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احبار 6:26 - किताबे-मुक़द्दस

26 उसे पेश करनेवाला इमाम उसे मुक़द्दस जगह पर यानी मुलाक़ात के ख़ैमे की चारदीवारी के अंदर खाए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

26 اَور اِس کو وُہی کاہِنؔ کھائے جو اِسے گُناہ کی قُربانی کے طور پر نذر گذرانے۔ اَور اِسے صرف پاک مَقدِس یعنی خیمہ اِجتماع کے صحن میں ہی کھایا جائے۔

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کِتابِ مُقادّس

26 جو کاہِن اُسے خطا کے لِئے گُذرانے وہ اُسے کھائے۔ وہ پاک جگہ میں یعنی خَیمۂِ اِجتماع کے صحن میں کھایا جائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

26 اُسے پیش کرنے والا امام اُسے مُقدّس جگہ پر یعنی ملاقات کے خیمے کی چاردیواری کے اندر کھائے۔

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احبار 6:26
14 حوالہ جات  

मेरी क़ौम के गुनाह उनकी ख़ुराक हैं, और वह इस लालच में रहते हैं कि लोगों का क़ुसूर मज़ीद बढ़ जाए।


कहा, “यहाँ इमाम वह गोश्त उबालेंगे जो गुनाह और क़ुसूर की क़ुरबानियों में से उनका हिस्सा बनता है। यहाँ वह ग़ल्ला की नज़र लेकर रोटी भी बनाएँगे। क़ुरबानियों में से कोई भी चीज़ बैरूनी सहन में नहीं लाई जा सकती, ऐसा न हो कि मुक़द्दस चीज़ें छूने से आम लोगों की जान ख़तरे में पड़ जाए।”


उस आदमी ने मुझसे कहा, “यह दोनों इमारतें मुक़द्दस हैं। जो इमाम रब के हुज़ूर आते हैं वह इन्हीं में मुक़द्दसतरीन क़ुरबानियाँ खाते हैं। चूँकि यह कमरे मुक़द्दस हैं इसलिए इमाम इनमें मुक़द्दसतरीन क़ुरबानियाँ रखेंगे, ख़ाह ग़ल्ला, गुनाह या क़ुसूर की क़ुरबानियाँ क्यों न हों।


हारून और उसके बेटे क़ुरबानी का बाक़ी हिस्सा खा लें। लेकिन वह उसे मुक़द्दस जगह पर यानी मुलाक़ात के ख़ैमे की चारदीवारी के अंदर खाएँ, और उसमें ख़मीर न हो।


आख़िर में मूसा ने ख़ैमा, क़ुरबानगाह और चारदीवारी खड़ी करके सहन के दरवाज़े का परदा लगा दिया। यों मूसा ने मक़दिस की तामीर मुकम्मल की।


क्या आप नहीं जानते कि बैतुल-मुक़द्दस में ख़िदमत करनेवालों की ज़रूरियात बैतुल-मुक़द्दस ही से पूरी की जाती हैं? जो क़ुरबानियाँ चढ़ाने के काम में मसरूफ़ रहते हैं उन्हें क़ुरबानियों से ही हिस्सा मिलता है।


उसे पकाने के लिए उसमें ख़मीर न डाला जाए। मैंने जलनेवाली क़ुरबानियों में से यह हिस्सा उनके लिए मुक़र्रर किया है। यह गुनाह की क़ुरबानी और क़ुसूर की क़ुरबानी की तरह निहायत मुक़द्दस है।


इमामों के ख़ानदानों में से तमाम मर्द उसे खा सकते हैं। यह खाना निहायत मुक़द्दस है।


गुनाह और क़ुसूर की क़ुरबानी के लिए एक ही उसूल है, जो इमाम क़ुरबानी को पेश करके कफ़्फ़ारा देता है उसको उसका गोश्त मिलता है।


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