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یشوع 18:19 - किताबे-मुक़द्दस

19 बैत-हुजलाह की शिमाली पहाड़ी ढलान से गुज़री और बहीराए-मुरदार के शिमाली किनारे पर ख़त्म हुई, वहाँ जहाँ दरियाए-यरदन उसमें बहता है। यह थी बिनयमीन की जुनूबी सरहद।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

19 پھر وہ بیت حوگلہؔ کی شمالی ڈھلان سے ہوتی ہُوئی بحرمُردار کی شمالی خلیج میں جا نکلی جو جُنوب میں یردنؔ کے دہانے پر واقع ہے۔ یہ جُنوبی حَد تھی۔

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کِتابِ مُقادّس

19 پِھر وہ حد وہاں سے بَیت حُجلہ کے شِمالی پہلُو تک پُہنچی اور اُس حد کا خاتِمہ دریایِ شور کی شِمالی کھاڑی پر ہُؤا جو یَردن کے جنُوبی سِرے پر ہے۔ یہ جنُوب کی حد تھی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

19 بیت حُجلاہ کی شمالی پہاڑی ڈھلان سے گزری اور بحیرۂ مُردار کے شمالی کنارے پر ختم ہوئی، وہاں جہاں دریائے یردن اُس میں بہتا ہے۔ یہ تھی بن یمین کی جنوبی سرحد۔

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یشوع 18:19
10 حوالہ جات  

यहूदाह की जुनूबी सरहद बहीराए-मुरदार के जुनूबी सिरे से शुरू होकर


कनान के इन पाँच बादशाहों का इत्तहाद हुआ था और वह वादीए-सिद्दीम में जमा हुए थे। (अब सिद्दीम नहीं है, क्योंकि उस की जगह बहीराए-मुरदार आ गया है)।


रब बहरे-क़ुलज़ुम को ख़ुश्क करेगा और साथ साथ दरियाए-फ़ुरात के ऊपर हाथ हिलाकर उस पर ज़ोरदार हवा चलाएगा। तब दरिया सात ऐसी नहरों में बट जाएगा जो पैदल ही पार की जा सकेंगी।


इसके अलावा सीहोन का क़ब्ज़ा दरियाए-यरदन के पूरे मशरिक़ी किनारे पर किन्नरत यानी गलील की झील से लेकर बहीराए-मुरदार के पास शहर बैत-यसीमोत तक बल्कि उसके जुनूब में पहाड़ी सिलसिले पिसगा के दामन तक था।


तो आनेवाले पानी का बहाव रुक गया। वह उनसे दूर एक शहर के क़रीब ढेर बन गया जिसका नाम आदम था और जो ज़रतान के नज़दीक है। जो पानी दूसरी यानी बहीराए-मुरदार की तरफ़ बह रहा था वह पूरी तरह उतर गया। तब इसराईलियों ने यरीहू शहर के मुक़ाबिल दरिया को पार किया।


उस की मग़रिबी सरहद दरियाए-यरदन है यानी किन्नरत (गलील) की झील से लेकर बहीराए-मुरदार तक जो पिसगा के पहाड़ी सिलसिले के दामन में है।


उस की जुनूबी सरहद दश्ते-सीन में अदोम की सरहद के साथ साथ चलेगी। मशरिक़ में वह बहीराए-मुरदार के जुनूबी साहिल से शुरू होगी, फिर इन जगहों से होकर मग़रिब की तरफ़ गुज़रेगी :


यों उसने उस पूरे मैदान को उसके शहरों, बाशिंदों और तमाम हरियाली समेत तबाह कर दिया।


वहाँ से वह उस ढलान के शिमाली रुख़ पर से गुज़री जो वादीए-यरदन के मग़रिबी किनारे पर है। फिर वह वादी में उतरकर


उस की मशरिक़ी सरहद दरियाए-यरदन थी। यही वह इलाक़ा था जो बिनयमीन के क़बीले को उसके कुंबों के मुताबिक़ दिया गया।


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