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لوقا 15:28 - किताबे-मुक़द्दस

28 यह सुनकर बड़ा बेटा ग़ुस्से हुआ और अंदर जाने से इनकार कर दिया। फिर बाप घर से निकलकर उसे समझाने लगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

28 ”لیکن بڑا بھایٔی خفا ہو گیا اَور اَندر نہیں جانا چاہتا تھا مگر اُس کا باپ باہر آکر اُسے منانے لگا۔

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کِتابِ مُقادّس

28 وہ غُصّے ہُؤا اور اندر جانا نہ چاہا مگر اُس کا باپ باہر جا کر اُسے منانے لگا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

28 یہ سن کر بڑا بیٹا غصے ہوا اور اندر جانے سے انکار کر دیا۔ پھر باپ گھر سے نکل کر اُسے سمجھانے لگا۔

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لوقا 15:28
25 حوالہ جات  

तब अल्लाह ने उससे पूछा, “क्या तू बेल के सबब से ग़ुस्से होने में हक़-बजानिब है?” यूनुस ने जवाब दिया, “जी हाँ, मैं मरने तक ग़ुस्से हूँ, और इसमें मैं हक़-बजानिब भी हूँ।”


साऊल बड़े ग़ुस्से में आ गया, क्योंकि औरतों का गीत उसे निहायत बुरा लगा। उसने सोचा, “उनकी नज़र में दाऊद ने दस हज़ार हलाक किए जबकि मैंने सिर्फ़ हज़ार। अब सिर्फ़ यह बात रह गई है कि उसे बादशाह मुक़र्रर किया जाए।”


यह देखकर फ़रीसी और शरीअत के आलिम बुड़बुड़ाने लगे, “यह आदमी गुनाहगारों को ख़ुशआमदीद कहकर उनके साथ खाना खाता है।”


जब ईसा के फ़रीसी मेज़बान ने यह देखा तो उसने दिल में कहा, “अगर यह आदमी नबी होता तो उसे मालूम होता कि यह किस क़िस्म की औरत है जो उसे छू रही है, कि यह गुनाहगार है।”


ऐ रब के कलाम के सामने लरज़नेवालो, उसका फ़रमान सुनो! “तुम्हारे अपने भाई तुमसे नफ़रत करते और मेरे नाम के बाइस तुम्हें रद्द करते हैं। वह मज़ाक़ उड़ाकर कहते हैं, ‘रब अपने जलाल का इज़हार करे ताकि हम तुम्हारी ख़ुशी का मुशाहदा कर सकें।’ लेकिन वह शरमिंदा हो जाएंगे।


साथ साथ यह एक दूसरे से कहते हैं, ‘मुझसे दूर रहो, क़रीब मत आना! क्योंकि मैं तेरी निसबत कहीं ज़्यादा मुक़द्दस हूँ।’ इस क़िस्म के लोग मेरी नाक में धुएँ की मानिंद हैं, एक आग जो दिन-भर जलती रहती है।


लेकिन जिन यहूदियों ने ईमान लाने से इनकार किया उन्होंने ग़ैरयहूदियों को उकसाकर भाइयों के बारे में उनके ख़यालात ख़राब कर दिए।


लेकिन जब यहूदियों ने हुजूम को देखा तो वह हसद से जल गए और पौलुस की बातों की तरदीद करके कुफ़र बकने लगे।


फिर यरूशलम से शुरू करके उसके नाम में यह पैग़ाम तमाम क़ौमों को सुनाया जाएगा कि वह तौबा करके गुनाहों की मुआफ़ी पाएँ।


हाय यरूशलम, यरूशलम! तू जो नबियों को क़त्ल करती और अपने पास भेजे हुए पैग़ंबरों को संगसार करती है। मैंने कितनी ही बार तेरी औलाद को जमा करना चाहा, बिलकुल उसी तरह जिस तरह मुरग़ी अपने बच्चों को अपने परों तले जमा करके महफ़ूज़ कर लेती है। लेकिन तूने न चाहा।


