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احبار 16:26 - किताबे-मुक़द्दस

26 जो आदमी अज़ाज़ेल के लिए बकरे को रेगिस्तान में छोड़ आया है वह अपने कपड़े धोकर नहा ले। इसके बाद वह ख़ैमागाह में आ सकता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

26 ”اَور وہ شخص جو اُس بکرے کو عزازیلؔ کے لیٔے چھوڑکر آئے، وہ اَپنے کپڑے ضروُر دھوئے اَور پانی سے غُسل کرے؛ اُس کے بعد ہی وہ شخص چھاؤنی میں داخل ہو سکتا ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

26 اور جو آدمی بکرے کو عزازیلؔ کے لِئے چھوڑ کر آئے وہ اپنے کپڑے دھوئے اور پانی سے نہائے۔ اِس کے بعد وہ لشکر گاہ میں داخِل ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

26 جو آدمی عزازیل کے لئے بکرے کو ریگستان میں چھوڑ آیا ہے وہ اپنے کپڑے دھو کر نہا لے۔ اِس کے بعد وہ خیمہ گاہ میں آ سکتا ہے۔

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احبار 16:26
19 حوالہ جات  

(मूसा की शरीअत तो किसी चीज़ को कामिल नहीं बना सकती थी) और अब एक बेहतर उम्मीद मुहैया की गई है जिससे हम अल्लाह के क़रीब आ जाते हैं।


दूसरा बकरा जो क़ुरे के ज़रीए अज़ाज़ेल के लिए चुना गया उसे ज़िंदा हालत में रब के सामने खड़ा किया जाए ताकि वह जमात का कफ़्फ़ारा दे। वहाँ से उसे रेगिस्तान में अज़ाज़ेल के पास भेजा जाए।


यह उनके लिए दायमी उसूल है। जिस आदमी ने नापाकी दूर करने का पानी छिड़का है वह भी अपने कपड़े धोए। बल्कि जिसने भी यह पानी छुआ है शाम तक नापाक रहेगा।


यह चीज़ें जलानेवाला बाद में अपने कपड़े धोकर नहा ले। फिर वह ख़ैमागाह में आ सकता है।


जो भी ऐसी चीज़ को छुए वह अपने कपड़े धोकर नहा ले। वह शाम तक नापाक रहेगा।


जो अपने आपको पाक-साफ़ करा रहा है वह अपने कपड़े धोए, अपने तमाम बाल मुँडवाए और नहा ले। इसके बाद वह पाक है। अब वह ख़ैमागाह में दाख़िल हो सकता है अगरचे वह मज़ीद सात दिन अपने डेरे में नहीं जा सकता।


जो उसमें से कुछ खाए या उसे उठाकर ले जाए उसे अपने कपड़ों को धोना है। तो भी वह शाम तक नापाक रहेगा।


वहाँ वह क़ुरा डालकर एक को रब के लिए चुने और दूसरे को अज़ाज़ेल के लिए।


इसके अलावा वह गुनाह की क़ुरबानी की चरबी क़ुरबानगाह पर जला दे।


जो भी ज़ैल के जानवरों की लाशें छुए वह शाम तक नापाक रहेगा : (अलिफ़) खुर रखनेवाले तमाम जानवर सिवाए उनके जिनके खुर या पाँव पूरे तौर पर चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं, (बे) तमाम जानवर जो अपने चार पंजों पर चलते हैं। यह जानवर तुम्हारे लिए नापाक हैं, और जो भी उनकी लाशें उठाए या छुए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। इसके बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहेगा।


जो भी उन्हें और उनकी लाशें छू लेता है वह शाम तक नापाक रहेगा।


अगर उनमें से किसी की लाश किसी चीज़ पर गिर पड़े तो वह भी नापाक हो जाएगी। इससे कोई फ़रक़ नहीं पड़ता कि वह लकड़ी, कपड़े, चमड़े या टाट की बनी हो, न इससे कोई फ़रक़ पड़ता है कि वह किस काम के लिए इस्तेमाल की जाती है। उसे हर सूरत में पानी में डुबोना है। तो भी वह शाम तक नापाक रहेगी।


अगर ऐसा जानवर जिसे खाने की इजाज़त है मर जाए तो जो भी उस की लाश छुए शाम तक नापाक रहेगा।


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