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قضاۃ 5:23 - किताबे-मुक़द्दस

23 रब के फ़रिश्ते ने कहा, ‘मीरोज़ शहर पर लानत करो, उसके बाशिंदों पर ख़ूब लानत करो! क्योंकि वह रब की मदद करने न आए, वह सूरमाओं के ख़िलाफ़ रब की मदद करने न आए।’

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

23 یَاہوِہ کے فرشتہ نے کہا، ’مِیروزؔ پر لعنت بھیجو۔ اُس کے باشِندوں پر سخت لعنت کرو، کیونکہ اُنہُوں نے یَاہوِہ کو مدد نہ بھیجی، وہ سُورماؤں کے مقابل یَاہوِہ کی مدد کو نہ آئے۔‘

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کِتابِ مُقادّس

23 خُداوند کے فرِشتہ نے کہا کہ تُم مِیروز پر لَعنت کرو۔ اُس کے باشِندوں پر سخت لَعنت کرو۔ کیونکہ وہ خُداوند کی کُمک کو زورآوروں کے مُقابِل خُداوند کی کُمک کو نہ آئے

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

23 رب کے فرشتے نے کہا، ’میروز شہر پر لعنت کرو، اُس کے باشندوں پر خوب لعنت کرو! کیونکہ وہ رب کی مدد کرنے نہ آئے، وہ سورماؤں کے خلاف رب کی مدد کرنے نہ آئے۔‘

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قضاۃ 5:23
23 حوالہ جات  

अल्लाह के हमख़िदमत होते हुए हम आपसे मिन्नत करते हैं कि जो फ़ज़ल आपको मिला है वह ज़ाया न जाए।


लानत उस शख़्स पर जो ख़ुदावंद से मुहब्बत नहीं रखता। ऐ हमारे ख़ुदावंद, आ!


क्योंकि हम अल्लाह के मुआविन हैं जबकि आप अल्लाह का खेत और उस की इमारत हैं।


क्योंकि मैं सिर्फ़ उस काम के बारे में बात करने की जुर्रत करूँगा जो मसीह ने मेरी मारिफ़त किया है और जिससे ग़ैरयहूदी अल्लाह के ताबे हो गए हैं। हाँ, मसीह ही ने यह काम कलाम और अमल से,


फिर वह बाएँ हाथवालों से कहेगा, ‘लानती लोगो, मुझसे दूर हो जाओ और उस अबदी आग में चले जाओ जो इबलीस और उसके फ़रिश्तों के लिए तैयार है।


उस पर लानत जो सुस्ती से रब का काम करे! उस पर लानत जो अपनी तलवार को ख़ून बहाने से रोक ले!


अगला हिस्सा तक़ुअ के बाशिंदों ने बनाया। लेकिन शहर के बड़े लोग अपने बुज़ुर्गों के तहत काम करने के लिए तैयार न थे।


गुज़ारिश है कि मेरा आक़ा और बादशाह अपने ख़ादिम की बात सुने। अगर रब ने आपको मेरे ख़िलाफ़ उकसाया हो तो वह मेरी ग़ल्ला की नज़र क़बूल करे। लेकिन अगर इनसान इसके पीछे हैं तो रब के सामने उन पर लानत! अपनी हरकतों से उन्होंने मुझे मेरी मौरूसी ज़मीन से निकाल दिया है और नतीजे में मैं रब की क़ौम में नहीं रह सकता। हक़ीक़त में वह कह रहे हैं, ‘जाओ, दीगर माबूदों की पूजा करो!’


जो भी ग़लती हुई है अपनी ख़ादिमा को मुआफ़ कीजिए। रब ज़रूर मेरे आक़ा का घराना हमेशा तक क़ायम रखेगा, क्योंकि आप रब के दुश्मनों से लड़ते हैं। वह आपको जीते-जी ग़लतियाँ करने से बचाए रखे।


