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یشوع 13:16 - किताबे-मुक़द्दस

16 वादीए-अरनोन के किनारे पर शहर अरोईर और उसी वादी के बीच के शहर से लेकर मीदबा

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

16 اُن کا علاقہ ارنُونؔ کی وادی کے کنارے پر کے عروعؔر سے لے کر اَور وادی کے بیچ کے شہر سے ہوتا ہُوا میدباؔ کے پاس کا سارا میدان،

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کِتابِ مُقادّس

16 اور اُن کی سرحد یہ تھی یعنی عروعیر سے جو وادیِ ارنوؔن کے کنارے واقِع ہے اور وہ شہر جو وادی کے بِیچ میں ہے اور مِیدبا کے پاس کا سارا مَیدان۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

16 وادیٔ ارنون کے کنارے پر شہر عروعیر اور اُسی وادی کے بیچ کے شہر سے لے کر میدبا

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یشوع 13:16
18 حوالہ جات  

यों हसबोन के अमोरी बादशाह सीहोन के तमाम शहर उनके क़ब्ज़े में आ गए थे यानी जुनूबी वादीए-अरनोन के किनारे पर शहर अरोईर और उसी वादी के बीच के शहर से लेकर शिमाल में अम्मोनियों की सरहद तक। दीबोन और मीदबा के दरमियान का मैदाने-मुरतफ़ा भी इसमें शामिल था


पहले का नाम सीहोन था। वह अमोरियों का बादशाह था और उसका दारुल-हुकूमत हसबोन था। अरोईर शहर यानी वादीए-अरनोन के दरमियान से लेकर अम्मोनियों की सरहद दरियाए-यब्बोक़ तक सारा इलाक़ा उस की गिरिफ़्त में था। इसमें जिलियाद का आधा हिस्सा भी शामिल था।


हसबोन और इलियाली मदद के लिए पुकार रहे हैं, और उनकी आवाज़ें यहज़ तक सुनाई दे रही हैं। इसलिए मोआब के मुसल्लह मर्द जंग के नारे लगा रहे हैं, गो वह अंदर ही अंदर काँप रहे हैं।


जब हमने दरियाए-यरदन के मशरिक़ी इलाक़े पर क़ब्ज़ा किया तो मैंने रूबिन और जद के क़बीलों को उसका जुनूबी हिस्सा शहरों समेत दिया। इस इलाक़े की जुनूबी सरहद दरियाए-अरनोन पर वाक़े शहर अरोईर है जबकि शिमाल में इसमें जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े का आधा हिस्सा भी शामिल है।


मूसा ने रूबिन के क़बीले को उसके कुंबों के मुताबिक़ ज़ैल का इलाक़ा दिया।


और हसबोन तक। वहाँ के मैदाने-मुरतफ़ा पर वाक़े तमाम शहर भी रूबिन के सुपुर्द किए गए यानी दीबोन, बामात-बाल, बैत-बाल-मऊन,


अरोईर, सिफ़मोत, इस्तिमुअ,


दरियाए-यरदन को उबूर करके उन्होंने अरोईर और वादीए-अरनोन के बीच के शहर में शुरू किया। वहाँ से वह जद और याज़ेर से होकर


यों उन्हें 32,000 रथ उनके सवारों समेत मिल गए। माका का बादशाह भी अपने दस्तों के साथ उनसे मुत्तहिद हुआ। मीदबा के क़रीब उन्होंने अपनी लशकरगाह लगाई। अम्मोनी भी अपने शहरों से निकलकर जंग के लिए जमा हुए।


हसबोन अमोरी बादशाह सीहोन का दारुल-हुकूमत था। उसने मोआब के पिछले बादशाह से लड़कर उससे यह इलाक़ा दरियाए-अरनोन तक छीन लिया था।


मूसा अढ़ाई क़बीलों को उनकी मौरूसी ज़मीन दरियाए-यरदन के मशरिक़ में दे चुका था, क्योंकि यूसुफ़ की औलाद के दो क़बीले मनस्सी और इफ़राईम वुजूद में आए थे। लेकिन लावियों को उनके दरमियान ज़मीन न मिली। इसराईलियों ने लावियों को ज़मीन न दी बल्कि उन्हें सिर्फ़ रिहाइश के लिए शहर और रेवड़ों के लिए चरागाहें दीं।


याद रहे कि लावियों को कोई इलाक़ा नहीं मिलना है। उनका हिस्सा यह है कि वह रब के इमाम हैं। और जद, रूबिन और मनस्सी के आधे क़बीले को भी मज़ीद कुछ नहीं मिलना है, क्योंकि उन्हें रब के ख़ादिम मूसा से दरियाए-यरदन के मशरिक़ में उनका हिस्सा मिल चुका है।”


अब इसराईली 300 साल से हसबोन और अरोईर के शहरों में उनके गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत आबाद हैं और इसी तरह दरियाए-अरनोन के किनारे पर के शहरों में। आपने इस दौरान इन जगहों पर क़ब्ज़ा क्यों न किया?


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