के आँसू पोंछकर तमाम दुनिया में से अपनी क़ौम की रुसवाई दूर करेगा। रब ही ने यह सब कुछ फ़रमाया है।


रूहुल-क़ुद्स ख़ुद हमारी रूह के साथ मिलकर गवाही देता है कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं।


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