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قضاۃ 20:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 तमाम इसराईली एक दिल होकर मिसफ़ाह में रब के हुज़ूर जमा हुए। शिमाल के दान से लेकर जुनूब के बैर-सबा तक सब आए। दरियाए-यरदन के पार जिलियाद से भी लोग आए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 تَب دانؔ سے لے کر بیرشبعؔ تک کے اَور گِلعادؔ کے مُلک کے تمام بنی اِسرائیل مُتّحد ہوکر نکلے اَور مِصفاہؔ میں یَاہوِہ کے حُضُور اِکٹھّے ہُوئے

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کِتابِ مُقادّس

1 تب سب بنی اِسرائیل نِکلے اور ساری جماعت جِلعاد کے مُلک سمیت دان سے بیرسبع تک یک تن ہو کر خُداوند کے حضُور مِصفاہ میں اِکٹّھی ہُوئی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 تمام اسرائیلی ایک دل ہو کر مِصفاہ میں رب کے حضور جمع ہوئے۔ شمال کے دان سے لے کر جنوب کے بیرسبع تک سب آئے۔ دریائے یردن کے پار جِلعاد سے بھی لوگ آئے۔

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قضاۃ 20:1
35 حوالہ جات  

यह सुनकर इफ़ताह जिलियाद के बुज़ुर्गों के साथ मिसफ़ाह गया। वहाँ लोगों ने उसे अपना सरदार और फ़ौज का कमाँडर बना लिया। मिसफ़ाह में उसने रब के हुज़ूर वह तमाम बातें दोहराईं जिनका फ़ैसला उसने बुज़ुर्गों के साथ किया था।


कुछ देर के बाद समुएल ने अवाम को बुलाकर मिसफ़ाह में रब के हुज़ूर जमा किया।


पूरे इसराईल ने दान से लेकर बैर-सबा तक जान लिया कि रब ने अपने नबी समुएल की तसदीक़ की है।


फिर वह एक दूसरे से पूछने लगे, “जब हम मिसफ़ाह में रब के हुज़ूर जमा हुए तो हमारी क़ौम में से कौन कौन इजतिमा में शरीक न हुआ?” क्योंकि उस वक़्त उन्होंने क़सम खाकर एलान किया था, “जिसने यहाँ रब के हुज़ूर आने से इनकार किया उसे ज़रूर सज़ाए-मौत दी जाएगी।”


तब इसराईल की पूरी जमात मशरिक़ी क़बीलों से लड़ने के लिए सैला में जमा हुई।


तो सब लोग मिलकर पानी के दरवाज़े के चौक में जमा हो गए। उन्होंने शरीअत के आलिम अज़रा से दरख़ास्त की कि वह शरीअत ले आएँ जो रब ने मूसा की मारिफ़त इसराईली क़ौम को दे दी थी।


चुनाँचे दाऊद ने फ़ौज के कमाँडर योआब को हुक्म दिया, “दान से लेकर बैर-सबा तक इसराईल के तमाम क़बीलों में से गुज़रते हुए जंग करने के क़ाबिल मर्दों को गिन लें ताकि मालूम हो जाए कि उनकी कुल तादाद क्या है।”


सातवें महीने की इब्तिदा में पूरी क़ौम यरूशलम में जमा हुई। उस वक़्त इसराईली अपनी आबादियों में दुबारा आबाद हो गए थे।


उन्होंने फ़ैसला किया कि हम तमाम इसराईलियों को जुनूब में बैर-सबा से लेकर शिमाल में दान तक दावत देंगे। सब यरूशलम आएँ ताकि हम मिलकर रब इसराईल के ख़ुदा की ताज़ीम में फ़सह की ईद मनाएँ। असल में यह ईद बड़ी देर से हिदायात के मुताबिक़ नहीं मनाई गई थी।


दाऊद ने योआब और क़ौम के बुज़ुर्गों को हुक्म दिया, “दान से लेकर बैर-सबा तक इसराईल के तमाम क़बीलों में से गुज़रते हुए जंग करने के क़ाबिल मर्दों को गिन लें। फिर वापस आकर मुझे इत्तला दें ताकि मालूम हो जाए कि उनकी कुल तादाद क्या है।”


