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احبار 14:18 - किताबे-मुक़द्दस

18 इमाम अपनी हथेली पर का बाक़ी तेल पाक होनेवाले के सर पर डालकर रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा दे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

18 اَور کاہِنؔ اَپنی ہتھیلی کے باقی بچے ہویٔے تیل کو پاک قرار دئیے جانے والے شخص کے سَر پر بھی لگا دے اَور یَاہوِہ کے حُضُور اُس کے لیٔے کفّارہ دے۔

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کِتابِ مُقادّس

18 اور جو تیل کاہِن کے ہاتھ میں باقی بچے اُسے وہ اُس شخص کے سر میں ڈال دے جو پاک قرار دِیا جائے گا۔ یُوں کاہِن اُس کے لِئے خُداوند کے حضُور کفّارہ دے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

18 امام اپنی ہتھیلی پر کا باقی تیل پاک ہونے والے کے سر پر ڈال کر رب کے سامنے اُس کا کفارہ دے۔

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احبار 14:18
13 حوالہ جات  

फिर वह उस की सारी चरबी क़ुरबानगाह पर उस तरह जला दे जिस तरह वह सलामती की क़ुरबानियों की चरबी जला देता है। यों इमाम उस आदमी का कफ़्फ़ारा देगा और उसे मुआफ़ी हासिल हो जाएगी।


उसने हारून के सर पर मसह का तेल उंडेलकर उसे मसह किया। यों वह मख़सूसो-मुक़द्दस हुआ।


जितना नुक़सान मक़दिस को हुआ है उतना ही वह दे। इसके अलावा वह मज़ीद 20 फ़ीसद अदा करे। वह उसे इमाम को दे दे और इमाम जानवर को क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर पेश करके उसका कफ़्फ़ारा दे। यों उसे मुआफ़ी मिल जाएगी।


फिर वह उस की सारी चरबी उस तरह निकाले जिस तरह वह सलामती की क़ुरबानियों की चरबी निकालता है। इसके बाद वह उसे क़ुरबानगाह पर जला दे। ऐसी क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसंद है। यों इमाम उस आदमी का कफ़्फ़ारा देगा और उसे मुआफ़ी हासिल हो जाएगी।


हारून के सर पर मसह का तेल उंडेलकर उसे मसह करना।


इसलिए लाज़िम था कि वह हर लिहाज़ से अपने भाइयों की मानिंद बन जाए। सिर्फ़ इससे उसका यह मक़सद पूरा हो सका कि वह अल्लाह के हुज़ूर एक रहीम और वफ़ादार इमामे-आज़म बनकर लोगों के गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे सके।


वह अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ और लेकर पाक होनेवाले के दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ और दहने पाँव के अंगूठों पर लगा दे यानी उन जगहों पर जहाँ वह क़ुसूर की क़ुरबानी का ख़ून लगा चुका है।


इमाम रब के सामने उस शख़्स का कफ़्फ़ारा दे। जब कफ़्फ़ारा दे दिया गया तो उसे मुआफ़ी हासिल होगी।


उस बैल के साथ वह सब कुछ करे जो उसे अपने ज़ाती ग़ैरइरादी गुनाह के लिए करना होता है। यों वह लोगों का कफ़्फ़ारा देगा और उन्हें मुआफ़ी मिल जाएगी।


फिर वह उस की तमाम चरबी उस तरह निकाले जिस तरह सलामती की क़ुरबानी के लिए ज़बह किए गए जवान मेंढे की चरबी निकाली जाती है। इसके बाद इमाम चरबी को क़ुरबानगाह पर उन क़ुरबानियों समेत जला दे जो रब के लिए जलाई जाती हैं। यों इमाम उस आदमी का कफ़्फ़ारा देगा और उसे मुआफ़ी मिल जाएगी।


इमाम उनमें से एक को गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर और दूसरे को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाए। यों वह रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा देगा।


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