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لوقا 12:19 - किताबे-मुक़द्दस

19 फिर मैं अपने आपसे कहूँगा कि लो, इन अच्छी चीज़ों से तेरी ज़रूरियात बहुत सालों तक पूरी होती रहेंगी। अब आराम कर। खा, पी और ख़ुशी मना।’

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

19 پھر اَپنی جان سے کہُوں گا، ”اَے جان تیرے پاس کیٔی برسوں کے لیٔے مال جمع ہے۔ آرام سے رہ، کھا پی اَور عیش کر۔“ ‘

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کِتابِ مُقادّس

19 اور اُن میں اپنا سارا اناج اور مال بھر رکھّوں گا اور اپنی جان سے کہُوں گا اَے جان! تیرے پاس بُہت برسوں کے لِئے بُہت سا مال جمع ہے۔ چَین کر۔ کھا پی۔ خُوش رہ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

19 پھر مَیں اپنے آپ سے کہوں گا کہ لو، اِن اچھی چیزوں سے تیری ضروریات بہت سالوں تک پوری ہوتی رہیں گی۔ اب آرام کر۔ کھا، پی اور خوشی منا۔‘

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لوقا 12:19
39 حوالہ جات  

उस पर शेख़ी न मार जो तू कल करेगा, तुझे क्या मालूम कि कल का दिन क्या कुछ फ़राहम करेगा?


अगर मैं सिर्फ़ इसी ज़िंदगी की उम्मीद रखते हुए इफ़िसुस में वहशी दरिंदों से लड़ा तो मुझे क्या फ़ायदा हुआ? अगर मुरदे जी नहीं उठते तो इस क़ौल के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारना बेहतर होगा कि “आओ, हम खाएँ पिएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाना है।”


तुम पर अफ़सोस जो सुबह-सवेरे उठकर शराब के पीछे पड़ जाते और रात-भर मै पी पीकर मस्त हो जाते हो।


ऐ नौजवान, जब तक तू जवान है ख़ुश रह और जवानी के मज़े लेता रह। जो कुछ तेरा दिल चाहे और तेरी आँखों को पसंद आए वह कर, लेकिन याद रहे कि जो कुछ भी तू करे उसका जवाब अल्लाह तुझसे तलब करेगा।


आपने दुनिया में ऐयाशी और ऐशो-इशरत की ज़िंदगी गुज़ारी है। ज़बह के दिन आपने अपने आपको मोटा-ताज़ा कर दिया है।


ऐसे लोगों का अंजाम हलाकत है। खाने-पीने की पाबंदियाँ और ख़तने पर फ़ख़र उनका ख़ुदा बन गया है। हाँ, वह सिर्फ़ दुनियावी सोच रखते हैं।


अमीर समझता है कि मेरी दौलत मेरा क़िलाबंद शहर और मेरी ऊँची चारदीवारी है जिसमें मैं महफ़ूज़ हूँ।


ज़ुल्म पर एतमाद न करो, चोरी करने पर फ़ज़ूल उम्मीद न रखो। और अगर दौलत बढ़ जाए तो तुम्हारा दिल उससे लिपट न जाए।


उसे उतनी ही अज़ियत और ग़म पहुँचा दो जितना उसने अपने आपको शानदार बनाया और ऐयाशी की। क्योंकि अपने दिल में वह कहती है, ‘मैं यहाँ अपने तख़्त पर रानी हूँ। न मैं बेवा हूँ, न मैं कभी मातम करूँगी।’


माज़ी में आपने काफ़ी वक़्त वह कुछ करने में गुज़ारा जो ग़ैरईमानदार पसंद करते हैं यानी ऐयाशी, शहवतपरस्ती, नशाबाज़ी, शराबनोशी, रंगरलियों, नाच-रंग और घिनौनी बुतपरस्ती में।


वह नमकहराम, ग़ैरमुहतात और ग़ुरूर से फूले हुए होंगे। अल्लाह से मुहब्बत रखने के बजाए उन्हें ऐशो-इशरत प्यारी होगी।


वह कहता है, “मैं अमीर हो गया हूँ, मैंने कसरत की दौलत पाई है। कोई साबित नहीं कर सकेगा कि मुझसे यह तमाम मिलकियत हासिल करने में कोई क़ुसूर या गुनाह सरज़द हुआ है।”