यह देखकर कुछ फ़रीसियों और उनसे ताल्लुक़ रखनेवाले शरीअत के आलिमों ने ईसा के शागिर्दों से शिकायत की। उन्होंने कहा, “तुम टैक्स लेनेवालों और गुनाहगारों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”


इस पर वह ज़मीनदार के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाने लगे,


जब दाऊद के बड़े भाई इलियाब ने दाऊद की बातें सुनीं तो उसे ग़ुस्सा आया और वह उसे झिड़कने लगा, “तू क्यों आया है? बयाबान में अपनी चंद एक भेड़-बकरियों को किसके पास छोड़ आया है? मैं तेरी शोख़ी और दिल की शरारत ख़ूब जानता हूँ। तू सिर्फ़ जंग का तमाशा देखने आया है!”


हमें इससे रोकने की कोशिश करते हैं कि ग़ैरयहूदियों को अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाएँ, ऐसा न हो कि वह नजात पाएँ। यों वह हर वक़्त अपने गुनाहों का प्याला किनारे तक भरते जा रहे हैं। लेकिन अल्लाह का पूरा ग़ज़ब उन पर नाज़िल हो चुका है।


पस हम मसीह के एलची हैं और अल्लाह हमारे वसीले से लोगों को समझाता है। हम मसीह के वास्ते आपसे मिन्नत करते हैं कि अल्लाह की सुलह की पेशकश को क़बूल करें ताकि उस की आपके साथ सुलह हो जाए।


तो क्या इसराईल को इस बात की समझ न आई? नहीं, उसे ज़रूर समझ आई। पहले मूसा इसका जवाब देता है, “मैं ख़ुद ही तुम्हें ग़ैरत दिलाऊँगा, एक ऐसी क़ौम के ज़रीए जो हक़ीक़त में क़ौम नहीं है। एक नादान क़ौम के ज़रीए मैं तुम्हें ग़ुस्सा दिलाऊँगा।”


फिर कुछ यहूदी पिसिदिया के अंताकिया और इकुनियुम से वहाँ आए और हुजूम को अपनी तरफ़ मायल किया। उन्होंने पौलुस को संगसार किया और शहर से बाहर घसीटकर ले गए। उनका ख़याल था कि वह मर गया है,


फिर यहूदियों ने शहर के लीडरों और यहूदी ईमान रखनेवाली कुछ बारसूख ग़ैरयहूदी ख़वातीन को उकसाकर लोगों को पौलुस और बरनबास को सताने पर उभारा। आख़िरकार उन्हें शहर की सरहद्दों से निकाल दिया गया।


एक आदमी ईसा के पास आया जो कोढ़ का मरीज़ था। घुटनों के बल झुककर उसने मिन्नत की, “अगर आप चाहें तो मुझे पाक-साफ़ कर सकते हैं।”


नौकर ने जवाब दिया, ‘आपका भाई आ गया है और आपके बाप ने मोटा-ताज़ा बछड़ा ज़बह करवाया है, क्योंकि उसे अपना बेटा सहीह-सलामत वापस मिल गया है।’


लेकिन उसने जवाब में अपने बाप से कहा, ‘देखें, मैंने इतने साल आपकी ख़िदमत में सख़्त मेहनत-मशक़्क़त की है और एक दफ़ा भी आपकी मरज़ी की ख़िलाफ़वरज़ी नहीं की। तो भी आपने मुझे इस पूरे अरसे में एक छोटा बकरा भी नहीं दिया कि उसे ज़बह करके अपने दोस्तों के साथ ज़ियाफ़त करता।


यूनदब बिन रैकाब की औलाद अपने बाप की हिदायात पर पूरी उतरी है, लेकिन इस क़ौम ने मेरी नहीं सुनी।’


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