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یشوع 21:38 - किताबे-मुक़द्दस

38-39 जद के क़बीले ने उसे चार शहर उनकी चरागाहों समेत दिए : मुल्के-जिलियाद का रामात जिसमें हर वह शख़्स पनाह ले सकता था जिससे कोई ग़ैरइरादी तौर पर हलाक हुआ था, फिर महनायम, हसबोन और याज़ेर।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

38 گادؔ کے قبیلہ سے گِلعادؔ میں راموتؔ (جو قتل کے مُلزم کے لیٔے پناہ کا شہر تھا)، محنایمؔ،

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کِتابِ مُقادّس

38 اور جد کے قبِیلہ سے جِلعاد میں رامہ اور اُس کی نواحی تو خُونی کی پناہ کے لِئے اور محنایم اور اُس کی نواحی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

38-39 جد کے قبیلے نے اُسے چار شہر اُن کی چراگاہوں سمیت دیئے: ملکِ جِلعاد کا رامات جس میں ہر وہ شخص پناہ لے سکتا تھا جس سے کوئی غیرارادی طور پر ہلاک ہوا تھا، پھر محنائم، حسبون اور یعزیر۔

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یشوع 21:38
14 حوالہ جات  

उन्हें देखकर उसने कहा, “यह अल्लाह की लशकरगाह है।” उसने उस मक़ाम का नाम महनायम यानी ‘दो लशकरगाहें’ रखा।


जद के क़बीले से जिलियाद का रामात, महनायम,


उस वक़्त इसराईल के बादशाह ने अपने अफ़सरों से बात की, “देखें, रामात-जिलियाद हमारा ही शहर है। तो फिर हम क्यों कुछ नहीं कर रहे? हमें उसे शाम के बादशाह के क़ब्ज़े से छुड़वाना चाहिए।”


बरज़िल्ली 80 साल का था। महनायम में रहते वक़्त उसी ने दाऊद की मेहमान-नवाज़ी की थी, क्योंकि वह बहुत अमीर था।


जब दाऊद महनायम पहुँच गया तो अबीसलूम इसराईली फ़ौज के साथ दरियाए-यरदन को पार करने लगा।


दरियाए-यरदन के मशरिक़ में उन्होंने बसर को चुन लिया जो यरीहू से काफ़ी दूर मैदाने-मुरतफ़ा में है और रूबिन के क़बीले की मिलकियत है। मुल्के-जिलियाद में रामात जो जद के क़बीले का है और बसन में जौलान जो मनस्सी के क़बीले का है चुना गया।


इसके लिए रूबिन के क़बीले के लिए मैदाने-मुरतफ़ा का शहर बसर, जद के क़बीले के लिए जिलियाद का शहर रामात और मनस्सी के क़बीले के लिए बसन का शहर जौलान चुना गया।


इतने में साऊल की फ़ौज के कमाँडर अबिनैर बिन नैर ने साऊल के बेटे इशबोसत को महनायम शहर में ले जाकर


बिन-जबर : जिलियाद में रामात का इलाक़ा बशमूल याईर बिन मनस्सी की बस्तियाँ, फिर बसन में अरजूब का इलाक़ा। इसमें 60 ऐसे फ़सीलदार शहर शामिल थे जिनके दरवाज़ों पर पीतल के कुंडे लगे थे,


और हसबोन के बादशाह सीहोन की बादशाही का बाक़ी शिमाली हिस्सा यानी हसबोन, रामतुल-मिसफ़ाह और बतूनीम के दरमियान का इलाक़ा और महनायम और दबीर के दरमियान का इलाक़ा। इसके अलावा जद को वादीए-यरदन का वह मशरिक़ी हिस्सा भी मिल गया जो बैत-हारम, बैत-निमरा, सुक्कात और सफ़ोन पर मुश्तमिल था। यों उस की शिमाली सरहद किन्नरत यानी गलील की झील का जुनूबी किनारा था।


वह महनायम से लेकर शिमाल में ओज बादशाह की तमाम बादशाही पर मुश्तमिल था। उसमें मुल्के-बसन और वह 60 आबादियाँ शामिल थीं जिन पर याईर ने फ़तह पाई थी।


अख़ी-नदाब बिन इद्दू : महनायम,


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