लेकिन क्या हुआ? तमाम लोग शादियाना बजाकर ख़ुशी मना रहे हैं। हर तरफ़ बैलों और भेड़-बकरियों को ज़बह किया जा रहा है। सब गोश्त और मै से लुत्फ़अंदोज़ होकर कह रहे हैं, “आओ, हम खाएँ पिएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाना है।”


तुम पर अफ़सोस जो यके बाद दीगरे घरों और खेतों को अपनाते जा रहे हो। आख़िरकार दीगर तमाम लोगों को निकलना पड़ेगा और तुम मुल्क में अकेले ही रहोगे।


एक नज़र दौलत पर डाल तो वह ओझल हो जाती है, और पर लगाकर उक़ाब की तरह आसमान की तरफ़ उड़ जाती है।


औरत से पैदा हुआ इनसान चंद एक दिन ज़िंदा रहता है, और उस की ज़िंदगी बेचैनी से भरी रहती है।


जो मौजूदा दुनिया में अमीर हैं उन्हें समझाएँ कि वह मग़रूर न हों, न दौलत जैसी ग़ैरयक़ीनी चीज़ पर उम्मीद रखें। इसकी बजाए वह अल्लाह पर उम्मीद रखें जो हमें फ़ैयाज़ी से सब कुछ मुहैया करता है ताकि हम उससे लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।


लेकिन जो बेवा ऐशो-इशरत में ज़िंदगी गुज़ारती है वह ज़िंदा हालत में ही मुरदा है।


ख़बरदार रहो ताकि तुम्हारे दिल ऐयाशी, नशाबाज़ी और रोज़ाना की फ़िकरों तले दब न जाएँ। वरना यह दिन अचानक तुम पर आन पड़ेगा,


एक अमीर आदमी का ज़िक्र है जो अरग़वानी रंग के कपड़े और नफ़ीस कतान पहनता और हर रोज़ ऐशो-इशरत में गुज़ारता था।


तब वह अपने जाल के सामने बख़ूर जलाकर उसे जानवर क़ुरबान करता है। क्योंकि उसी के वसीले से वह ऐशो-इशरत की ज़िंदगी गुज़ार सकता है।


बेशक वह जीते-जी अपने आपको मुबारक कहेगा, और दूसरे भी खाते-पीते आदमी की तारीफ़ करेंगे।


चुनाँचे वह दाऊद को अमालीक़ी लुटेरों के पास ले गया। जब वहाँ पहुँचे तो देखा कि अमालीक़ी इधर-उधर बिखरे हुए बड़ा जशन मना रहे हैं। वह हर तरफ़ खाना खाते और मै पीते हुए नज़र आ रहे थे, क्योंकि जो माल उन्होंने फ़िलिस्तियों और यहूदाह के इलाक़े से लूट लिया था वह बहुत ज़्यादा था।


ख़ज़ानों का कोई फ़ायदा नहीं अगर वह बेदीन तरीक़ों से जमा हो गए हों, लेकिन रास्तबाज़ी मौत से बचाए रखती है।


इनसान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि खाए पिए और अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल से लुत्फ़अंदोज़ हो। लेकिन मैंने यह भी जान लिया कि अल्लाह ही यह सब कुछ मुहैया करता है।


हर एक आवाज़ देता है, “आओ, मैं मै ले आता हूँ! आओ, हम जी भरकर शराब पी लें। और कल भी आज की तरह हो बल्कि इससे भी ज़्यादा रौनक़ हो!”


तुम लो-दिबार की फ़तह पर शादियाना बजा बजाकर फ़ख़र करते हो, “हमने अपनी ही ताक़त से क़रनैम पर क़ब्ज़ा कर लिया!”


फिर उसने कहा, ‘मैं यह करूँगा कि अपने गोदामों को ढाकर इनसे बड़े तामीर करूँगा। उनमें अपना तमाम अनाज और बाक़ी पैदावार जमा कर लूँगा।


दानिशमंदों का अज्र दौलत का ताज है जबकि अहमक़ों का अज्र हमाक़त ही है।


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