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لوقا 2:41 - किताबे-मुक़द्दस

41 ईसा के वालिदैन हर साल फ़सह की ईद के लिए यरूशलम जाया करते थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

41 اُس کے والدین ہر سال عیدِفسح کے لیٔے یروشلیمؔ جایا کرتے تھے۔

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کِتابِ مُقادّس

41 اُس کے ماں باپ ہر برس عِیدِ فَسح پر یروشلیِم کو جایا کرتے تھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

41 عیسیٰ کے والدین ہر سال فسح کی عید کے لئے یروشلم جایا کرتے تھے۔

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لوقا 2:41
18 حوالہ جات  

यह चीज़ें सिर्फ़ रब के हुज़ूर खाना यानी उस जगह पर जिसे वह मक़दिस के लिए चुनेगा। वहीं तू अपने बेटे-बेटियों, ग़ुलामों, लौंडियों और अपने क़बायली इलाक़े के लावियों के साथ जमा होकर ख़ुशी मना कि रब ने हमारी मेहनत को बरकत दी है।


जब यहूदी ईदे-फ़सह क़रीब आ गई तो ईसा यरूशलम चला गया।


अगले साल इलक़ाना ख़ानदान के साथ मामूल के मुताबिक़ सैला गया ताकि रब को सालाना क़ुरबानी पेश करे और अपनी मन्नत पूरी करे।


इलक़ाना हर साल अपने ख़ानदान समेत सफ़र करके सैला के मक़दिस के पास जाता ताकि वहाँ रब्बुल-अफ़वाज के हुज़ूर क़ुरबानी गुज़राने और उस की परस्तिश करे। उन दिनों में एली इमाम के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास सैला में इमाम की ख़िदमत अंजाम देते थे।


इसराईल के तमाम मर्द साल में तीन मरतबा उस मक़दिस पर हाज़िर हो जाएँ जो रब तेरा ख़ुदा चुनेगा यानी बेख़मीरी रोटी की ईद, फ़सल की कटाई की ईद और झोंपड़ियों की ईद पर। कोई भी रब के हुज़ूर ख़ाली हाथ न आए।


तब रब तुम्हारा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के लिए एक जगह चुन लेगा, और तुम्हें सब कुछ जो मैं बताऊँगा वहाँ लाकर पेश करना है, ख़ाह वह भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ, ज़बह की क़ुरबानियाँ, पैदावार का दसवाँ हिस्सा, उठानेवाली क़ुरबानियाँ या मन्नत के ख़ास हदिये क्यों न हों।


पहले महीने के चौधवें दिन फ़सह की ईद मनाई जाए।


फ़सह की ईद पहले महीने के चौधवें दिन शुरू होती है। उस दिन सूरज के ग़ुरूब होने पर रब की ख़ुशी मनाई जाए।


लाज़िम है कि तेरे तमाम मर्द साल में तीन मरतबा रब क़ादिरे-मुतलक़ के सामने जो इसराईल का ख़ुदा है हाज़िर हों।


आज की रात को हमेशा याद रखना। इसे नसल-दर-नसल और हर साल रब की ख़ास ईद के तौर पर मनाना।


फ़सह की ईद अब शुरू होनेवाली थी। ईसा जानता था कि वह वक़्त आ गया है कि मुझे इस दुनिया को छोड़कर बाप के पास जाना है। गो उसने हमेशा दुनिया में अपने लोगों से मुहब्बत रखी थी, लेकिन अब उसने आख़िरी हद तक उन पर अपनी मुहब्बत का इज़हार किया।


फिर यहूदियों की ईदे-फ़सह क़रीब आ गई। देहात से बहुत-से लोग अपने आपको पाक करवाने के लिए ईद से पहले पहले यरूशलम पहुँचे।


(यहूदी ईदे-फ़सह क़रीब आ गई थी।)


खाना खाते वक़्त ऐसा लिबास पहनना जैसे तुम सफ़र पर जा रहे हो। अपने जूते पहने रखना और हाथ में सफ़र के लिए लाठी लिए हुए तुम उसे जल्दी जल्दी खाना। रब के फ़सह की ईद यों मनाना।


उस साल भी वह मामूल के मुताबिक़ ईद के लिए गए जब ईसा बारह साल का था।


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