जब फ़ौज के बचे हुए अफ़सरों और उनके दस्तों को ख़बर मिली कि जिदलियाह को गवर्नर मुक़र्रर किया गया है तो वह मिसफ़ाह में उसके पास आए। अफ़सरों के नाम इसमाईल बिन नतनियाह, यूहनान बिन क़रीह, सिरायाह बिन तनहूमत नतूफ़ाती और याज़नियाह बिन माकाती थे। उनके फ़ौजी भी साथ आए।


इस तरह दाऊद यहूदाह के तमाम दिलों को जीत सका, और सबके सब उसके पीछे लग गए। उन्होंने उसे पैग़ाम भेजा, “वापस आएँ, आप भी और आपके तमाम लोग भी।”


बादशाह मुक़र्रर कर दिया। जिलियाद, यज़्रएल, आशर, इफ़राईम, बिनयमीन और तमाम इसराईल उसके क़ब्ज़े में रहे।


फिर इसराईल का पूरा लशकर बैतेल चला गया। वहाँ वह शाम तक रब के हुज़ूर रोते और रोज़ा रखते रहे। उन्होंने रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ और सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करके


पहले इसराईली बैतेल चले गए। वहाँ उन्होंने अल्लाह से दरियाफ़्त किया, “कौन-सा क़बीला हमारे आगे आगे चले जब हम बिनयमीनियों पर हमला करें?” रब ने जवाब दिया, “यहूदाह सबसे आगे चले।”


यों तमाम इसराईली मुत्तहिद होकर जिबिया से लड़ने के लिए गए।


तमाम मर्द एक दिल होकर खड़े हुए। सबका फ़ैसला था, “हममें से कोई भी अपने घर वापस नहीं जाएगा


इसराईली क़बीलों के सरदार भी आए। उन्होंने मिलकर एक बड़ी फ़ौज तैयार की, तलवारों से लैस 4,00,000 मर्द जमा हुए।


और उन्होंने उसका नाम अपने क़बीले के बानी के नाम पर दान रखा (दान इसराईल का बेटा था)।


उन दिनों में अम्मोनी अपने फ़ौजियों को जमा करके जिलियाद में ख़ैमाज़न हुए। जवाब में इसराईली भी जमा हुए और मिसफ़ाह में अपने ख़ैमे लगाए।


यूसुफ़ के पहलौठे मनस्सी की औलाद को दो इलाक़े मिल गए। दरियाए-यरदन के मशरिक़ में मकीर के घराने को जिलियाद और बसन दिए गए। मकीर मनस्सी का पहलौठा और जिलियाद का बाप था, और उस की औलाद माहिर फ़ौजी थी।


रूबिन और जद के क़बीलों के पास बहुत-से मवेशी थे। जब उन्होंने देखा कि याज़ेर और जिलियाद का इलाक़ा मवेशी पालने के लिए अच्छा है


मिसफ़ाह, कफ़ीरा, मौज़ा,


दिलान, मिसफ़ाह, युक़तियेल,


चुनाँचे मूसा ने मकीरियों को जिलियाद की सरज़मीन दे दी, और वह वहाँ आबाद हुए।


जिदलियाह मिसफ़ाह में ठहरा हुआ था। यरमियाह उसके पास जाकर मुल्क के बचे हुए लोगों के बीच में बसने लगा।


तक़रीबन 40,000 मुसल्लह मर्द उस वक़्त रब के सामने यरीहू के मैदान में पहुँच गए ताकि वहाँ जंग करें।


फिर रूबिन, जद और मनस्सी के आधे क़बीले के मर्द बाक़ी इसराईलियों को सैला में छोड़कर मुल्के-जिलियाद की तरफ़ रवाना हुए जो दरियाए-यरदन के मशरिक़ में है। वहाँ उनके अपने इलाक़े थे जिनमें उनके क़बीले रब के उस हुक्म के मुताबिक़ आबाद हुए थे जो उसने मूसा की मारिफ़त दिया था।


इसके बाद इफ़ताह मिसफ़ाह वापस चला गया। वह अभी घर के क़रीब था कि उस की इकलौती बेटी दफ़ बजाती और नाचती हुई घर से निकल आई। इफ़ताह का कोई और बेटा या बेटी नहीं थी।


इसलिए मैं रब अपने ख़ुदा के नाम के लिए घर तामीर करना चाहता हूँ। क्योंकि मेरे बाप दाऊद के जीते-जी रब ने उनसे वादा किया था, ‘तेरे जिस बेटे को मैं तेरे बाद तख़्त पर बिठाऊँगा वही मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।’


हसार-सुआल, बैर-सबा गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत,


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