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نوحہ یرمیاہ 1:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 सिय्यून बेटी अपने हाथ फैलाती है, लेकिन कोई नहीं है जो उसे तसल्ली दे। रब के हुक्म पर याक़ूब के पड़ोसी उसके दुश्मन बन गए हैं। यरूशलम उनके दरमियान घिनौनी चीज़ बन गई है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 صِیّونؔ اَپنے ہاتھ پھیلائے ہُوئے ہے، لیکن اُسے تسلّی دینے والا کویٔی نہیں۔ یَاہوِہ نے یعقوب کے بارے میں حُکم دیا ہے کہ اُس کے ہمسائے اُس کے دُشمن بَن جایٔیں؛ یروشلیمؔ، اُن کے درمیان ناپاکی بَن گیا ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 صِیُّون نے ہاتھ پَھیلائے۔ اُسے تسلّی دینے والا کوئی نہیں یعقُوبؔ کی بابت خُداوند نے حُکم دِیا ہے کہ اُس کے اِردگِرد والے اُس کے دُشمن ہوں۔ یروشلیِم اُن کے درمِیان نجاست کی مانِند ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 صیون بیٹی اپنے ہاتھ پھیلاتی ہے، لیکن کوئی نہیں ہے جو اُسے تسلی دے۔ رب کے حکم پر یعقوب کے پڑوسی اُس کے دشمن بن گئے ہیں۔ یروشلم اُن کے درمیان گھنونی چیز بن گئی ہے۔

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نوحہ یرمیاہ 1:17
29 حوالہ جات  

क्योंकि मुझे दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की आवाज़, पहली बार जन्म देनेवाली की आहो-ज़ारी सुनाई दे रही है। सिय्यून बेटी कराह रही है, वह अपने हाथ फैलाए हुए कह रही है, “हाय, मुझ पर अफ़सोस! मेरी जान क़ातिलों के हाथ में आकर निकल रही है।”


बेशक अपने हाथों को दुआ के लिए उठाते जाओ, मैं ध्यान नहीं दूँगा। गो तुम बहुत ज़्यादा नमाज़ भी पढ़ो, मैं तुम्हारी नहीं सुनूँगा, क्योंकि तुम्हारे हाथ ख़ूनआलूदा हैं।


गो उसके दामन में बहुत गंदगी थी, तो भी उसने अपने अंजाम का ख़याल तक न किया। अब वह धड़ाम से गिर गई है, और कोई नहीं है जो उसे तसल्ली दे। “ऐ रब, मेरी मुसीबत का लिहाज़ कर! क्योंकि दुश्मन शेख़ी मार रहा है।”


मैंने अपने आशिक़ों को बुलाया, लेकिन उन्होंने बेवफ़ा होकर मुझे तर्क कर दिया। अब मेरे इमाम और बुज़ुर्ग अपनी जान बचाने के लिए ख़ुराक ढूँडते ढूँडते शहर में हलाक हो गए हैं।


इसलिए मैं रो रही हूँ, मेरी आँखों से आँसू टपकते रहते हैं। क्योंकि क़रीब कोई नहीं है जो मुझे तसल्ली देकर मेरी जान को तरो-ताज़ा करे। मेरे बच्चे तबाह हैं, क्योंकि दुश्मन ग़ालिब आ गया है।”


इसलिए शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र तमाम फ़ौज को अपने साथ लेकर दुबारा यरूशलम पहुँचा ताकि उस पर हमला करे। सिदक़ियाह की हुकूमत के नवें साल में बाबल की फ़ौज यरूशलम का मुहासरा करने लगी। यह काम दसवें महीने के दसवें दिन शुरू हुआ। पूरे शहर के इर्दगिर्द बादशाह ने पुश्ते बनवाए।


हाँ, तमाम इसराईल को हड़प कर लिया गया है। अब वह क़ौमों में ऐसा बरतन बन गया है जो कोई पसंद नहीं करता।


“ऐ आदमज़ाद, जब इसराईली अपने मुल्क में आबाद थे तो मुल्क उनके चाल-चलन और हरकतों से नापाक हुआ। वह अपने बुरे रवय्ये के बाइस मेरी नज़र में माहवारी में मुब्तला औरत की तरह नापाक थे।


