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احبار 22:22 - किताबे-मुक़द्दस

22 रब को ऐसे जानवर पेश न करना जो अंधे हों, जिनके आज़ा टूटे या कटे हुए हों, जिनको रसौली हो या जिन्हें वबाई जिल्दी बीमारी लग गई हो। रब को उन्हें जलनेवाली क़ुरबानी के तौर पर क़ुरबानगाह पर पेश न करना।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

22 اَیسے جانوروں کو جو اَندھا یا اَعضا ٹوٹے ہویٔے، لُولا یا جِن کے رسَولی ہو یا جنہیں ناسور کی بیماری ہو، یَاہوِہ کے حُضُور میں ہرگز نہ لانا اَور مذبح پر اُن کی آتِشی قُربانی کے طور پر یَاہوِہ کے لئے نہ گذراننا۔

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کِتابِ مُقادّس

22 جو اندھا یا شِکستہ عضُو یا لُولا ہو یا جِس کے رسَولی یا کُھجلی یا پپڑیاں ہوں اَیسوں کو خُداوند کے حضُور نہ چڑھانا اور نہ مذبح پر اُن کی آتِشِین قُربانی خُداوند کے حضُور گُذراننا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

22 رب کو ایسے جانور پیش نہ کرنا جو اندھے ہوں، جن کے اعضا ٹوٹے یا کٹے ہوئے ہوں، جن کو رسَولی ہو یا جنہیں وبائی جِلدی بیماری لگ گئی ہو۔ رب کو اُنہیں جلنے والی قربانی کے طور پر قربان گاہ پر پیش نہ کرنا۔

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احبار 22:22
9 حوالہ جات  

क़ुरबानी के लिए कभी भी ऐसा जानवर पेश न करना जिसमें नुक़्स हो, वरना तुम उसके बाइस मंज़ूर नहीं होगे।


क्योंकि गो अंधे जानवरों को क़ुरबान करना सख़्त मना है, तो भी तुम यह बात नज़रंदाज़ करके ऐसे जानवरों को क़ुरबान करते हो। लँगड़े या बीमार जानवर चढ़ाना भी ममनू है, तो भी तुम कहते हो, ‘कोई बात नहीं’ और ऐसे ही जानवरों को पेश करते हो।” रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “अगर वाक़ई इसकी कोई बात नहीं तो अपने मुल्क के गवर्नर को ऐसे जानवरों को पेश करो। क्या वह तुमसे ख़ुश होगा? क्या वह तुम्हें क़बूल करेगा? हरगिज़ नहीं!


फिर हारून के बेटे यह सब कुछ भस्म होनेवाली क़ुरबानी के साथ क़ुरबानगाह की लकड़ियों पर जला दें। यह जलनेवाली क़ुरबानी है, और इसकी ख़ुशबू रब को पसंद है।


पेश करनेवाला अंतड़ियों पर की सारी चरबी, गुरदे उस चरबी समेत जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और जोड़कलेजी जलनेवाली क़ुरबानी के तौर पर रब को पेश करे। इन चीज़ों को गुरदों के साथ ही अलग करना है।


लाज़िम है कि क़ुरबानी पेश करनेवाला पहले जानवर की अंतड़ियाँ और पिंडलियाँ धोए, फिर इमाम पूरे जानवर को रब को पेश करके क़ुरबानगाह पर जला दे। इस जलनेवाली क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसंद है।


लाज़िम है कि क़ुरबानी पेश करनेवाला पहले जानवर की अंतड़ियाँ और पिंडलियाँ धोए, फिर इमाम पूरे जानवर को क़ुरबानगाह पर जला दे। इस जलनेवाली क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसंद है।


अगर कोई रब को सलामती की क़ुरबानी पेश करना चाहे तो तरीक़े-कार में कोई फ़रक़ नहीं है, चाहे वह यह मन्नत मानकर या वैसे ही दिली ख़ुशी से कर रहा हो। इसके लिए लाज़िम है कि वह गाय-बैलों या भेड़-बकरियों में से बेऐब जानवर चुने। फिर उसे क़बूल किया जाएगा।


लेकिन जिस गाय-बैल या भेड़-बकरी के किसी अज़ु में कमी बेशी हो उसे पेश किया जा सकता है। शर्त यह है कि पेश करनेवाला उसे वैसे ही दिली ख़ुशी से चढ़ाए। अगर वह उसे अपनी मन्नत मानकर पेश करे तो वह क़बूल नहीं किया जाएगा।


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