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احبار 7:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 गुनाह और क़ुसूर की क़ुरबानी के लिए एक ही उसूल है, जो इमाम क़ुरबानी को पेश करके कफ़्फ़ारा देता है उसको उसका गोश्त मिलता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 ” ’اَور خطا کی قُربانی اَور گُناہ کی قُربانی دونوں کے لیٔے ایک ہی آئین عَمل میں لایا جائے اَور اُنہیں وُہی کاہِنؔ کھائے جو اِس کا کفّارہ دیتاہے۔

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کِتابِ مُقادّس

7 جُرم کی قُربانی وَیسی ہی ہے جَیسی خطا کی قُربانی ہے اور اُن کے لِئے ایک ہی شرع ہے اور اُنہیں وُہی کاہِن لے جو اُن سے کفّارہ دیتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 گناہ اور قصور کی قربانی کے لئے ایک ہی اصول ہے، جو امام قربانی کو پیش کر کے کفارہ دیتا ہے اُس کو اُس کا گوشت ملتا ہے۔

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احبار 7:7
11 حوالہ جات  

क्या आप नहीं जानते कि बैतुल-मुक़द्दस में ख़िदमत करनेवालों की ज़रूरियात बैतुल-मुक़द्दस ही से पूरी की जाती हैं? जो क़ुरबानियाँ चढ़ाने के काम में मसरूफ़ रहते हैं उन्हें क़ुरबानियों से ही हिस्सा मिलता है।


फिर वह भेड़ के इस बच्चे को ख़ैमे के दरवाज़े पर ज़बह करे जहाँ गुनाह की क़ुरबानियाँ और भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ ज़बह की जाती हैं। गुनाह की क़ुरबानियों की तरह क़ुसूर की यह क़ुरबानी इमाम का हिस्सा है और निहायत मुक़द्दस है।


बनी इसराईल पर ग़ौर करें। क्या बैतुल-मुक़द्दस में क़ुरबानियाँ खानेवाले क़ुरबानगाह की रिफ़ाक़त में शरीक नहीं होते?


उसे पकाने के लिए उसमें ख़मीर न डाला जाए। मैंने जलनेवाली क़ुरबानियों में से यह हिस्सा उनके लिए मुक़र्रर किया है। यह गुनाह की क़ुरबानी और क़ुसूर की क़ुरबानी की तरह निहायत मुक़द्दस है।


इस तरह जो इमाम किसी जानवर को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाता है उसी को जानवर की खाल मिलती है।


महज़ वह पैसे जो क़ुसूर और गुनाह की क़ुरबानियों के लिए मिलते थे रब के घर की मरम्मत के लिए इस्तेमाल न हुए। वह इमामों का हिस्सा रहे।


बाक़ी मैदा और तेल हारून और उसके बेटों का हिस्सा है। वह रब की जलनेवाली क़ुरबानियों में से एक निहायत मुक़द्दस हिस्सा है।


क़ुरबानी का बाक़ी हिस्सा हारून और उसके बेटों के लिए है। वह रब की जलनेवाली क़ुरबानियों में से एक निहायत मुक़द्दस हिस्सा है।


लेकिन अगर वह शख़्स जिसका क़ुसूर किया गया था मर चुका हो और उसका कोई वारिस न हो जो यह मुआवज़ा वसूल कर सके तो फिर उसे रब को देना है। इमाम को यह मुआवज़ा उस मेंढे के अलावा मिलेगा जो क़ुसूरवार अपने कफ़्फ़ारा के लिए देगा।


उन दिनों में शाम के बादशाह हज़ाएल ने जात पर हमला करके उस पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद वह मुड़कर यरूशलम की तरफ़ बढ़ने लगा ताकि उस पर भी हमला करे।


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