उन्हें देखकर लोग गरजते हैं, “हटो, तुम नापाक हो! भाग जाओ, दफ़ा हो जाओ, हमें हाथ मत लगाना!” फिर जब वह दीगर अक़वाम में जाकर इधर-उधर फिरने लगते हैं तो वहाँ के लोग भी कहते हैं कि यह मज़ीद यहाँ न ठहरें।


मेरी आहें तो लोगों तक पहुँचती हैं, लेकिन कोई मुझे तसल्ली देने के लिए नहीं आता। इसके बजाए मेरे तमाम दुश्मन मेरी मुसीबत के बारे में सुनकर बग़लें बजा रहे हैं। वह ख़ुश हैं कि तूने मेरे साथ ऐसा सुलूक किया है। ऐ रब, वह दिन आने दे जिसका एलान तूने किया है ताकि वह भी मेरी तरह की मुसीबत में फँस जाएँ।


रात को वह रो रोकर गुज़ारती है, उसके गाल आँसुओं से तर रहते हैं। आशिक़ों में से कोई नहीं रहा जो उसे तसल्ली दे। दोस्त सबके सब बेवफ़ा होकर उसके दुश्मन बन गए हैं।


लेकिन मेरे हुक्म पर वह वापस आकर यरूशलम पर हमला करेंगे। और इस मरतबा वह उस पर क़ब्ज़ा करके उसे नज़रे-आतिश कर देंगे। मैं यहूदाह के शहरों को भी यों ख़ाक में मिला दूँगा कि कोई उनमें नहीं रह सकेगा’।” यह रब का फ़रमान है।


“इस मुल्क के बाशिंदे मर जाएंगे, ख़ाह बड़े हों या छोटे। और न कोई उन्हें दफ़नाएगा, न मातम करेगा। कोई नहीं होगा जो ग़म के मारे अपनी जिल्द को काटे या अपने सर को मुँडवाए।


और चरवाहे अपने रेवड़ों को लेकर उस पर टूट पड़ेंगे। वह अपने ख़ैमों को उसके इर्दगिर्द लगा लेंगे, और हर एक का रेवड़ चर चरकर अपना हिस्सा खा जाएगा।


अगर कोई इसराईली या तेरी पूरी क़ौम उसका सबब जानकर अपने हाथों को इस घर की तरफ़ बढ़ाए और तुझसे इलतमास करे


फिर सुलेमान इसराईल की पूरी जमात के देखते देखते रब की क़ुरबानगाह के सामने खड़ा हुआ। उसने अपने हाथ आसमान की तरफ़ उठाकर


लाइलाज ग़म मुझ पर हावी हो गया, मेरा दिल निढाल हो गया है।


अब मेरी मौरूसी मिलकियत उस रंगीन शिकारी परिंदे की मानिंद है जिसे दीगर शिकारी परिंदों ने घेर रखा है। जाओ, तमाम दरिंदों को इकट्ठा करो ताकि वह आकर उसे खा जाएँ।


यरूशलम बेटी से संगीन गुनाह सरज़द हुआ है, इसी लिए वह लान-तान का निशाना बन गई है। जो पहले उस की इज़्ज़त करते थे वह सब उसे हक़ीर जानते हैं, क्योंकि उन्होंने उस की बरहनगी देखी है। अब वह आहें भर भरकर अपना मुँह दूसरी तरफ़ फेर लेती है।


मैंने एक बार फिर नज़र डाली तो मुझे वह तमाम ज़ुल्म नज़र आया जो सूरज तले होता है। मज़लूमों के आँसू बहते हैं, और तसल्ली देनेवाला कोई नहीं होता। ज़ालिम उनसे ज़्यादती करते हैं, और तसल्ली देनेवाला कोई नहीं होता।


“बेचारी बेटी यरूशलम! शदीद तूफ़ान तुझ पर से गुज़र गए हैं, और कोई नहीं है जो तुझे तसल्ली दे। देख, मैं तेरी दीवारों के पत्थर मज़बूत चूने से जोड़ दूँगा और तेरी बुनियादों को संगे-लाजवर्द से रख दूँगा।


ऐ यरूशलम, कौन तुझ पर तरस खाएगा, कौन हमदर्दी का इज़हार करेगा? कौन तेरे घर आकर तेरा हाल पूछेगा?”


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