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قضاۃ 3:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 फ़िलिस्ती उनके पाँच हुक्मरानों समेत, तमाम कनानी, सैदानी और लुबनान के पहाड़ी इलाक़े में रहनेवाले हिव्वी जो बाल-हरमून पहाड़ से लेकर लबो-हमात तक आबाद थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 فلسطینیوں کے پانچوں سردار، سَب کنعانی، صیدونی اَور کوہِ بَعل حرمُونؔ سے لے کر لیبو حماتؔ کے مدخل تک لبانونؔ کی پہاڑیوں میں بسنے والے سبھی حِوّی وہیں رہے۔

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کِتابِ مُقادّس

3 یعنی فِلستِیوں کے پانچوں سردار اور سب کنعانی اور صَیدانی اور کوہِ بعل حرمُوؔن سے حماؔت کے مدخل تک کے سب حوّی جو کوہِ لُبنان میں بستے تھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 فلستی اُن کے پانچ حکمرانوں سمیت، تمام کنعانی، صیدانی اور لبنان کے پہاڑی علاقے میں رہنے والے حِوّی جو بعل حرمون پہاڑ سے لے کر لبو حمات تک آباد تھے۔

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قضاۃ 3:3
31 حوالہ جات  

इसके अलावा जबलियों का मुल्क और मशरिक़ में पूरा लुबनान हरमून पहाड़ के दामन में बाल-जद से लेकर लबो-हमात तक बाक़ी रह गया है।


फ़िलिस्ती सरदार जंग के लिए निकलने लगे। उनके पीछे सौ सौ और हज़ार हज़ार सिपाहियों के गुरोह हो लिए। आख़िर में दाऊद और उसके आदमी भी अकीस के साथ चलने लगे।


फ़िलिस्ती भी इसराईलियों से लड़ने के लिए जमा हुए। उनके 30,000 रथ, 6,000 घुड़सवार और साहिल की रेत जैसे बेशुमार प्यादा फ़ौजी थे। उन्होंने बैत-आवन के मशरिक़ में मिकमास के क़रीब अपने ख़ैमे लगाए।


इसके अलावा उन्होंने हर शहर और उसके गिर्दो-नवाह की आबादियों के लिए सोने का एक एक चूहा बना लिया था। जिस बड़े पत्थर पर अहद का संदूक़ रखा गया वह आज तक यशुअ बैत-शम्सी के खेत में इस बात की गवाही देता है।


तब यह पाँच आदमी आगे निकले और सफ़र करते करते लैस पहुँच गए। उन्होंने देखा कि वहाँ के लोग सैदानियों की तरह पुरसुकून और बेफ़िकर ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। कोई नहीं था जो उन्हें दबाता या उन पर ज़ुल्म करता। यह भी मालूम हुआ कि अगर उन पर हमला किया जाए तो उनका इत्तहादी शहर सैदा उनसे इतनी दूर है कि उनकी मदद नहीं कर सकेगा, और क़रीब कोई इत्तहादी नहीं है जो उनका साथ दे।


उसके माँ-बाप को मालूम नहीं था कि यह सब कुछ रब की तरफ़ से है जो फ़िलिस्तियों से लड़ने का मौक़ा तलाश कर रहा था। क्योंकि उस वक़्त फ़िलिस्ती इसराईल पर हुकूमत कर रहे थे।


सैदानी, अमालीक़ी और माओनी तुम पर ज़ुल्म करते थे और तुम मदद के लिए मुझे पुकारने लगे तो क्या मैंने तुम्हें न बचाया?


तब उसका ग़ज़ब उन पर नाज़िल हुआ, और उसने उन्हें फ़िलिस्तियों और अम्मोनियों के हवाले कर दिया।


इसलिए रब ने उन्हें कनान के बादशाह याबीन के हवाले कर दिया। याबीन का दारुल-हुकूमत हसूर था, और उसके पास 900 लोहे के रथ थे। उसके लशकर का सरदार सीसरा था जो हरूसत-हगोयम में रहता था। याबीन ने 20 साल इसराईलियों पर बहुत ज़ुल्म किया, इसलिए उन्होंने मदद के लिए रब को पुकारा।


