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لوقا 12:42 - किताबे-मुक़द्दस

42 ख़ुदावंद ने जवाब दिया, “कौन-सा नौकर वफ़ादार और समझदार है? फ़र्ज़ करो कि घर के मालिक ने किसी नौकर को बाक़ी नौकरों पर मुक़र्रर किया हो। उस की एक ज़िम्मादारी यह भी है कि उन्हें वक़्त पर मुनासिब खाना खिलाए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

42 خُداوؔند نے جَواب دیا، ”کون ہے وہ وفادار اَور عقلمند مُنتظِم، جِس کا مالک اُسے اَپنے گھر کے خادِم چاکروں پر مُقرّر کرے تاکہ وہ اُنہیں اُن کی خُوراک مُناسب وقت پر بانٹتا رہے؟

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کِتابِ مُقادّس

42 خُداوند نے کہا کَون ہے وہ دِیانت دار اور عقل مند داروغہ جِس کا مالِک اُسے اپنے نَوکر چاکروں پر مُقرّر کرے کہ ہر ایک کی خُوراک وقت پر بانٹ دِیا کرے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

42 خداوند نے جواب دیا، ”کون سا نوکر وفادار اور سمجھ دار ہے؟ فرض کرو کہ گھر کے مالک نے کسی نوکر کو باقی نوکروں پر مقرر کیا ہو۔ اُس کی ایک ذمہ داری یہ بھی ہے کہ اُنہیں وقت پر مناسب کھانا کھلائے۔

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لوقا 12:42
29 حوالہ جات  

अपने राहनुमाओं की सुनें और उनकी बात मानें। क्योंकि वह आपकी देख-भाल करते करते जागते रहते हैं, और इसमें वह अल्लाह के सामने जवाबदेह हैं। उनकी बात मानें ताकि वह ख़ुशी से अपनी ख़िदमत सरंजाम दें। वरना वह कराहते कराहते अपनी ज़िम्मादारी निभाएँगे, और यह आपके लिए मुफ़ीद नहीं होगा।


अपने राहनुमाओं को याद रखें जिन्होंने आपको अल्लाह का कलाम सुनाया। इस पर ग़ौर करें कि उनके चाल-चलन से कितनी भलाई पैदा हुई है, और उनके ईमान के नमूने पर चलें।


कि वक़्त बेवक़्त कलामे-मुक़द्दस की मुनादी करने के लिए तैयार रहें। बड़े सब्र से ईमानदारों को तालीम देकर उन्हें समझाएँ, मलामत करें और उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई भी करें।


जो बुज़ुर्ग जमात को अच्छी तरह सँभालते हैं उन्हें दुगनी इज़्ज़त के लायक़ समझा जाए। मैं ख़ासकर उनकी बात कर रहा हूँ जो पाक कलाम सुनाने और तालीम देने में मेहनत-मशक़्क़त करते हैं।


अल्लाह अपना फ़ज़ल मुख़्तलिफ़ नेमतों से ज़ाहिर करता है। फ़ज़ल का यह इंतज़ाम वफ़ादारी से चलाते हुए एक दूसरे की ख़िदमत करें, हर एक उस नेमत से जो उसे मिली है।


निगरान को तो अल्लाह का घराना सँभालने की ज़िम्मादारी दी गई है, इसलिए लाज़िम है कि वह बेइलज़ाम हो। वह ख़ुदसर, ग़ुसीला, शराबी, लड़ाका या लालची न हो।


चुनाँचे ख़बरदार रहकर अपना और उस पूरे गल्ले का ख़याल रखना जिस पर रूहुल-क़ूदस ने आपको मुक़र्रर किया है। निगरानों और चरवाहों की हैसियत से अल्लाह की जमात की ख़िदमत करें, उस जमात की जिसे उसने अपने ही फ़रज़ंद के ख़ून से हासिल किया है।


दिन ढल गया तो ज़मीनदार ने अपने अफ़सर को बताया, ‘मज़दूरों को बुलाकर उन्हें मज़दूरी दे दे, आख़िर में आनेवालों से शुरू करके पहले आनेवालों तक।’


तुम भेड़-बकरियों का दूध पीते, उनकी ऊन के कपड़े पहनते और बेहतरीन जानवरों का गोश्त खाते हो। तो भी तुम रेवड़ की देख-भाल नहीं करते!


रब क़ादिरे-मुतलक़ ने मुझे शागिर्द की-सी ज़बान अता की ताकि मैं वह कलाम जान लूँ जिससे थकामाँदा तक़वियत पाए। सुबह बसुबह वह मेरे कान को जगा देता है ताकि मैं शागिर्द की तरह सुन सकूँ।


इनसान मौज़ूँ जवाब देने से ख़ुश हो जाता है, वक़्त पर मुनासिब बात कितनी अच्छी होती है।


मूसा तो अल्लाह के पूरे घर में ख़िदमत करते वक़्त वफ़ादार रहा, लेकिन मुलाज़िम की हैसियत से ताकि कलामे-मुक़द्दस की आनेवाली बातों की गवाही देता रहे।


लेकिन अगर देर भी लगे तो यह पढ़कर आपको मालूम होगा कि अल्लाह के घराने में हमारा बरताव कैसा होना चाहिए। अल्लाह का घराना क्या है? ज़िंदा ख़ुदा की जमात, जो सच्चाई का सतून और बुनियाद है।


उसे देखकर ख़ुदावंद को उस पर बड़ा तरस आया। उसने उससे कहा, “मत रो।”


उसने उनसे कहा, “इसलिए शरीअत का हर आलिम जो आसमान की बादशाही में शागिर्द बन गया है ऐसे मालिके-मकान की मानिंद है जो अपने ख़ज़ाने से नए और पुराने जवाहर निकालता है।”


मैं ऐसे गल्लाबानों को उन पर मुक़र्रर करूँगा जो उनकी सहीह गल्लाबानी करेंगे। आइंदा न वह ख़ौफ़ खाएँगे, न घबरा जाएंगे। एक भी गुम नहीं हो जाएगा।” यह रब का फ़रमान है।


जो अंजीर के दरख़्त की देख-भाल करे वह उसका फल खाएगा, जो अपने मालिक की वफ़ादारी से ख़िदमत करे उसका एहतराम किया जाएगा।


वह पौ फटने से पहले ही जाग उठती है ताकि अपने घरवालों के लिए खाना और अपनी नौकरानियों के लिए उनका हिस्सा तैयार करे।


उन्हें यह पूछने के लिए ख़ुदावंद के पास भेजा, “क्या आप वही हैं जिसे आना है या हम किसी और के इंतज़ार में रहें?”


वह नौकर मुबारक होगा जो मालिक की वापसी पर यह सब कुछ कर रहा होगा।


आख़िरकार तमाम कारीगर जो मक़दिस बनाने के काम में लगे थे अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए।


किसी की जितनी अक़्लो-समझ है उतना ही लोग उस की तारीफ़ करते हैं, लेकिन जिसके ज़हन में फ़ुतूर है उसे हक़ीर जाना जाता है।


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