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احبار 1:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 अगर भस्म होनेवाली क़ुरबानी परिंदा हो तो वह क़ुम्री या जवान कबूतर हो।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 ” ’اگر اُس کی نذر یَاہوِہ کے لیٔے پرندوں کی سوختنی نذر ہے تو وہ قُمریوں یا کبُوتر کا بچّہ نذر کرے۔

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کِتابِ مُقادّس

14 اور اگر اُس کا چڑھاوا خُداوند کے لِئے پرِندوں کی سوختنی قُربانی ہو تو وہ قمریوں یا کبُوتر کے بچّوں کا چڑھاوا چڑھائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 اگر بھسم ہونے والی قربانی پرندہ ہو تو وہ قمری یا جوان کبوتر ہو۔

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احبار 1:14
10 حوالہ جات  

साथ ही उन्होंने मरियम की तहारत की रस्म के लिए वह क़ुरबानी पेश की जो रब की शरीअत बयान करती है, यानी “दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर।”


अगर क़ुसूरवार शख़्स ग़ुरबत के बाइस भेड़ या बकरी न दे सके तो वह रब को दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर पेश करे, एक गुनाह की क़ुरबानी के लिए और एक भस्म होनेवाली क़ुरबानी के लिए।


अगर वह ग़ुरबत के बाइस भेड़ का बच्चा न दे सके तो फिर वह दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर ले आए, एक भस्म होनेवाली क़ुरबानी के लिए और दूसरा गुनाह की क़ुरबानी के लिए। यों इमाम उसका कफ़्फ़ारा दे और वह पाक हो जाएगी।”


हमें ऐसे ही इमामे-आज़म की ज़रूरत थी। हाँ, ऐसा इमाम जो मुक़द्दस, बेक़ुसूर, बेदाग़, गुनाहगारों से अलग और आसमानों से बुलंद हुआ है।


क्योंकि अगर आप देने का शौक़ रखते हैं तो फिर अल्लाह आपका हदिया उस बिना पर क़बूल करेगा जो आप दे सकते हैं, उस बिना पर नहीं जो आप नहीं दे सकते।


मेरा जुआ अपने ऊपर उठाकर मुझसे सीखो, क्योंकि मैं हलीम और नरमदिल हूँ। यों करने से तुम्हारी जानें आराम पाएँगी,


जवाब में रब ने कहा, “मेरे हुज़ूर एक तीन-साला गाय, एक तीन-साला बकरी और एक तीन-साला मेंढा ले आ। एक क़ुम्री और एक कबूतर का बच्चा भी ले आना।”


और ईसा बैतुल-मुक़द्दस में जाकर उन सबको निकालने लगा जो वहाँ क़ुरबानियों के लिए दरकार चीज़ों की ख़रीदो-फ़रोख़्त कर रहे थे। उसने सिक्कों का तबादला करनेवालों की मेज़ें और कबूतर बेचनेवालों की कुरसियाँ उलट दीं


फिर इमाम दूसरे परिंदे को क़वायद के मुताबिक़ भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर पेश करे। यों इमाम उस आदमी का कफ़्फ़ारा देगा और उसे मुआफ़ी मिल जाएगी।


अगर वह शख़्स ग़ुरबत के बाइस दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर भी न दे सके तो फिर वह गुनाह की क़ुरबानी के लिए डेढ़ किलोग्राम बेहतरीन मैदा पेश करे। वह उस पर न तेल उंडेले, न लुबान रखे, क्योंकि यह ग़ल्ला की नज़र नहीं बल्कि गुनाह की क़ुरबानी है।


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