फिर वह इबरून, रहोब, हम्मून और क़ाना से होकर बड़े शहर सैदा तक पहुँची।


और कनान के मशरिक़ और मग़रिब में। याबीन ने अमोरियों, हित्तियों, फ़रिज़्ज़ियों, पहाड़ी इलाक़े के यबूसियों और हरमून पहाड़ के दामन में वाक़े मुल्के-मिसफ़ाह के हिव्वियों को भी पैग़ाम भेजे।


(सैदा के बाशिंदे हरमून को सिरयून कहते हैं जबकि अमोरियों ने उसका नाम सनीर रखा)।


अब इस जगह को छोड़कर आगे मुल्के-कनान की तरफ़ बढ़ो। अमोरियों के पहाड़ी इलाक़े और उनके पड़ोस की क़ौमों के पास जाओ जो यरदन के मैदानी इलाक़े में आबाद हैं। पहाड़ी इलाक़े में, मग़रिब के नशेबी पहाड़ी इलाक़े में, जुनूब के दश्ते-नजब में, साहिली इलाक़े में, मुल्के-कनान में और लुबनान में दरियाए-फ़ुरात तक चले जाओ।


लबो-हमात, सिदाद,


अमालीक़ी दश्ते-नजब में रहते हैं जबकि हित्ती, यबूसी और अमोरी पहाड़ी इलाक़े में आबाद हैं। कनानी साहिली इलाक़े और दरियाए-यरदन के किनारे किनारे बसते हैं।”


ज़बूलून साहिल पर आबाद होगा जहाँ बहरी जहाज़ होंगे। उस की हद सैदा तक होगी।


लेकिन इसराईलियों ने हिव्वियों से कहा, “शायद आप हमारे इलाक़े के बीच में कहीं बसते हैं। अगर ऐसा है तो हम किस तरह आपसे मुआहदा कर सकते हैं?”


क्योंकि जिबऊन में रहनेवाले हिव्वियों के अलावा किसी भी शहर ने इसराईलियों से सुलह न की। इसलिए इसराईल को उन सब पर जंग करके ही क़ब्ज़ा करना पड़ा।


नीज़, वह नई नसल को जंग करना सिखाना चाहता था, क्योंकि वह जंग करने से नावाक़िफ़ थी। ज़ैल की क़ौमें कनान में रह गई थीं :


फ़िलिस्तियों ने पूछा, “हम उसे किस क़िस्म की क़ुसूर की क़ुरबानी भेजें?” उन्होंने जवाब दिया, “फ़िलिस्तियों के पाँच हुक्मरान हैं, इसलिए सोने के पाँच फोड़े और पाँच चूहे बनवाएँ, क्योंकि आप सब इस एक ही वबा की ज़द में आए हुए हैं, ख़ाह हुक्मरान हों, ख़ाह रिआया।


यह सब कुछ देखने के बाद फ़िलिस्ती सरदार उसी दिन अक़रून वापस चले गए।


और क़िलाबंद शहर सूर और हिव्वियों और कनानियों के तमाम शहरों तक पहुँच गए। आख़िरकार उन्होंने यहूदाह के जुनूब की मर्दुमशुमारी बैर-सबा तक की।


ईद 14 दिन तक मनाई गई। पहले हफ़ते में सुलेमान और तमाम इसराईल ने रब के घर की मख़सूसियत मनाई और दूसरे हफ़ते में झोंपड़ियों की ईद। बहुत ज़्यादा लोग शरीक हुए। वह दूर-दराज़ इलाक़ों से यरूशलम आए थे, शिमाल में लबो-हमात से लेकर जुनूब में उस वादी तक जो मिसर की सरहद थी।


मग़रिबी सरहद बहीराए-रूम है जो शिमाल में लबो-हमात के मुक़ाबिल ख़त्म होती है।


जिन आदमियों की सुलेमान ने बेगार पर भरती की वह इसराईली नहीं थे बल्कि अमोरी, हित्ती, फ़रिज़्ज़ी, हिव्वी और यबूसी यानी कनान के पहले बाशिंदों की वह औलाद थे जो बाक़ी रह गए थे। मुल्क पर क़ब्ज़ा करते वक़्त इसराईली इन क़ौमों को पूरे तौर पर मिटा न सके, और आज तक इनकी औलाद को इसराईल के लिए बेगार में काम करना पड़ता है।


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