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یشوع 15:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 जब इसराईलियों ने क़ुरा डालकर मुल्क को तक़सीम किया तो यहूदाह के क़बीले को उसके कुंबों के मुताबिक़ कनान का जुनूबी हिस्सा मिल गया। इस इलाक़े की सरहद मुल्के-अदोम और इंतहाई जुनूब में सीन का रेगिस्तान था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَور یہُوداہؔ کے قبیلہ کا حِصّہ اُن کے برادریوں کے مُطابق اِدُوم کی سرحد تک اَور صینؔ کے بیابان تک پھیلا ہُواہے جو اِنتہائی جُنوب میں واقع ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اور بنی یہُوداؔہ کے قبِیلہ کا حِصّہ اُن کے گھرانوں کے مُطابِق قُرعہ ڈال کر ادُوم کی سرحد تک اور جنُوب میں دشتِ صِین تک جو جنُوب کے اِنتہائی حِصّہ میں واقِع ہے ٹھہرا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 جب اسرائیلیوں نے قرعہ ڈال کر ملک کو تقسیم کیا تو یہوداہ کے قبیلے کو اُس کے کنبوں کے مطابق کنعان کا جنوبی حصہ مل گیا۔ اِس علاقے کی سرحد ملکِ ادوم اور انتہائی جنوب میں صین کا ریگستان تھا۔

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یشوع 15:1
13 حوالہ جات  

जुनूबी सरहद तमर से शुरू होकर जुनूब-मग़रिब की तरफ़ चलती चलती मरीबा-क़ादिस के चश्मों तक पहुँचती है। फिर वह शिमाल-मग़रिब की तरफ़ रुख़ करके मिसर की सरहद यानी वादीए-मिसर के साथ साथ बहीराए-रूम तक पहुँचती है।


क़ुरा डालकर मुक़र्रर किया कि हर क़बीले को कौन कौन-सा इलाक़ा मिल जाए। यों वैसा ही हुआ जिस तरह रब ने मूसा को हुक्म दिया था।


यरूशलम, इदूमया, दरियाए-यरदन के पार और सूर और सैदा के इलाक़े से भी। वजह यह थी कि ईसा के काम की ख़बर उन इलाक़ों तक भी पहुँच चुकी थी और नतीजे में बहुत-से लोग वहाँ से भी आए।


लेकिन जब हमने चिल्लाकर रब से मिन्नत की तो उसने हमारी सुनी और फ़रिश्ता भेजकर हमें मिसर से निकाल लाया। अब हम यहाँ क़ादिस शहर में हैं जो आपकी सरहद पर है।


क्योंकि तुम दोनों इसराईलियों के रूबरू बेवफ़ा हुए। जब तुम दश्ते-सीन में क़ादिस के क़रीब थे और मरीबा के चश्मे पर इसराईलियों के सामने खड़े थे तो तुमने मेरी क़ुद्दूसियत क़ायम न रखी।


यहूदाह की जुनूबी सरहद बहीराए-मुरदार के जुनूबी सिरे से शुरू होकर


मुल्क को सात इलाक़ों में तक़सीम करें। लेकिन ध्यान रखें कि जुनूब में यहूदाह का इलाक़ा और शिमाल में इफ़राईम और मनस्सी का इलाक़ा है। उनकी सरहद्दें मत छेड़ना!


लियाह के बेटे यह थे : उसका सबसे बड़ा बेटा रूबिन, फिर शमौन, लावी, यहूदाह, इशकार और ज़बूलून।


ईद 14 दिन तक मनाई गई। पहले हफ़ते में सुलेमान और तमाम इसराईल ने रब के घर की मख़सूसियत मनाई और दूसरे हफ़ते में झोंपड़ियों की ईद। बहुत ज़्यादा लोग शरीक हुए। वह दूर-दराज़ इलाक़ों से यरूशलम आए थे, शिमाल में लबो-हमात से लेकर जुनूब में उस वादी तक जो मिसर की सरहद थी।


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