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احبار 3:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 तुम्हारे लिए ख़ून या चरबी खाना मना है। यह न सिर्फ़ तुम्हारे लिए मना है बल्कि तुम्हारी औलाद के लिए भी, न सिर्फ़ यहाँ बल्कि हर जगह जहाँ तुम रहते हो।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 ” ’اَور جہاں بھی تُم رہو تمہاری آئندہ نَسلوں کے لیٔے یہ ایک دائمی قانُون ہوگا کہ تُم چربی اَور خُون ہرگز نہ کھانا۔‘ “

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کِتابِ مُقادّس

17 یہ تُمہاری سب سکُونت گاہوں میں نسل در نسل ایک دائمی قانُون رہے گا کہ تُم چربی یا خُون مُطلق نہ کھاؤ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 تمہارے لئے خون یا چربی کھانا منع ہے۔ یہ نہ صرف تمہارے لئے منع ہے بلکہ تمہاری اولاد کے لئے بھی، نہ صرف یہاں بلکہ ہر جگہ جہاں تم رہتے ہو۔“

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احبار 3:17
42 حوالہ جات  

लेकिन ख़बरदार! ऐसा गोश्त न खाना जिसमें ख़ून है, क्योंकि ख़ून में उस की जान है।


यह मेरा ख़ून है, नए अहद का वह ख़ून जो बहुतों के लिए बहाया जाता है ताकि उनके गुनाहों को मुआफ़ कर दिया जाए।


लेकिन ख़ून न खाना। उसे पानी की तरह ज़मीन पर उंडेलकर ज़ाया कर देना।


अलबत्ता गोश्त के साथ ख़ून न खाना, क्योंकि ख़ून जानदार की जान है। उस की जान गोश्त के साथ न खाना।


“इसराईलियों को बता देना कि गाय-बैल और भेड़-बकरियों की चरबी खाना तुम्हारे लिए मना है।


लेकिन ख़ून न खाना। उसे पानी की तरह ज़मीन पर उंडेलकर ज़ाया कर देना।


अब से इसराईली अपनी क़ुरबानियाँ उन बकरों के देवताओं को पेश न करें जिनकी पैरवी करके उन्होंने ज़िना किया है। यह उनके लिए और उनके बाद आनेवाली नसलों के लिए एक दायमी उसूल है।


हारून की औलाद के तमाम मर्द उसे खाएँ। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे। जो भी उसे छुएगा वह मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाएगा।”


इमाम यह सब कुछ रब को पेश करके क़ुरबानगाह पर जला दे। यह ख़ुराक जलनेवाली क़ुरबानी है, और इसकी ख़ुशबू रब को पसंद है। सारी चरबी रब की है।


ताकि उसे अल्लाह के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस करे। उसने उसे कलामे-पाक से धोकर पाक-साफ़ कर दिया


क्योंकि उसने मसीह के ख़ून से हमारा फ़िद्या देकर हमें आज़ाद और हमारे गुनाहों को मुआफ़ कर दिया है। अल्लाह का यह फ़ज़ल कितना वसी है


बुतों को पेश किया गया खाना मत खाना, ख़ून मत खाना, ऐसे जानवरों का गोश्त मत खाना जो गला घूँटकर मार दिए गए हों। इसके अलावा ज़िनाकारी न करें। इन चीज़ों से बाज़ रहेंगे तो अच्छा करेंगे। ख़ुदा हाफ़िज़।”


लेकिन रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि लावी का एक ख़ानदान उनमें शामिल नहीं है। सदोक़ का ख़ानदान आइंदा भी मेरी ख़िदमत करेगा। उसके इमाम उस वक़्त भी वफ़ादारी से मेरे मक़दिस में मेरी ख़िदमत करते रहे जब इसराईल के बाक़ी लोग मुझसे दूर हो गए थे। इसलिए यह आइंदा भी मेरे हुज़ूर आकर मुझे क़ुरबानियों की चरबी और ख़ून पेश करेंगे।


उन्हें बता, ‘रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि तुम गोश्त खाते हो जिसमें ख़ून है, तुम्हारे हाँ बुतपरस्ती और ख़ूनरेज़ी आम है। तो फिर मुल्क किस तरह तुम्हें हासिल हो सकता है?


उसने उसे गाय की लस्सी और भेड़-बकरी का दूध चीदा भेड़ के बच्चों समेत खिलाया और उसे बसन के मोटे-ताज़े मेंढे, बकरे और बेहतरीन अनाज अता किया। उस वक़्त तू आला अंगूर की उम्दा मै से लुत्फ़अंदोज़ हुआ।


पहले यह सब कुछ करो, फिर ही तुम्हें नई फ़सल के अनाज से खाने की इजाज़त होगी, ख़ाह वह भुना हुआ हो, ख़ाह कच्चा या रोटी की सूरत में पकाया गया हो। जहाँ भी तुम रहते हो वहाँ ऐसा ही करना है। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे।


रब ने उस दिन जब उन्हें तेल से मसह किया गया हुक्म दिया था कि इसराईली यह हिस्सा हमेशा इमामों को दिया करें।


जो कुछ भी अल्लाह ने ख़लक़ किया है वह अच्छा है, और हमें उसे रद्द नहीं करना चाहिए बल्कि ख़ुदा का शुक्र करके उसे खा लेना चाहिए।


फिर ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “जो मेरे पीछे आना चाहे वह अपने आपका इनकार करे और अपनी सलीब उठाकर मेरे पीछे हो ले।


