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احبار 23:32 - किताबे-मुक़द्दस

32 यह दिन आराम का ख़ास दिन है जिसमें तुम्हें अपनी जान को दुख देना है। इसे महीने के नवें दिन की शाम से लेकर अगली शाम तक मनाना।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

32 یہ تمہارے لیٔے مُکمّل آرام کا سَبت ہے، اَور اِس دِن تُم ضروُر روزہ رکھنا؛ یہ سَبت مہینے کی نویں تاریخ کو شام سے لے کر اگلے دِن کی شام تک مانا جائے۔“

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کِتابِ مُقادّس

32 یہ تُمہارے لِئے خاص آرام کا سبت ہو۔ اِس میں تُم اپنی جانوں کو دُکھ دینا۔ تُم اُس مہِینے کی نوِیں تارِیخ کی شام سے دُوسری شام تک اپنا سبت ماننا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

32 یہ دن آرام کا خاص دن ہے جس میں تمہیں اپنی جان کو دُکھ دینا ہے۔ اِسے مہینے کے نویں دن کی شام سے لے کر اگلی شام تک منانا۔“

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احبار 23:32
19 حوالہ جات  

इसलिए आएँ, हम इस सुकून में दाख़िल होने की पूरी कोशिश करें ताकि हममें से कोई भी बापदादा के नाफ़रमान नमूने पर चलकर गुनाह में न गिर जाए।


उनकी निसबत हम जो ईमान लाए हैं सुकून के इस मुल्क में दाख़िल हो सकते हैं। ग़रज़, यह ऐसा ही है जिस तरह अल्लाह ने फ़रमाया, “अपने ग़ज़ब में मैंने क़सम खाई, ‘यह कभी उस मुल्क में दाख़िल नहीं होंगे जहाँ मैं उन्हें सुकून देता’।” अब ग़ौर करें कि उसने यह कहा अगरचे उसका काम दुनिया की तख़लीक़ पर इख़्तिताम तक पहुँच गया था।


अगर हम अपने आपको जाँचते तो अल्लाह की अदालत से बचे रहते।


मुबारक हैं वह जो मातम करते हैं, क्योंकि उन्हें तसल्ली दी जाएगी।


और सिय्यून के सोगवारों को दिलासा देकर राख के बजाए शानदार ताज, मातम के बजाए ख़ुशी का तेल और शिकस्ता रूह के बजाए हम्दो-सना का लिबास मुहैया करूँ। तब वह ‘रास्ती के दरख़्त’ कहलाएँगे, ऐसे पौदे जो रब ने अपना जलाल ज़ाहिर करने के लिए लगाए हैं।


क्योंकि जो अज़ीम और सरबुलंद है, जो अबद तक तख़्तनशीन और जिसका नाम क़ुद्दूस है वह फ़रमाता है, “मैं न सिर्फ़ बुलंदियों के मक़दिस में बल्कि शिकस्ताहाल और फ़रोतन रूह के साथ भी सुकूनत करता हूँ ताकि फ़रोतन की रूह और शिकस्ताहाल के दिल को नई ज़िंदगी बख़्शूँ।


अल्लाह को मंज़ूर क़ुरबानी शिकस्ता रूह है। ऐ अल्लाह, तू शिकस्ता और कुचले हुए दिल को हक़ीर नहीं जानेगा।


जब वह बीमार हुए तो मैंने टाट ओढ़कर और रोज़ा रखकर अपनी जान को दुख दिया। काश मेरी दुआ मेरी गोद में वापस आए!


“सातवें महीने का दसवाँ दिन कफ़्फ़ारा का दिन है। उस दिन मुक़द्दस इजतिमा हो। अपनी जान को दुख देना और रब को जलनेवाली क़ुरबानी पेश करना।


पूरा दिन आराम करो और अपनी जान को दुख दो। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे।


कोई भी काम न करना। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे, और इसे हर जगह मानना है।


रब ने मूसा से कहा,


मैंने हुक्म दिया कि जुमे को यरूशलम के दरवाज़े शाम के उस वक़्त बंद किए जाएँ जब दरवाज़े सायों में डूब जाएँ, और कि वह सबत के पूरे दिन बंद रहें। सबत के इख़्तिताम तक उन्हें खोलने की इजाज़त नहीं थी। मैंने अपने कुछ लोगों को दरवाज़ों पर खड़ा भी किया ताकि कोई भी अपना सामान सबत के दिन शहर में न लाए।


लाज़िम है कि सातवें महीने के दसवें दिन इसराईली और उनके दरमियान रहनेवाले परदेसी अपनी जान को दुख दें और काम न करें। यह उसूल तुम्हारे लिए अबद तक क़ायम रहे।


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