एक दिन साऊल ने दाऊद से बात की, “मैं अपनी बड़ी बेटी मीरब का रिश्ता आपके साथ बाँधना चाहता हूँ। लेकिन पहले साबित करें कि आप अच्छे फ़ौजी हैं, जो रब की जंगों में ख़ूब हिस्सा ले।” लेकिन दिल ही दिल में साऊल ने सोचा, “ख़ुद तो मैं दाऊद पर हाथ नहीं उठाऊँगा, बेहतर है कि वह फ़िलिस्तियों के हाथों मारा जाए।”


सब जो यहाँ मौजूद हैं जान लेंगे कि रब को हमें बचाने के लिए तलवार या नेज़े की ज़रूरत नहीं होती। वह ख़ुद ही जंग कर रहा है, और वही आपको हमारे क़ब्ज़े में कर देगा।”


एक दिन रब का फ़रिश्ता मनोहा की बीवी पर ज़ाहिर हुआ और कहा, “गो तुझसे बच्चे पैदा नहीं हो सकते, अब तू हामिला होगी, और तेरे बेटा पैदा होगा।


एक दिन रब का फ़रिश्ता आया और उफ़रा में बलूत के एक दरख़्त के साये में बैठ गया। यह दरख़्त अबियज़र के ख़ानदान के एक आदमी का था जिसका नाम युआस था। वहाँ अंगूर का रस निकालने का हौज़ था, और उसमें युआस का बेटा जिदौन छुपकर गंदुम झाड़ रहा था, हौज़ में इसलिए कि गंदुम मिदियानियों से महफ़ूज़ रहे।


एक दिन दबोरा ने बरक़ बिन अबीनुअम को बुलाया। बरक़ नफ़ताली के क़बायली इलाक़े के शहर क़ादिस में रहता था। दबोरा ने बरक़ से कहा, “रब इसराईल का ख़ुदा आपको हुक्म देता है, ‘नफ़ताली और ज़बूलून के क़बीलों में से 10,000 मर्दों को जमा करके उनके साथ तबूर पहाड़ पर चढ़ जा!


रब का फ़रिश्ता जिलजाल से चढ़कर बोकीम पहुँचा। वहाँ उसने इसराईलियों से कहा, “मैं तुम्हें मिसर से निकालकर उस मुल्क में लाया जिसका वादा मैंने क़सम खाकर तुम्हारे बापदादा से किया था। उस वक़्त मैंने कहा कि मैं तुम्हारे साथ अपना अहद कभी नहीं तोड़ूँगा।


फिर बचे हुए फ़ौजी पहाड़ी इलाक़े से उतरकर क़ौम के शुरफ़ा के पास आए, रब की क़ौम सूरमाओं के साथ मेरे पास उतर आई।


फिर वह एक दूसरे से पूछने लगे, “जब हम मिसफ़ाह में रब के हुज़ूर जमा हुए तो हमारी क़ौम में से कौन कौन इजतिमा में शरीक न हुआ?” क्योंकि उस वक़्त उन्होंने क़सम खाकर एलान किया था, “जिसने यहाँ रब के हुज़ूर आने से इनकार किया उसे ज़रूर सज़ाए-मौत दी जाएगी।”


इसलिए जिदौन ने क़रीब के शहर सुक्कात के बाशिंदों से गुज़ारिश की, “मेरे फ़ौजियों को कुछ रोटी दे दें। वह थक गए हैं, क्योंकि हम मिदियानी सरदार ज़िबह और ज़लमुन्ना का ताक़्क़ुब कर रहे हैं।”


लेकिन सुक्कात के बुज़ुर्गों ने जवाब दिया, “हम आपके फ़ौजियों को रोटी क्यों दें? क्या आप ज़िबह और ज़लमुन्ना को पकड़ चुके हैं कि हम ऐसा करें?”


वह आगे निकलकर फ़नुएल शहर पहुँच गया। वहाँ भी उसने रोटी माँगी, लेकिन फ़नुएल के बाशिंदों ने सुक्कात का-सा जवाब दिया।


लेकिन हो सकता है कोई ख़ानदान मिसफ़ाह के इजतिमा में न आया हो। आओ, हम पता करें।” मालूम हुआ कि यबीस-जिलियाद के बाशिंदे नहीं आए थे।


कौन शरीरों के सामने मेरा दिफ़ा करेगा? कौन मेरे लिए बदकारों का सामना करेगा?


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