तुम परदेसियों को मेरे मक़दिस में लाए हो, ऐसे लोगों को जो बातिन और ज़ाहिर में नामख़तून हैं। और यह तुमने उस वक़्त किया जब तुम मुझे मेरी ख़ुराक यानी चरबी और ख़ून पेश कर रहे थे। यों तुमने मेरे घर की बेहुरमती करके अपनी घिनौनी हरकतों से वह अहद तोड़ डाला है जो मैंने तुम्हारे साथ बाँधा था।


अब जाएँ, उम्दा खाना खाकर और पीने की मीठी चीज़ें पीकर ख़ुशी मनाएँ। जो अपने लिए कुछ तैयार न कर सकें उन्हें अपनी ख़ुशी में शरीक करें। यह दिन हमारे रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है। उदास न हों, क्योंकि रब की ख़ुशी आपकी पनाहगाह है।”


यह उनके लिए दायमी उसूल है। जिस आदमी ने नापाकी दूर करने का पानी छिड़का है वह भी अपने कपड़े धोए। बल्कि जिसने भी यह पानी छुआ है शाम तक नापाक रहेगा।


लाज़िम है कि साल में एक दफ़ा इसराईलियों के तमाम गुनाहों का कफ़्फ़ारा दिया जाए। यह उसूल तुम्हारे लिए अबद तक क़ायम रहे।” सब कुछ वैसे ही किया गया जैसा रब ने मूसा को हुक्म दिया था।


हारून और उसके बेटे शमादान को मुलाक़ात के ख़ैमे के मुक़द्दस कमरे में रखें, उस परदे के सामने जिसके पीछे अहद का संदूक़ है। उसमें वह तेल डालते रहें ताकि वह रब के सामने शाम से लेकर सुबह तक जलता रहे। इसराईलियों का यह उसूल अबद तक क़ायम रहे।


रब ने मूसा से कहा,


यह क़ुरबानी हमेशा हारून की नसल का वह आदमी पेश करे जिसे मसह करके इमामे-आज़म का ओहदा दिया गया है, और वह उसे पूरे तौर पर रब के लिए जला दे।


इसराईलियों की सलामती की क़ुरबानियों में से मैंने हिलानेवाला सीना और उठानेवाली रान इमामों को दी है। यह चीज़ें हमेशा के लिए इसराईलियों की तरफ़ से इमामों का हक़ हैं।”


“जब भी तुझे या तेरे बेटों को मुलाक़ात के ख़ैमे में दाख़िल होना है तो मै या कोई और नशा-आवर चीज़ पीना मना है, वरना तुम मर जाओगे। यह उसूल आनेवाली नसलों के लिए भी अबद तक अनमिट है।


लेकिन पहले इमाम रान और सीने को जलनेवाली क़ुरबानियों की चरबी के साथ पेश करें। वह उन्हें हिलानेवाली क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने हिलाएँ। रब फ़रमाता है कि यह टुकड़े अबद तक तुम्हारे और तुम्हारे बेटों का हिस्सा हैं।”


लाज़िम है कि सातवें महीने के दसवें दिन इसराईली और उनके दरमियान रहनेवाले परदेसी अपनी जान को दुख दें और काम न करें। यह उसूल तुम्हारे लिए अबद तक क़ायम रहे।


उसी दिन लोगों को मुक़द्दस इजतिमा के लिए जमा करो। कोई भी काम न करना। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे, और इसे हर जगह मानना है।


हारून उन्हें मुसलसल, शाम से लेकर सुबह तक रब के हुज़ूर सँभाले यानी वहाँ जहाँ वह मुक़द्दसतरीन कमरे के परदे के सामने पड़े हैं, उस परदे के सामने जिसके पीछे अहद का संदूक़ है। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे।


जब भी हारून और उसके बेटे मुलाक़ात के ख़ैमे में दाख़िल हों तो उन्हें यह पाजामे पहनने हैं। इसी तरह जब उन्हें मुक़द्दस कमरे में ख़िदमत करने के लिए क़ुरबानगाह के पास आना होता है तो वह यह पहनें, वरना वह क़ुसूरवार ठहरकर मर जाएंगे। यह हारून और उस की औलाद के लिए एक अबदी उसूल है।


फिर इमाम यादगार का हिस्सा यानी तेल से मिलाया गया मुट्ठी-भर बेहतरीन मैदा और क़ुरबानी का तमाम लुबान लेकर क़ुरबानगाह पर जला दे। इसकी ख़ुशबू रब को पसंद है।


ऐसा गोश्त न खाना जिसमें ख़ून हो। फ़ाल या शुगून न निकालना।


मेज़ की रोटियाँ हारून और उसके बेटों का हिस्सा हैं, और वह उन्हें मुक़द्दस जगह पर खाएँ, क्योंकि वह जलनेवाली क़ुरबानियों का मुक़द्दसतरीन हिस्सा हैं। यह अबद तक उनका हक़ रहेगा।”


ख़ून न खाना बल्कि उसे ज़मीन पर उंडेलकर ज़ाया कर देना।


भस्म होनेवाली बेशुमार क़ुरबानियों के अलावा इमामों ने सलामती की क़ुरबानियों की चरबी भी जलाई। साथ साथ उन्होंने मै की नज़रें पेश कीं। यों रब के घर में ख़िदमत का नए सिरे से आग़ाज़ हुआ।


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