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احبار 11:39 - किताबे-मुक़द्दस

39 अगर ऐसा जानवर जिसे खाने की इजाज़त है मर जाए तो जो भी उस की लाश छुए शाम तक नापाक रहेगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

39 ” ’اگر کویٔی جانور جِس کے کھانے کی تُمہیں اِجازت ہے، مَر جائے تو جو کویٔی اُس کی لاش کو چھُوئے وہ شام تک ناپاک رہے گا۔

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کِتابِ مُقادّس

39 اور جِن جانوروں کو تُم کھا سکتے ہو اگر اُن میں سے کوئی مَر جائے تو جو کوئی اُس کی لاش کو چُھوئے وہ شام تک ناپاک رہے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

39 اگر ایسا جانور جسے کھانے کی اجازت ہے مر جائے تو جو بھی اُس کی لاش چھوئے شام تک ناپاک رہے گا۔

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احبار 11:39
18 حوالہ جات  

इसी तरह जो खुले मैदान में लाश छुए वह भी सात दिन तक नापाक रहेगा, ख़ाह वह तलवार से या तबई मौत मरा हो। जो इनसान की कोई हड्डी या क़ब्र छुए वह भी सात दिन तक नापाक रहेगा।


जो भी लाश छुए वह सात दिन तक नापाक रहेगा।


इसी तरह जो भी ऐसे मरीज़ को छुए वह अपने कपड़े धोकर नहा ले। वह शाम तक नापाक रहेगा।


जो भी उसके लेटने की जगह को छुए या उसके बैठने की जगह पर बैठ जाए वह अपने कपड़े धोकर नहा ले। वह शाम तक नापाक रहेगा।


जो उसमें से कुछ खाए या उसे उठाकर ले जाए उसे अपने कपड़ों को धोना है। तो भी वह शाम तक नापाक रहेगा।


जो भी उन्हें और उनकी लाशें छू लेता है वह शाम तक नापाक रहेगा।


जो भी ज़ैल के जानवरों की लाशें छुए वह शाम तक नापाक रहेगा : (अलिफ़) खुर रखनेवाले तमाम जानवर सिवाए उनके जिनके खुर या पाँव पूरे तौर पर चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं, (बे) तमाम जानवर जो अपने चार पंजों पर चलते हैं। यह जानवर तुम्हारे लिए नापाक हैं, और जो भी उनकी लाशें उठाए या छुए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। इसके बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहेगा।


लेकिन अगर बीजों पर पानी डाला गया हो और फिर लाश उन पर गिर पड़े तो वह नापाक हैं।


हारून की औलाद में से जो भी वबाई जिल्दी बीमारी या जरयान का मरीज़ हो उसे मुक़द्दस क़ुरबानियों में से अपना हिस्सा खाने की इजाज़त नहीं है। पहले वह पाक हो जाए। जो ऐसी कोई भी चीज़ छुए जो लाश से नापाक हो गई हो या ऐसे आदमी को छुए जिसका नुतफ़ा निकला हो वह नापाक हो जाता है।


इमाम ऐसे जानवरों का गोश्त न खाए जो फ़ितरी तौर पर मर गए या जिन्हें जंगली जानवरों ने फाड़ डाला हो, वरना वह नापाक हो जाएगा। मैं रब हूँ।


अगर इमाम ने किसी घर का मुआयना करके ताला लगा दिया है और फिर भी कोई उस घर में दाख़िल हो जाए तो वह शाम तक नापाक रहेगा।


इमाम उनमें से एक को गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर और दूसरे को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाए। यों वह रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा देगा।


जो आदमी अज़ाज़ेल के लिए बकरे को रेगिस्तान में छोड़ आया है वह अपने कपड़े धोकर नहा ले। इसके बाद वह ख़ैमागाह में आ सकता है।


अगर कोई भी इसराईली या परदेसी ऐसे जानवर का गोश्त खाए जो फ़ितरी तौर पर मर गया या जिसे जंगली जानवरों ने फाड़ डाला हो तो वह अपने कपड़े धोकर नहा ले। वह शाम तक नापाक रहेगा।


जो ऐसी कोई भी चीज़ छुए वह शाम तक नापाक रहेगा। इसके अलावा लाज़िम है कि वह मुक़द्दस क़ुरबानियों में से अपना हिस्सा खाने से पहले नहा ले।


इसके बाद वह अपने कपड़ों को धोकर नहा ले। फिर वह ख़ैमागाह में आ सकता है लेकिन शाम तक नापाक रहेगा।


यह सुनकर मैं बोल उठा, “हाय, हाय! ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, मैं कभी भी नापाक नहीं हुआ। जवानी से लेकर आज तक मैंने कभी ऐसे जानवर का गोश्त नहीं खाया जिसे ज़बह नहीं किया गया था या जिसे जंगली जानवरों ने फाड़ा था। नापाक गोश्त कभी मेरे मुँह में नहीं आया।”


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